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ऐसे कैसे स्वच्छ बनेगा अमृतसर: 90 फीसद लोग गीला-सूखा कूड़ा अलग-अलग करके नहीं देते

स्वच्छता सर्वे-2021 में शहर को 34वां स्थान मिला है। अभी इंदौर की तरह शीर्ष पर पहुंचने के लिए काफी काम करना बाकी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 08:00 AM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 08:00 AM (IST)
ऐसे कैसे स्वच्छ बनेगा अमृतसर: 90 फीसद लोग गीला-सूखा कूड़ा अलग-अलग करके नहीं देते
ऐसे कैसे स्वच्छ बनेगा अमृतसर: 90 फीसद लोग गीला-सूखा कूड़ा अलग-अलग करके नहीं देते

जासं, अमृतसर: स्वच्छता सर्वे-2021 में शहर को 34वां स्थान मिला है। अभी इंदौर की तरह शीर्ष पर पहुंचने के लिए काफी काम करना बाकी है। इसमें कहीं न कहीं नगर निगम की विफलता सामने आ रही है। सर्वे में कूड़ा सैग्रीगेशन के अंक भी जुड़ते हैं। हैं। इसमें अमृतसर के पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाया है। अभी तक घरों से निकलने वाले कूड़े को अलग-अलग करने के लिए लोगों में जागरूकता की कमी दिखती है और निगम की लापरवाही भी। क्योंकि कई बार सख्ती के बिना काम नहीं होता। यही कारण है कि सैग्रिगेटेड कलेक्शन, प्रोसेसिग एंड डिस्पोजल एंड सस्टेनेबल सेनिटेशन के 2400 नंबर में से 1653.43 अंक ही अमृतसर को मिले थे और बाकी कट गए थे।

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कूड़ा इकठ्ठा करने के लिए निगम ने शहर के 72 वार्ड का ठेका प्राइवेट कंपनी को दिया है। शुरुआती समय में निगम ने हर घर को दो डस्टबिन दिए थे। एक हरा और दूसरा नीले रंग का डस्टबिन था ताकि गीले और सूखे कूड़े को अलग-अलग रखा जा सके। इसके बाद न तो कभी डस्टबिन दिए गए और न ही लोगों को जागरूक करने के प्रयास किए गए। हालांकि निगम की ओर से कुछ जगहों पर कूड़ा अलग-अलग करने का संदेश देते बैनर आदि जरूर लगाए गए पर उसका कोई प्रभाव नहीं दिखा। इसके अलावा कर्मचारी भी कई बार हड़ताल पर चले जाते हैं, जिस वजह से डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन नहीं हो पाता।

मेयर करमजीत सिंह रिटू ने कहा कि लगातार लोगों को जागरूक करने की कोशिश हो रही है। आम लोगों के सहयोग के बिना शहर को स्वच्छ नहीं बनाया जा सकता है। ऐसे में लोगों की भागीदारी के लिए समय-समय पर कई तरह के प्रोग्राम भी चलाए जाते है। इसके अलावा कंपनी को भी साफ हिदायत दी गई है कि सभी इलाकों से गीला-सूखा कूड़ा अलग करके ही लिफ्ट किया जाए। सिर्फ 35 हजार घर ही सैग्रीगेशन करके कूड़ा दे रहे

शहर के 85 वार्डो की आबादी 15 लाख से ज्यादा है। ऐसे में शहर करीब 3.25 लाख घर हैं लेकिन निगम के आंकड़े के मुताबिक अभी तक केवल 35 हजार घर ही ऐसे हैं जोकि गीला और सूखा कूडा अलग-अलग करके देते है। जिससे सीधे तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि केवल दस प्रतिशत घरों को कूड़ा अलग-अलग करने के लिए जागरूक किया जा सका है। पाश इलाकों में कर्मी जुर्माने के डर से मिक्स कचरा नहीं उठाते

नगर निगम ने कूड़ा इकठ्ठा करने के लिए एक प्राइवेट कंपनी को ठेका दे रखा है। दैनिक जागरण ने इनमें रणजीत एवेन्यू, बसंत एवेन्यू, ग्रीन एवेन्यू में पड़ताल के दौरान पाया कि शहर के चुनिदा पाश इलाकों में कचरा कलेक्ट करने वाले कर्मचारी सूखा और गीला कूड़ा अलग-अलग लेते हैं। इन इलाकों में अगर कोई घर कूड़ा मिक्स करके देता है तो कर्मचारी नहीं लेते और कहते हैं कि अगर वह मिक्स कूड़ा उठाएंगे तो उन्हें जुर्माना लगेगा और वेतन से पैसे कटेंगे जबकि बाकी पूरे शहर में मिक्स कूड़ा ही उठाया जा रहा है। हालांकि बाकी कई क्षेत्रों में चेक किया तो पाया वहां पर लोग कचरा मिक्स करके ही दे रहे हैं और कर्मी भी उसे गाड़ी में डाल रहे हैं। रोजाना 10 लाख मीट्रिक टन बायोरेमीडेशन करने की योजना

शहर से इक्क्ठा होने वाला सारा कूड़ा गाड़ियों में भरकर सीधे भगतांवाला डंप पर रख दिया जाता है। वहां पर रोजाना 10 लाख मीट्रिक टन कूड़े को बायोरेमीडेशन करने का काम शुरू किया गया। ऐसा करने से अमृतसर पूरे राज्य में कूड़े से ऊर्जा बनाने वाला पहला शहर बनने जा रहा है। हल : लोगों को जागरूक करने के लिए संस्थाओं को जोड़ना होगा

इंदौर में नागरिकों को स्वच्छता के लिए तैयार करने और शिक्षित करने का सबसे महत्वपूर्ण काम किया गया। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं, सामाजिक संगठनों, स्थानीय संगठनों की मदद ली गई। इससे लोगों को नया सिस्टम समझने में आसानी हुई। लोग गंदगी न फैलने दें, प्रशासन का सहयोग करें

हमारा शहर भी देश का सबसे खूबसूरत बने, इसके लिए हर तरह के प्रयास करने चाहिए। केवल प्रशासन ही नहीं बल्कि हर एक नागरिक की जिम्मेदारी है कि शहर को स्वच्छ बनाने में कोशिश की जाए। इसी कारण मैं शपथ लेता हूं कि अपने शहर को स्वच्छ बनाने के लिए लगातार प्रयास करूंगा। केवल खुद ही नहीं बल्कि लोगों को भी जागरूक करूंगा, लगातार इस संबंधी लोगों से आग्रह किया जाएगा कि वह सभी अपने इर्द-गिर्द न तो गंदगी फैलाएं और न ही फैलने दें ताकि हम भी अपने शहर को इंदौर से भी ज्यादा साफ-सुथरा बना सकें।

-जीएसटीपीए के पूर्व उप-प्रधान विकास खन्ना।


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