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उपचार अमृतसर में, एमआरआइ टेस्ट जालंधर में

। निजी स्वास्थ्य सेवाओं के हब के रूप में विकसित हो रहे अमृतसर में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की दशा अच्छी नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 12:35 AM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 12:35 AM (IST)
उपचार अमृतसर में, एमआरआइ टेस्ट जालंधर में
उपचार अमृतसर में, एमआरआइ टेस्ट जालंधर में

नितिन धीमान, अमृतसर

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निजी स्वास्थ्य सेवाओं के हब के रूप में विकसित हो रहे अमृतसर में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की दशा अच्छी नहीं है। सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थागत ढांचा व स्टाफ की भारी कमी है, तो निजी अस्पतालों में मरीजों से मुंहमांगे दाम वसूले जा रहे हैं। अमृतसर का ईएसआइ अस्पताल इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। सरकारी एवं गैर सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के मकसद से खोले गए इस अस्पताल में भारी खामियां हैं।

ईएसआइ अस्पताल में दर्जनों व्यवस्थागत खामियां हैं, वहीं यहां एक ऐसी कुव्यवस्था है जो मरीजों को दौड़ने पर मजबूर कर रही है। दरअसल, ईएसआइ अस्पताल में उपचाराधीन मरीजों को एमआरआइ जैसा टेस्ट करवाने के लिए जालंधर की दौड़ लगानी पड़ रही है। अस्पताल में एमआरआइ की सुविधा उपलब्ध नहीं। ईएसआइ विभाग ने एमआरआइ टेस्ट करवाने के लिए जालंधर के एक निजी अस्पताल से अनुबंध किया है। अस्सी किलोमीटर दूर जालंधर जाना मरीजों के लिए टेढ़ी खीर है। यदि किसी मरीज के सिर पर चोट लगी है या शरीर का अंदरूनी हिस्से को भयानक बीमारी हो चुकी है तो इसके लिए एमआरआइ टेस्ट अनिवार्य है। ईएसआइ कार्ड धारक मरीज पहले ईएसआइ अस्पताल आएगा, फिर उसे टेस्ट के लिए जालंधर जाना होगा। अनुमान कर सकते हैं कि यह कितना पीड़ादायी होगा।

वास्तविक स्थिति यह है कि अमृतसर के गुरु नानक देव अस्पताल, गुरु रामदास मेडिकल कॉलेज एवं दर्जनों निजी अस्पतालों में एमआरआइ की सुविधा उपलब्ध है। ईएसआइ विभाग ने मरीजों की पीड़ा को नजरअंदाज करते हुए शहर के किसी अस्पताल से टाइअप करने की बजाय जालंधर स्थित एक निजी अस्पताल से टाइअप कर मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। हाल ही में गुरपाल सिंह नामक मरीज को ईएसआइ अस्पताल में एडमिट करवाया गया था। उसके सिर में दर्द उठता था। डॉक्टर ने एमआरआइ टेस्ट करवाने के लिए जालंधर जाने को कहा। गुरपाल की हालत ऐसी नहीं थी कि वह जालंधर जाकर टेस्ट करवा पाता, लेकिन सरकारी कुव्यवस्था के चलते उसे वहां जाना ही पड़ा। जालंधर से टेस्ट करवाकर गंभीर रूप से बीमार गुरपाल ईएसआइ अस्पताल आया और इलाज शुरू हुआ।

ईएसआइ अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो उनके पास एमआरआइ की सुविधा नहीं है। जालंधर में जिस अस्पताल से अनुबंध है, वहां एमआरआइ टेस्ट कैशलैस होता है। यह बहुत पीड़ादायी है, पर जिस प्रकार की व्यवस्था बनाई गई है उसी के तहत काम किया जा रहा है। एमएलए साहब! ईएसआइ अस्पताल में करो सुधार

ईएसआइ अस्पताल में फैली खामियों को दूर करवाने के लिए उत्तरप्रदेश कल्याण परिषद के पदाधिकारियों ने सोमवार को विधायक डॉ. राजकुमार वेरका को एक ज्ञापन सौंपा। परिषद के संरक्षक डॉ. जेपी सिंह, संस्थापक सुग्रीव सिंह, प्रधान सुखदेव पाल तथा महासचिव राम भवन गोस्वामी ने विधायक के समक्ष खामियां रखकर इन्हें ठीक करवाने की गुहार लगाई।

अस्पताल में यह हैं खामियां

1 ईएसआइ अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन है, पर रेडियोलॉजिस्ट नहीं। मरीजों को या तो गुरु नानक देव अस्पताल के जाकर अल्ट्रासाउंड करवाना पड़ता है या फिर किसी निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं।

2 एमआरआइ टेस्ट करवाने के लिए शहर के किसी अस्पताल से अनुबंध किया जाए, ताकि मरीजों को जालंधर न जाना पड़े।

3 अस्पताल की रसोई का चूल्हा ठंडा पड़ा है।

4 अस्पताल में ओपीडी स्लिप फ्री है, जबकि पार्किंग स्टैंड संचालक बीस रुपये वसूल रहा है। आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों का पार्किंग स्टैंड में आर्थिक शोषण होता है।

4 ईएसआइ कार्ड धारकों को अस्पताल में समयबद्ध मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं किया जा रहा। कुर्सी पर बैठे क्लर्क कार्ड धारकों से ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे उन्होंने अपनी जेब से भुगतान करना होता है।

5 अस्पताल में बिजली की तारें भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हैं। तारों के नंगे जोड़ किसी भी वक्त हादसे को निमंत्रण दे सकते हैं।

6 ईएसआइ विभाग ने जिले के 42 अस्पतालों से करार समाप्त कर दिया है। मरीजों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

7 अस्पताल में स्थित सरकारी क्वार्टरों की हालत खस्ता है। यह किसी भी वक्त धराशायी हो सकते हैं।

8 ईएसआइ अस्पताल में सबसे महत्वपूर्ण मेडिकल सुपरिटेंडेंट का पद ही रिक्त है। बिना अधिकारी के इस अस्पताल में स्टाफ पर किसी का नियंत्रण नहीं है।


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