फायर सेफ्टी एक्ट के अभाव में बिना सेफ्टी बन रहीं 100-100 फुट ऊंची इमारतें
पंजाब में भी फायर सेफ्टी एक्ट न होने की वजह से ज्यादातर ईमारतों में आगजनी की घटना से निपटने के इंतजाम नहीं किए जाते।
नवीन राजपूत, अमृतसर
फायर ब्रिगेड के अधूरे इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते गुजरात के सूरत शहर में बीते दिन आगजनी में 22 विद्यार्थियों की मौत हो गई थी। पंजाब में भी फायर सेफ्टी एक्ट न होने की वजह से ज्यादातर ईमारतों में आगजनी की घटना से निपटने के इंतजाम नहीं किए जाते। एक्ट के ही अभाव में फायर ब्रिगेड विभागन तो ऐसी ईमारतों के मालिकों को नोटिस दे सकता है, न किसी बिल्डिग की जांच कर सकता है और न ही कार्रवाई। अमृतसर के फायर ब्रिगेड विभाग की बात करें तो यहां भी हालात कुछ बेहतर नहीं है। निकायमंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के अपने गृह जिले में ही बहुमंजिला इमारतें तो बन गई, लेकिन किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए इंतजाम नाकाफी हैं। इमारतों के निर्माण के समय फायर ब्रिगेड विभाग से मंजूरी भी जरूरी है, लेकिन फायर एक्ट लागू न होने के कारण मंजूरी भी नहीं ली जाती। दबी जुबान में अधिकारी इसे स्वीकार तो करते हैं, पर खुलकर बोलने को कोई तैयार नहीं है।
फायर एक्ट लागू नहीं होने के कारण विभाग ने आज तक न तो किसी को नोटिस भेजा और न ही किसी की इमारत को सील किया। इसी कारण विभाग की कारगुजारी अधिकारियों के स्टैंडिग आर्डरों तक ही सीमित है। फायर सेफ्टी एक्ट के अभाव में आज तक किसी इमरात की विभाग द्वारा अपने स्तर पर जांच नहीं की गई है। मानदडों पर गौर किया जाए तो शहर के कई हिस्से ऐसे हैं, जो फायर सेफ्टी एक्ट के खिलाफ बने हुए हैं, पर प्राचीन शहर होने की वजह से उससे भी किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ जनहित में नहीं होगी। तंग गलियों में बने हुए रिहायशी व कमर्शियल अदारों तक फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंच ही नहीं सकतीं। पॉश विशेषकर सिविल लाइन एरिया की बात करें तो बहुमंजिला इमारतों की उंचाई सौ फुट को छूने लगी है, पर विभाग के पास एक्सटेंशन लेडर यानी सीढ़ी मात्र 35 फुट उंचाई वाली ही है। इन हालातों में बहुमंजिला इमारतों पर पानी की बौछारें फेंकना मुश्किल ही नहीं नामुनकिन ही है।
शहर की सिर्फ 40 फीसद इमारतों में ही है फायर एग्जिट
आग के आपात हालात बनने पर दूसरा महत्वपूर्ण रोल फायर एग्जिट का रहता है। हर बड़ी बिल्डिग में वेक्यूम प्रेशरराइजड सीढि़यां जरूरी हैं। इसके बिना बिल्डिग पास ही नहीं हो सकती, लेकिन शहर में हजारों इमारतें इसी तर्ज पर बनी हुई हैं। फायर एग्जिट में वेक्युम व ऑटो मेटिक बड़े एग्जॉस्ट फेन लगे होते हैं। वहां बैटरी चलित लाइटिग का प्रबंध होने की वजह से वहां आग नहीं आ सकती। उसके दरवाजों में भी आग से लड़ने की दो से तीन घंटे की क्षमता होती है। विभागीय सूत्रों की मानें तो शहर में मात्र चालीस फीसद बड़ी इमारतों में ही फायर एग्जिट का प्रबंध है। जिन इमारतों में यह नहीं है, उन्हें चेक करने वाला कोई नहीं है।
एक्ट नहीं है, लेकिन विभाग करता है लोगों को जागरूक
फायर ब्रिगेड विभाग के अधिकारियों ने बताया कि फायर एक्ट का लागू नहीं होना उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है, लेकिन विभाग के मुलाजिम अपने स्तर पर स्कूल और कॉलेज के स्टूडेंट्स को जागरूक करते हैं। स्कूलों, कॉलेजों में कैंप लगाए जाते हैं। इसके अलावा समय-समय पर विभाग अन्य विभागों के साथ मिलकर मॉक ड्रिल भी करवाता है। शहर के लोगों को भी उनमें शामिल किया जाता है और बताया जाता है कि आपात स्थिति में कैसे बचना है। आगजनी वाली इमारत में फंसे लोगों को भी कैसे बचाना है। कैंप में स्टूडेंट्स को बताया जाता है कि फायर सिलेंडर को कैसे चलाया जाना है।
स्कूलों-कॉलेजों में फायर सेफ्टी उपकरण लगवाने के दिए हैं निर्देश : निगम कमिश्नर
नगर निगम के कमिश्नर हरबीर सिंह ने बताया कि गुजरात वाली घटना के बाद उन्होंने फायर अफसर को आदेश दिया है कि वह स्कूलों, कॉलेजों और अकादमियों में जाकर चेंकिग करें कि वहां फायर सेफ्टी उपकरण लगे हैं या नहीं। अगर उपकरण नहीं लगे हैं तो वहां लगवाए जाएं। इसके अलावा दमकल विभाग के अफसर इमारत में किसी तरह की आगजनी की घटना से निपटने के लिए वहां प्रत्येक पहलू पर गौर कर रहे हैं। शहर में आग लगने की हुई बड़ी घटनाएं
—27 मई 2019 की रात मोहकमपुरा इलाके में फैक्ट्री में लगी आग।
—4 अप्रैल 2019, इस्लामाबाद स्थित एक गोदाम में आग लगी थी।
—21 फरवरी 2019 को फोरएस रिसोर्ट में भयंक आग लगी थी।
—13 फरवरी 2019 को गेट हकीमां के चौड़ा बाजार इलाके में आग लगने से तीन सगी बहनों की मौत हो गई थी।
—जून 2018 शेरांवाला गेट के पास एक बड़े गोदाम में आग लगी थी। एयरफोर्स की सहायता भी लेनी पड़ी थी।
—अगस्त 2017 आहलूवाला कटरा की एक तंग गली में आग लग गई थी। दमकल विभाग की गाड़ियां घटना स्थल पर नहीं पहुंच पा रही थी।
—जुलाई 2016 कटरा जयमल सिंह के एक शोरूम में भयंकर आग लगी। तीन दिन तक दमकल विभाग आग पर काबू नहीं पा सका।
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