पाकिस्तान से लौटे सिद्धू के खिलाफ नारेबाजी, सफाई में कहा- नफरत की आग ठंडी करने गया था
पाकिस्तान से लौटे सिद्धू को अटारी बार्डर पर विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों ने जमकर नारेबाजी की। इस दौरान सिद्धू ने पाक यात्रा पर सफाई दी।
जेएनएन, अटारी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के बाद पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भारत पहुंच गए हैं। अटारी बार्डर पर पहुंचने पर कई संगठनों ने उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कहा कि सिद्धू ने पाकिस्तानी सेना चीफ को गले लगाकर शहीदों का अपमान किया। वहीं, सिद्धू ने इस मामले पर सफाई दी।
सिद्धू ने कहा, ''मैं वहां नफरत की आग ठंडी करने गया था। उनका यह पाकिस्तान दौरा बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा।'' पाकिस्तान के सेना प्रमुख को जफ्फी डालने के मुद्दे पर सिद्धू ने कहा जब पाक सेना प्रमुख ने गुरु नानकदेव जी के 550 में गुरु पर्व के मौके पर करतारपुर कॉरिडोर खोलने की बात कही तो जफ्फी दे दी।
अटारी बार्डर पर पत्रकारों से बातचीत करते सिद्धू।
गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति मसूद खान के बगल पर बैठने के मुद्दे पर सिद्धू ने कहा कि वह वहां एक अतिथि के रूप में गए थे। वह कहीं और बैठे हुए थे, लेकिन उन्हें बाद में उनके बगल में बैठा दिया गया। जब भी अतिथि कहीं जाता है तो यह मेजबान पर तय होता है कि उसे कहां बैठाना है।
अटारी बार्डर पर सिद्धू का विरोध करते लोग।
बता दें, सिद्धू शनिवार को पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पाक सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा को गले लगाने और गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति मसूद खान के बगल में बैठने के बाद विरोधियों के निशाने पर आ गए थे। भाजपा के नेशनल सेक्रेटरी तरुण चुघ व पूर्व अध्यक्ष कमल शर्मा ने इसे देशवासियों व पूर्व सैनिकों के परिवारों का अपमान बताया है। उन्होंने कहा, यह शहीद सैनिकों के परिवारों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है।
वहीं, पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोरंजन कालिया ने कालिया ने कहा है कि अगर सिद्धू को पाकिस्तान से इतना ही प्यार है, तो वहीं रह जाएं और प्रधानमंत्री बनें। उधर, हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि एक तरफ पूरा देश राष्ट्रीय शोक में डूबा है और सिद्धू पाकिस्तान में जश्न मना रहे हैं। यह शर्मनाक है। पाक जेल में मारे गए सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने भी सिद्धू पर निशाना साधा और कहा कि सिद्धू ने पुराने जख्मों को कुरेदा है।
विवाद के बाद गत दिवस भी सिद्धू ने पाकिस्तान में प्रेस कांफ्रेंस कर सफाई दी थी। उन्होंने कहा कि 'मैं राजनेता नहीं, एक दोस्त की हैसियत से इस्लामाबाद आया हूं। जनरल साहब ने मुझे गले लगाया और कहा कि वह शांति चाहते हैं। आप एक कदम चलो तो मैं दो कदम चलूंगा। ऐसे अब यह हमारा दायित्व है कि हम अपनी सरकार से बातचीत कर उन्हें एक कदम चलने के लिए प्रेरित करें। दोनों देशों के रिश्तों को लेकर बड़ी उम्मीद बंधी है। दोनों पंजाब अगर सीमा खोल दें तो पूरे क्षेत्र में तेजी से तरक्की हो सकती है। आखिर हम कब तक लाल समंदर में डूबेंगे। अब वक्त आ गया है कि हम इसे नीला बनाएं यानी शांति कायम करें।' सिद्धू ने कहा, 'मैं हिंदुस्तान से मोहब्बत का एक पैगाम लाया था। जितनी मोहब्बत मैं लेकर आया था, उससे 100 गुना ज्यादा मोहब्बत मैं वापस लेकर जा रहा हूं। जो वापस आया है, वो सूद समेत आया है।
क्या है करतारपुर कॉरिडोर
भारतीय पंजाब के सिख काफी समय से मांग कर रहे हैं कि उन्हें बिना वीजा के पाकिस्तान के नैरोवाल जिले में स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब जाने की मंजूरी दी जाए। यह गुरुद्वारा गुरदासपुर की सीमा से मात्र तीन किलोमीटर दूर है। श्री गुरु नानक देव जी अपने अंतिम समय में कई साल नैरोवाल जिले में रहे थे। इसलिए इस गुरुद्वारे का एेतिहासिक महत्व है। गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व अगले वर्ष मनाया जाएगा।
सिद्धू का विवादों से पुराना नाता
- नवजोत सिंह सिद्धू का विवादों से पुराना नाता रहा है। अपने क्रिकेट कैरियर के दौरान भी वह विवादों में रहे। एक बार तो अपने गर्म मिजाज के कारण उनका क्रिकेट कैरियर समाप्त सा हो गया था। भारतीय क्रिकेट टीम के इंग्लैंड दौरे के समय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के साथ हुए विवाद के बाद सिद्धू इंग्लैंड का दौरा बीच में ही छोड़कर चले आए थे। इसके बाद उन्हें कहा गया कि अब उनकी भारतीय क्रिकेट टीम में वापसी मुश्किल है, लेकिन भगवान पर भरोसे के चलते उनकी दोबारा टीम में वापसी हुई।
- 1988 में पटियाला में कार पार्किंग को लेकर सिद्धू का विवाद हुआ और हाथापाई भी हुई। इसके बाद 65 साल के गुरनाम सिंह की अस्पताल में मौत हो गई। इसके बाद से 30 सालों तक निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक सिद्धू खुद को बेकसूर साबित करने के लिए लड़ते रहे। आखिरकार सिद्धू को इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने बरी करके बड़ी राहत दी।
- पटियाला के निवासी सिद्धू को अमृतसर से भाजपा का टिकट मिला तो उन्हें बाहरी उम्मीदवार कहा गया। यह मुद्दा गर्मा गया तो उन्होंने अमृतसर के लोगों के साथ वायदा किया कि वह अमृतसर छोड़कर नहीं जाएंगे। पटियाला नहीं जाएंगे। इस पर खासा विवाद हुआ था और उन पर घेरा कसने की कोशिश हुई, लेकिन उन्होंने लोगों से किया वादा सांसद रहते पूरी तरह निभाया। वह कहते हैं आज तक वायदे को निभा रहा हूं और आगे भी निभाउंगा।
- भाजपा के लिए अकाली दल के संबंधों को लेकर सिद्धू का विवाद रहा। पहले बादल परिवार की जमकर तारीफ करने वाले सिद्धू ने बादलों पर हमला बोल दिया। वह प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल पर व्यक्तिगत हमले करने लगे। गठबंधन में रहने के बावजूद उस समय भाजपा नेता सिद्धू के इस रुख से विवाद पैदा हो गया। सिद्धू इस बात पर अड़े रहे कि पंजाब में भाजपा अकाली दल से गठबंधन तोड़े। इसके बाद भाजपा ने उनको 2014के चुनाव में अमृतसर से टिकट नहीं दिया अौर पंजाब की राजनीति से अलग रखा। भाजपा ने सिद्धू को राज्यसभा सदस्य का सदस्य बनाया, लेकिन कुछ दिन बाद ही उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और भाजपा छोड़ दी।
- भाजपा छोड़ने के बाद सिद्धू का आम आदमी पार्टी के संपर्क हुआ। अरविंद केजरीवाल ने बातचीत लगभग फाइनल होने के बाद बात बिगड़ गई। इसके बाद सिद्धू ने केजरीवाल पर हमला बोला और आरोप लगाए कि केजरीवाल बाहर से कुछ और अंदर से कुछ और हैं। वह पंजाब में राजनीति करने नहीं बल्कि पंजाब को लूटने की नीयत से यहां आ रहे हैं। सिद्धू और केजरीवाल के बीच खूब बयानबाजी का दौर चला। उनके बीच यह राजनीतिक विवाद खूब गर्माया।
- इसके बाद सिद्धू ने अकाली दल का साथ छोड़कर आए परगट सिंह व बैंस ब्रदर्स सिमरजीत सिंह बैंस व बलविंदर सिंह बैंस के साथ एक माेर्चा बनाया। बाद में उन्होंने परगट सिंह के साथ राहुल गांधी से मुलाकात की और उनके कांग्रेस ज्वाइन करने की चर्चाअों ने जोर पकड़ा। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू का विरोध किया। अंत में राहुल के दबाव में कैप्टन माने और सिद्धू को कांग्रेस में ज्वाइन करवाया गया। चर्चा रही कि कांग्रेस के विधानसभा चुनाव में जीतने पर उन्हें उपमुख्यमंत्री पद दिया जाएगा। लेकिन, चुनाव के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाने से इन्कार कर दिया।
- सिद्धू ने कैबिनेट मंत्री बनने के बाद शहरी निकाय के साथ हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट विभाग की भी मांग की, लेकिन कैप्टन ने ठुकरा दी। इसके बाद से ही सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह में खींचतान शुरू हो गई।
- मंत्री बनने के बाद सिद्धू ने जालंधर, अमृतसर व लुधियाना नगर निगमों में पिछली सरकार के कार्यकाल में तैनात रहे तीन आइएएस अफसरों को खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में कारवाई की सिफारिश की। इस पर काफी विवाद हुआ। सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनकी सिफारिश नहीं मानी।
- केबल, माफिया, नशा माफिया, रेत माफिया, ट्रांसपोर्ट माफिया के मुद्दे को लेकर सिद्धू ने हर मौके पर अकाली दल व सुखबीर बादल तथा बिक्रम सिंह मजीठिया को घेरने की कोशिश की, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह हर बार सिद्धू को बैकफुट पर ढकेलते रहे। विवाद आज तक जारी है।
- सिद्धू का अपने सहयोगी मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा से भी विवाद पिछले दिनों खूब सुर्खियों में रहा। दाेनों ने एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी की।
- अब सिद्धू के पाकिस्तान जाने पर विवाद पैदा हो गया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अपना आदर्श बताने और राजनीति में खुद को लाने का श्रेय देनेवाले सिद्धू उनके निधन के बाद श्रद्धांजलि देने नहीं गए और उनके अंतिम संस्कार के दिन पाकिस्तान में इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने चले गए।