बच्चों पर दें ध्यान... खतरनाक है यह Mobile Game, किशोर दो बार कर चुका है एेसा प्रयास
पबजी के शिकंजे में फंसे 16 वर्षीय नवयुवक को अपनी जिंदगी बोझिल लगने लगी। पहले छत से कूदकर खुदकशी करने की कोशिश की।
अमृतसर [नितिन धीमान]। 'पबजी' के शिकंजे में फंसे 16 वर्षीय नवयुवक को अपनी जिंदगी बोझिल लगने लगी। पहले छत से कूदकर खुदकशी करने की कोशिश की। परिजनों ने अस्पताल पहुंचाया तो वहां पर भी अपने हाथों से गला दबाकर मौत को गले लगाने का प्रयास किया, लेकिन दोनों बार नाकाम रहा। असल में युवक को इस ऑनलाइन गेम ने उसे इस कदर परेशान किया कि उसे लगा कि वह मर जाएगा। उसके दिमाग में यह बात घर कर गई कि टेररिस्ट उसे गोलियां मार देंगे। उनके हाथों से मरने से अच्छा है कि वह खुद ही अपनी जिंदगी समाप्त कर ले।
जिला गुरदासपुर के कादियां का रहने वाला यह नवयुवक पिछले कई दिनों से अपनी मां से मोबाइल की मांग कर रहा था। उसका कहना था कि स्टडी के लिए मोबाइल चाहिए। मां ने बेटे की चाह पूरी कर दी। पिछले सप्ताह उन्होंने उसे मोबाइल खरीदकर दिया। बस फिर क्या यह युवक दिन रात मोबाइल में खोया रहने लगा। परिवार वालों को यही लगा कि शायद पढ़ाई करता होगा, किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि वह कर क्या रहा है। अंतत: वह हुआ जिसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।
चार दिन पहले उसने अचानक छत से छलांग लगा दी। परिवार वालों ने उसकी चीख सुनी तो घर के बाहर पहुंचे। युवक चिल्ला रहा था कि मैं मरना चाहता हूं। उसे तत्काल अस्पताल एडमिट करवाया गया। यहां भी वह बार-बार दोहराता रहा कि वह जीना नहीं चाहता। उसे अमृतसर के रंजीत एवेन्यू स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां बीते बुधवार को उसने अपने दोनों हाथों से अपना गला दबाने का प्रयास किया। अस्पताल के स्टाफ ने उसे फौरन काबू किया। इस युवक का इलाज कर रहे अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. हरजोत सिंह मक्कड़ ने बताया कि उसके मोबाइल की जांच की गई तो पता चला कि वह हर रोज पबजी गेम खेलता था। यह गेम ब्लू व्हेल की तरह ही खतरनाक है।
99 खिलाड़ियों के साथ विमान से होती है 'पबजी' की शुरुआत
मनोचिकित्सक डॉ. हरजोत सिंह मक्कड़ के अनुसार पबजी एक ऑनलाइन मल्टीप्लेयर बैटल रॉयल गेम है। इस गेम को साउथ कोरिया की एक कंपनी ने बनाया है। ज्यादातर युवा रात के समय इस गेम को खेलते हैं। यह खेल 99 खिलाड़ियों के साथ एक विमान पर शुरू होता है। दिल दहला देने वाले ²श्यों के बीच खिलाड़ी कभी-कभी एक बंद सर्कल में ठहरकर एक-दूसरे का पीछा करते हैं।
इसके साथ ही इमारतों को क्षतिग्रस्त करने, हथियारों की लूटपाट करने और दूसरों पर तब तक गोली चलाते हैं जब तक कि वह हैंड्सअप करके एक पैर पर खड़े नहीं हो जाते। गेम की अलग-अलग स्टेज में व्यापक पैमाने में ङ्क्षहसा का सामना यूजर को करना पड़ता है। यही वजह है कि वह भयभीत हो जाता है कि कहीं ऑनलाइन गेम के किरदार उसे मौत के घाट न उतार दें।
दिमाग में गलत विचार उत्पन्न करती है ऑनलाइन गेम
ऑनलाइन गेम का युवाओं के मन मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। युवा गेम में इतना खो जाते हैं कि खुद को इस गेम का हिस्सा मानने लगते हैं। उन्हें ऐसा महसूस होता है कि कभी भी उनकी मौत हो सकती है। कोई अज्ञात शख्स उन्हें गोली मार देगा। वे इतने दहशतजदा हो जाते हैं कि किसी के हाथों मरने से बेहतर खुद को मारना ही ठीक समझते हैं। इस युवक के साथ भी ऐसा कुछ है। डा. मक्कड़ के अनुसार बहरहाल, युवक की काउंसलिंग की जा रही है। कुछ जरूरी दवाएं दी गई हैं। फिलहाल उनमें सुधार दिख रहा है।