Agriculture Bill 2020 Protest: अमृतसर की सड़काें पर उतरे नवजोत सिद्धू, उड़ी कोविड नियमों की धज्जियां
पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू आज काफी लंबे समय बाद राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए और अमृतसर के सड़कों पर उतरे। उन्होंने कृषि अध्यादेशों के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसमें काफी संख्या में लोग उमड़े और सिद्धू का समर्थन किया।
अमृतसर, जेएनएन/एएनआइ। कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू लंबे अरसे बाद आज राजनीतिक रूप से सक्रिय हुए और सार्वजनिक रूप से नजर आए। सिद्धू आज संसद में कृषि सुधार विधेयकों को पारित करने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतरे। इसमें काफी संख्या में लोग शामिल हुए। प्रदर्शन में सिद्धू ट्रैक्टर पर सवार होकर शामिल हुए। उनके समर्थक भी ट्रैक्टरों पर सवार थे। सिद्धू ने कहा कि ये कृषि विधेयक किसानों पर वज्रपात की तरह हैं। इस दौरान सिद्धू और प्रदर्शन में शामिल लोगों ने शारीरिक दूरी के नियमों का पालन नहीं किया और मास्क नहीं पहना। सिद्धू भी बिना मास्क के थे। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस तैनात रही, लेकिन नियम तोड़ने पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सिद्धू और प्रदर्शनकारियों ने नहीं पहले मास्क और शारीरिक दूरी के नियमों का किया उल्लंघन
नवजोत सिंह सिद्धू ने दो दिन पहले ही प्रदर्शन करने और धरना देने की घोषणा की थी। प्रदर्शन में काफी संख्या में लोग उमड़े और इस कारण सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ गई। बता दें कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हुए विवाद के बाद से राजनीतिक तौर पर वह एकांतवास में चले गए थे। सिद्धू ने इस दौरान उन्होंने प्रदर्शनकारियों को संबोधित भी किया। सिद्धू ने तीन कृषि विधेयकों का विरोध किया। सिद्धू के साथ उनके अपने विधानसभा हलके अमृतसर पूर्वी के पार्षदों भी थे। सिद्धू का रोष मार्च भंडारी पुल से हालगेट तक हो रहा है।
सिद्धू के आने से पहले ही कार्यकर्ताओं का जमावड़ा भंडारी पुल पर लग चुका था। प्रदर्शन के दौरान बरारी पुल पर शारीरिक दूरी के नियम की धज्जियां उड़ीं और कार्यकर्ताओं ने मास्क तक नहीं पहना। नवजोत सिंह सिद्धू ने भंडारी पुल पर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। वह ट्रैक्टर ट्रॉली पर सवार होकर रैली निकाली। भंडारी पुल पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था, पर पुलिस ने भी कोरोना काल में लागू एपिडेमिक एक्ट के तहत कोई कार्रवाई नहीं की।
कहा- कृषि विधेयकों से केंद्र सरकार ने किसानों पर किया वज्रपात
कोरोना काल में सिद्धू जी यह रैली विवादों में घिर गई है। सिद्धू ने स्वयं भी मास्क नहीं पहना है और शारीरिक दूरी के नियम का पालन भी नहीं कर रहे। नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों पर वज्रपात किया है। कृषि विधेयक किसानों पर अत्याचार है। मैं किसानों के साथ हूं।
21 जुलाई, 2019 से गायब सिद्धू यूं तो बीच-बीच में लोगों को दिखाई देते रहे, लेकिन उन्होंने हलके से दूरी बनाए रखी। धरने की रणनीति के लिए मंगलवार को होली सिटी स्थित उनकी कोठी में मीटिंग भी हुई थी। इस दौरान मीडिया को इससे दूर रखा गया।
सिद्धू की टीम में जोड़ा फाटक रेल हादसे का आरोपित मिट्ठू मदान भी
सिद्धू ने मार्च और धरने की व्यवस्था के लिए एक टीम बनाई गई। इसमें सौरभ मिट्ठू मदान भी है। मिट्ठू मदान वही शख्स है, जिसने अक्टूबर 2018 में जोड़ा फाटक के पास दशहरा पर्व पर कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस रात ट्रेन से कुचल कर 59 लोगों की जान चली गई थी। आयोजन में लापरवाही के लिए मिट्ठू मदान के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
तेवर नहीं थे गर्म, सिर्फ किसान और किसानी की करते रहे बात
आज सिद्धू के तेवर गर्म न थे। बात किसान और किसानी की करते रहे। उन्होंने कहा कि हम संगठित होकर ही काले कानून के खिलाफ लड सकेंगे। पंजाब के 99 प्रतिशत निर्वाचित जनप्रतिनिधि इस बिल को लागू नहीं होने देंगे। पंजाब का किसान खून-पसीना बहाकर देश का पेट भरता है। केंद्र सरकार ने यूरोप व अमेरिका मे फेल हो चुके बिल को भारत में लागू किया। ये फ्री मार्केट की बात कर रहे हैं। जिन राज्यों में मंडियां नहीं हैं, वहां का किसान बद से बदतर है। किसानों को मजदूर बना दिया गया है। सरकार को याद रखना होगा कि पंजाब के किसान ने हिंदुस्तान के लिए हरित क्रांति तैयार की। आज उसी देश में किसान को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा। उसका शोषण किया जा रहा है।
सिद्धू ने कहा कि मेरी राजनीति समाधान की राजनीति है। सरकार ने जरूरी वस्तुओं से अन्न को बाहर निकाल दिया। क्या रोटी जरूरी वस्तु नहीं। गरीब के लिए रोटी ही सबसे जरूरी वस्तु है। कृषि विधेयक से किसानों के साथ-साथ आम लोग प्रभावित होंगे। खाद्य वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। सरकार ने कृषि विधेयक के जरिए किसानों की पगड़ी पर हाथ डालने का प्रयास किया है। हम अपनी पगड़ी को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। आज के हालत यह हैं कि सरकर कर्ज में दबी है। कर्ज लेकर ही कर्ज चुका रही है। वह किसान किसानों को इलेक्ट्रिसिटी बिल लागू कर उनके खातों में द स हजार करोड़ रुपये जमा करवाने की बात कहती है। यह संभव ही नहीं।
हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे पर पूछे गए सवाल के पर सिद्धू ने कहा कि वह किसी सियासी दल व नेता के बारे में बात करने नहीं आए। किसानों की बात करेंगे। धमनियां में जब तक खून है तब तक किसानों के साथ हूं।
नवजोत सिंह सिद्धू की यह रैली पूरी तरह विवादित रही। इस दौरान लोगों की जेब भी कटी और दो बाइक भी चोरी हुए।