सांसद ने घर-घर जाकर तलाशे नशेड़ी, 18 और को भेजा नशा मुक्ति केंद्र
अमृतसर के सांसद गुरजीत सिंह औजला मकबूलपुरा क्षेत्र में अल सुबह नशेड़ियों की तलाश में पहुंचे। एक-एक घर का दरवाजा खटखटाकर सांसद ने पूछा क्या आपके घर कोई नशा करता है?
जेएनएन, अमृतसर। गुमटाला के बाद दूसरे दिन भी सांसद गुरजीत ङ्क्षसह औजला मकबूलपुरा क्षेत्र में अल सुबह नशेडिय़ों की तलाश में पहुंचे। एक-एक घर का दरवाजा खटखटाकर सांसद ने पूछा क्या आपके घर कोई नशा करता है? तकरीबन डेढ़ घंटे तक हर चौखट पर दस्तक देकर औजला ने नशे की चपेट में आ चुके 18 युवाओं को ढूंढा।
गहरी नींद में सोये ये युवा आंखें मलते हुए बाहर निकले। नशे की अंधेरी दुनिया में अपने ङ्क्षजदगी का उजाला खो चुके थे। सांसद को अपने सामने पाकर नशेडिय़ों ने अपना दर्द आंसुओं के जरिए बयां किया। कहा- सर! हम नशा छोडऩा चाहते हैं, पर कमबख्त छूटता नहीं। हमारा बहुत बुरा हाल है, हमें बचा लीजिए।
दरअसल, सुबह तकरीबन साढ़े छह बजे मकबूलपुरा पहुंचे गुरजीत सिंह औजला ने इन 18 युवाओं को सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थित स्वामी विवेकानंद नशा मुक्ति केंद्र में एडमिट करवाया। इसी बीच देर शाम सांसद गुरजीत सिंह औजला ने ग्वाल मंडी क्षेत्र में दस्तक देकर नशेडिय़ों को नशा मुक्ति केंद्र तक पहुंचाया। रविवार को सांसद ने गुमटाला व किरण कॉलोनी क्षेत्र में भी दस्तक देकर सात नशेडिय़ों को नशा मुक्ति केंद्र पहुंचाया था।
गांव गुमटाला में लाेगाें को नशा के खिलाफ जागरूक करते सांसद गुरजीत सिंह औजला।
पुलिस का डोप टेस्ट हो तो 70 प्रतिशत नशेड़ी मिलेंगे
मकबूलपुरा में औजला ने पुलिस की कारगुजारी को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि पुलिस की मिलीभगत से नशा बिक रहा है। जिन पुलिस वालों पर लोगों की सुरक्षा का जिम्मा है, वे नशा तस्करों के साथ सांठ-गांठ कर जहर बेचने में मदद कर रहे हैं। पुलिस का डोप टेस्ट करवाया जाए तो 70 प्रतिशत नशेड़ी मिलेंगे। ऐसे पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को बख्शा नहीं जाएगा। इलाके के एसएचओ को जवाबदेह बनना होगा कि नशा क्यों बिकता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई कांग्रेस नेता नशा बेचने के लिए पुलिस पर दबाव बनाता है या किसी तस्कर की सिफारिश करता है, तो उसके बारे में पुलिस को बताएं।
विधवाओं की बस्ती के नाम से जाना जाता है मकबूलपुरा
मकबूलपुरा क्षेत्र की हर गली नशे के लिए बदनाम है। यहां पिछले पांच सालों में 100 से अधिक लोगों की जान नशे ने निगल ली। इस क्षेत्र को विधवाओं की बस्ती के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि नशे के कारण कई सुहागिनों की मांग का ङ्क्षसदूर उजड़ गया है। अफीम, मॉर्फिन, स्मैक, हेरोइन, गांजा सहित ऐसा कोई नशा नहीं जिसकी लत युवाओं को न लगी हो। स्थानीय निवासी बताते हैं कि इलाके में पिछले चालीस सालों से नशा रचा—बसा है। मकबूलपुरा की 13 गलियों में हर घर में लोग नशे का शिकार हैं।
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नशे के चक्रव्यूह में फंस गया 17 वर्षीय किशोर
एक 17 वर्षीय किशोर भी नशा मुक्ति केंद्र लाया गया। यह किशोर प्लस टू के पेपर देने के बाद नशे की दलदल में समा गया। औजला के सामने उसने कहा कि गांव में कई युवाओं मैंने अपनी आंखों से नशे के कारण तड़प-तड़प कर मरते देखा है। मैं अब नशा छोडऩा चाहता हूं।