Move to Jagran APP

सिद्धू के इस्तीफे के बाद होली सिटी मे छाई वीरानी, करीबियों ने चुप्पी साधी

पूर्व कैप्टन अमरिदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लंबा सियासी द्वंद्व चला।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Sep 2021 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 29 Sep 2021 05:00 AM (IST)
सिद्धू के इस्तीफे के बाद होली सिटी मे छाई वीरानी, करीबियों ने चुप्पी साधी
सिद्धू के इस्तीफे के बाद होली सिटी मे छाई वीरानी, करीबियों ने चुप्पी साधी

विपिन कुमार राणा, अमृतसर: पूर्व कैप्टन अमरिदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लंबा सियासी द्वंद्व चला। सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रधान बनाए जाने और कैप्टन के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू के करीबियों का 'हनीमून पीरियड' शुरू हुआ था। अभी इसे 73 दिन ही हुए थे कि मंगलवार बाद दोपहर सिद्धू के पीपीसीसी प्रधान पद के इस्तीफे से उनका खेमा फिर से एकाएक सदमे में चला गया है। होली सिटी स्थित सिद्धू की कोठी पर शाम को सन्नाटा छाया रहा और सिद्धू के सियासी भविष्य को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया। सिद्धू की पत्नी डा. नवजोत कौर सिद्धू अमृतसर में ही थीं।

loksabha election banner

दरअसल, कैप्टन और सिद्धू के विवाद के बीच 14 जुलाई 2019 को सिद्धू ने निकायमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और तब से ही सिद्धू व उनकी टीम सियासी हाशिये पर चली गई थी। 738 दिनों यानी सवा दो साल तक चले सियासी वनवास के बाद जब सिद्धू 18 जुलाई 2021 को पीपीसीसी प्रधान बने तो सिद्धू खेमे को अपना सियासी भविष्य दिखने लगा था। 23 अक्टूबर को जब नवनियुक्त मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अमृतसर आए तो इसकी सबसे पहली सियासी बलि कैप्टन के सबसे खास नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन दिनेश बस्सी की हुई। उन्हें हटाकर दमनदीप सिंह उप्पल को चेयरमैन बना दिया गया। कैप्टन के करीबी मेयर करमजीत सिंह रिटू भी उनके टारगेट पर थे, पर मेयर को हटाने के लिए क्योंकि निगम हाउस में बहुमत चाहिए, इसलिए यह मामला लटका हुआ था। कैप्टन के हावी होने पर बदले थे समीकरण

सिद्धू के पीपीसीसी प्रधान बनने के बावजूद कैप्टन खेमा सियासी द्वंद्व में हावी रहा। 14 और 15 अगस्त की अपनी अमृतसर फेरी के दौरान कैप्टन ने सिद्धू खेमे को दरकिनार कर अपने खेमे के नेताओं को ताकत दी थी और जिले के सभी विधायकों को वह एक मंच ले आए थे और सिद्धू के करीबी विधायक इंद्रबीर सिंह बुलारिया व उनके समर्थकों को अलग थलग कर दिया था। 23 को चन्नी के अमृतसर फेरी के दौरान सिद्धू ने वही पत्ता खेला और नेताओं के यहां चन्नी को ले जाते हुए उन्हें अपने पक्ष में लामबंद करने का प्रयास किया। जल्दबाजी करने वाले ज्यादा परेशान

सिद्धू को सियासी ताकत मिलने के बाद कभी सिद्धू के विरोधी रहे नेताओं ने भी उनके यहां हाजिरी भरनी शुरू कर दी थी। शहर के कई सियासी नेता अपनी राजनीतिक नैया को सिद्धू के बूते पर पार लगाने की तैयारी में थे और इसके चलते उन्होंने सिद्धू के नजदीकियों से रापता बनाना भी शुरू कर दिया था। अब एकाएक फिर से हुए सियासी बदल में जल्दबाजी करने वाले ज्यादा परेशान हुए पड़े है कि अगर अब सिद्धू विरोधी खेमा हावी हुआ तो उनका क्या होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.