चाचा को किडनी देकर जिदगी बचाएगा भतीजा
वर्तमान में रिश्तों में कड़वाहट घुल चुकी है। अपने ही अपनों के दुश्मन बन बैठे हैं। परिवार खंडित हो रहे हैं और इंसान एकांकी जीवन व्यतीत करने को तरजीह दे रहा है। दूसरी तरफ अमृतसर के गुरुनानक देव अस्पताल में रिश्तों की नई परिभाषा गढ़ी गई ह
जागरण संवाददाता, अमृतसर
वर्तमान में रिश्तों में कड़वाहट घुल चुकी है। अपने ही अपनों के दुश्मन बन बैठे हैं। परिवार खंडित हो रहे हैं और इंसान एकांकी जीवन व्यतीत करने को तरजीह दे रहा है। दूसरी तरफ अमृतसर के गुरुनानक देव अस्पताल में रिश्तों की नई परिभाषा गढ़ी गई है। जालंधर के एक युवक ने अपने चाचा की जिदगी बचाने के लिए अपनी किडनी देने की पेशकश की।
दरअसल, गुरुनानक देव अस्पताल में शुक्रवार को किडनी ट्रांसप्लांट कमेटी की बैठक में जालंधर निवासी विशाल कुमार ने अपने चाचा संजीव कुमार को किडनी देने की पेशकश रखी। विशाल कुमार का तर्क था कि चाचा की किडनियां खराब हैं। वह डायलिसिस करवाकर अपनी सांसें सहेज रहे हैं।
भतीजे से नहीं देखी जा रही थी चाचा की हालत
उनकी ऐसी हालत देखी नहीं जाती। चाचा-भतीजे की आयु में जरा सा अंतर है। दोनों साथ बड़े हुए और साथ खेलें। किडनी कमेटी के चेयरमैन व अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. जेपी अत्री सहित कमेटी सदस्यों ने दोनों के दस्तावेजों की जांच की और किडनी का आदान-प्रदान करने के लिए दोनों को मेडिकली फिट पाया। इसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट की अनुमति प्रदान कर दी।
भावनात्मक है यह मामला : डाक्टर अत्री
डा. अत्री ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट का यह मामला भावनात्मक था। हालांकि कमेटी भावनाओं से ज्यादा दस्तावेजों को तरजीह देती है। दस्तावेज सही थे, इसलिए ट्रांस्सप्लांट की अनुमति प्रदान कर दी है। उन्होंने कहा कि भतीजे के इस फैसले से उसके चाचा को नया जीवन मिलेगा। उन्होंने भतीजे के फैसले और हौसले की सराहना की।