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इस्तीफा मंजूर होने के बाद मौन हुआ सिद्धू आवास

। कभी टीम इंडिया में दमदार प्रदर्शन करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू राजनीति में रम नहीं पाए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Jul 2019 01:02 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 01:02 AM (IST)
इस्तीफा मंजूर होने के बाद मौन हुआ सिद्धू आवास
इस्तीफा मंजूर होने के बाद मौन हुआ सिद्धू आवास

नितिन धीमान, अमृतसर

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कभी टीम इंडिया में दमदार प्रदर्शन करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू राजनीति में रम नहीं पाए। टीवी शो में हॉस्ट के रूप में भी ज्यादा दिन नहीं टिक सके। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह द्वारा सिद्धू का इस्तीफा मंजूर करने के बाद यह चर्चा आम है कि अब सिद्धू का राजनीतिक करियर नहीं बचेगा।

सिद्धू को लेकर शनिवार को पंजाब की राजनीति में काफी गहमागहमी रही। दूसरी तरफ अमृतसर के होली सिटी क्षेत्र में स्थित सिद्धू आवास के बाहर घोर सन्नाटा पसरा था। इस कोठी के बाहर सुरक्षा कर्मचारी तैनात रहते हैं, लोगों की आवाजाही भी लगी रहती है, पर सिद्धू का इस्तीफा स्वीकृत होने के बाद यहां चहल-पहल न थी। कोठी के तीनों गेट अंदर से बंद थे। कुछ स्टाफ मेंबर्स कोठी में जरूर थे, पर कोठी की सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों ने दरवाजा बंद रखा था, इसलिए कोई भी अंदर नहीं जा सका।

कोठी के बाहर मीडिया का भारी जमावड़ा लगा था, लेकिन सिद्धू का स्टाफ व सुरक्षा कर्मचारी न बात करने को तैयार थे और न ही यह बताने को कि सिद्धू दंपत्ती कहां हैं। बीते सोमवार को जब सिद्धू ने अपना इस्तीफा कैप्टन को भेजा था तब उनकी कोठी के स्टाफ को छुट्टी देकर भेज दिया गया था। उस समय नवजोत कौर सिद्धू घर में थीं, पर उन्होंने मीडिया को प्रतिक्रिया देने से इन्कार कर दिया था। आज नवजोत कौर सिद्धू भी कोठी में न थीं।

असल में भाजपा से राजनीतिक पारी शुरू करने वाले सिद्धू ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद भाजपा पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी शाब्दिक हमले जारी रखे। कांग्रेस में सिद्धू की किरकिरी होने के बाद भाजपा में उन्हें जगह मिलना नामुमकिन है। वहीं आम आदमी पार्टी ने भी सिद्धू से किनारा कर लिया है। क्या सिद्धू कांग्रेस में बने रहते हैं? कांग्रेस उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपती है? क्या सिद्धू किसी क्षेत्रीय पार्टी में शामिल होंगे? ये सवाल हर किसी के मस्तिष्क में कौंध रहे हैं। बस्सी को चेयरमैन बनाकर सिद्धू का प्रभाव खत्म करने की कोशिश विधानसभा चुनाव में पूर्वी सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक दिनेश बस्सी को कैप्टन अमरिदर सिंह ने नगर सुधार ट्रस्ट का चेयरमैन नियुक्त कर दिया। कैप्टन ने बस्सी को चेयरमैन की सीट पर विराजमान करके सिद्धू का प्रभाव खत्म करने की कोशिश की थी। दरअसल, विधानसभा चुनाव में दिनेश बस्सी पूर्वी विधानसभा हलके से कांग्रेस के प्रबल दावेदार थे। ऐन मौके पर सिद्धू कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद कैप्टन के आदेश पर दिनेश बस्सी ने अपना नाम वापस लेकर सिद्धू के लिए सीट छोड़ दी थी। बस्सी ने सिद्धू के लिए चुनाव प्रचार भी किया, लेकिन चुनाव जीतने के बाद सिद्धू ने बस्सी से दूरियां बना लीं। निगम चुनाव में जब बस्सी ने चुनाव लड़ने के लिए अपने वार्ड से टिकट मांगा, तो सिद्धू ने इसका जमकर विरोध किया। सिद्धू ने बस्सी की बजाय अपने एक समर्थक को टिकट देने की मांग रखी। मुख्यमंत्री के ओएसडी कैप्टन संदीप सिंह और सिद्धू के बीच इस मामले को लेकर तल्खी भी हुई। कैप्टन अमरिदर के दखल के बाद बस्सी एक बार फिर पीछे हट गए थे। जीत का भ्रम

2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मिली सफलता ने पूर्व मंत्री नवजोत सिद्धू के अंतर्मन में भ्रम उत्पन्न कर दिया था कि यह जीत उनकी बदौलत है। सिद्धू ने चुनाव से पूर्व सौ से अधिक रैलियां की थीं। प्रदेश में कांग्रेस की जीत के बाद सिद्धू ने कई मौकों पर कैप्टन को राजनीतिक चुनौतियां भी दीं। सिद्धू अमृतसर संसदीय क्षेत्र से तीन बार लोकसभा चुनाव जीते, पर जीत के बाद लोगों से संपर्क एवं संवाद नहीं रखा। यही वजह रही कि हर चुनाव में उनकी जीत का प्रतिशत कम होता चला गया। स्थानीय निकाय मंत्री के रूप में सिद्धू अपने विधानसभा हलका ईस्ट की पिछड़ी आबादियों की दशा एवं दिशा सुधारने में नाकाम रहे। चुनाव जीतने के बाद मतदाताओं से उनकी दूरी भी उनके राजनीति करियर में कांटे बो रही है।

सिद्धू की मुश्किलें बढ़ी हैं। स्थानीय निकाय मंत्री के कार्यकाल में उनके द्वारा जिन प्रोजेक्टों को हरी झंडी दिखाई गई, उनकी जांच विजिलेंस द्वारा की जा रही है। विजिलेंस की टीम ने नगर सुधार ट्रस्ट अमृतसर व नगर निगम में दस्तक देकर विकास प्रोजेक्टों का रिकॉर्ड कब्जे में लिया है। चर्चा है कि नगर सुधार ट्रस्ट के ठेकेदारों की फाइलें सिद्धू की कोठी पर जाती थीं। कुछ प्रोजेक्टों में बड़े स्तर पर धांधली की संभावना भी है। सिद्धू के करीबियों ने कई प्रोजेक्ट हासिल किए। इस्तीफा देकर गलती की : डॉ. राजकुमार

विधायक डॉ. राजकुमार वेरका ने कहा कि सिद्धू ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर बड़ी गलती की है। विभाग बदलने पर कोई भी मुख्यमंत्री को चुनौती नहीं दे सकता। सिद्धू ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया, लेकिन पार्टी नहीं छोड़ी। कांग्रस पार्टी उन्हें केंद्र की राजनीति में आने पर बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।

इस्तीफा मंजूर होने से पंजाबवासियों ने राहत की सांस ली : तरुण चुघ

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुघ ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह नवजोत सिंह सिद्धू का इंतजार करते रहे कि वे ऊर्जा मंत्री का पद संभालें। सिद्धू ने कोई जिम्मेवारी नहीं संभाली। सिद्धू का इस्तीफा मंजूर होने से पंजाब वासियों ने राहत की सांस ली है।


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