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पाकिस्तान ने 163 मछुआरों को छोड़ा, करोड़ों की नावें दबाईं

रूस में भारत व पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच हुए समझौते के तहत पाकिस्तान ने भारत के 163 मछुआरों को छोड़ दिया है। उसने इन मछुआरों को सोमवार रात अंतरराष्ट्रीय अटारी सीमा के रास्ते भारत भेज दिया,लेकिन उनकी 25 से अधिक नावें नहीं लौटाईं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2015 08:12 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2015 11:12 AM (IST)
पाकिस्तान ने 163 मछुआरों को छोड़ा,  करोड़ों की नावें दबाईं

अमृतसर। रूस में भारत व पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच हुए समझौते के तहत पाकिस्तान ने भारत के 163 मछुआरों को छोड़ दिया है। उसने इन मछुआरों को सोमवार रात अंतरराष्ट्रीय अटारी सीमा के रास्ते भारत भेज दिया,लेकिन उनकी 25 से अधिक नावें नहीं लौटाईं। समझौते में दोनों देश मछुआरे रिहा करते समय उनकी नावें भी लौटाने की बात थी। ये नावें करोड़ों रुपये की है।

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रिहा होकर आए मछुआरों में रिजवान व रफीक ने बताया कि एक नाव लगभग 40 लाख रुपये की होती है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को समुद्र के बीच अपनी सीमाओं की निशानदेही के लिए आधुनिक तकनीक प्रयोग करनी चाहिए, ताकि मछुआरे एक-दूसरे की सीमा में न जा सकें।

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उन्होंने बताया कि मछुआरों को चार माह कैद होती है, लेकिन पाकिस्तान सरकार उन्हें नौ महीने से चार वर्ष तक जेल में रखती है। अब भी कराची की लांडी जेल में 200 से अधिक भारतीय मछुआरे कैद हैं। 25 मछुआरे ऐसे हैं, जो चार वर्ष से बंद हैं। इनके नामों पर दोनों सरकारों के बीच उलझन है। 163 रिहा मछुआरों के साथ उनके भी नाम सूची में थे, लेकिन अंतिम समय में उनके नाम काट दिए गए।

मनोहर नामक मछुआरे ने कहा कि गुजरात सरकार मछुआरों के परिवारों को रिहाई के बाद घर पहुंचने तक 4500 रुपये प्रतिमाह मुआवजा देती है, लेकिन इस राशि से गुजारा मुश्किल है।

मछुआरों ने कहा कि पाकिस्तान की ऐदी फाउंडेशन ने प्रत्येक मछुआरे को पांच हजार रुपये, बच्चों के लिए खिलौने व पत्नियों के लिए कपड़े दिए हैं। जिला प्रशासन ने रेडक्रास भवन में उनको सुबह व दोपहर का भोजन दिया। इन मछुआरों की सबसे बड़ी समस्या वतन पहुंचने के बावजूद घरों में संपर्क नहीं होने की थी।


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