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आज अमृतसर शहरी हलके को मिलेगा मान, कैबिनेट में जगह के लिए दौड़ में कुंवर से आगे डा. निज्जर

पंजाब कैबिनेट का चार जुलाई को विस्तार होने जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Jul 2022 12:23 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jul 2022 07:00 AM (IST)
आज अमृतसर शहरी हलके को मिलेगा मान, कैबिनेट में जगह के लिए दौड़ में कुंवर से आगे डा. निज्जर
आज अमृतसर शहरी हलके को मिलेगा मान, कैबिनेट में जगह के लिए दौड़ में कुंवर से आगे डा. निज्जर

विपिन कुमार राणा, अमृतसर: पंजाब कैबिनेट का चार जुलाई को विस्तार होने जा रहा है। 19 मार्च 2022 को बनी सरकार की कैबिनेट में अमृतसर शहरी क्षेत्र को 37 साल बाद नजरअंदाज करते हुए जगह नहीं दी गई थी। तब से यह टीस आप नेताओं और शहरी मतदाताओं में भी थी। अब कैबिनेट विस्तार में एक बार फिर से सबकी निगाहें मंत्री की कुर्सी पर टिकी हुई है। इसमें शहरी हलकों में मंत्री पद की दौड़ में विधायक डा. इंद्रबीर सिंह निज्जर सबसे आगे हैं। वहीं उनके बाद जिनका नाम चर्चा में है वो विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह का है। ऐसे में सोमवार को यह स्थिति साफ हो जाएगी।

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दरअसल, जिले में शहर हलकों में पांच विधानसभा की सीटें हैं। इन पर आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों का कब्जा है और यह उन्होंने कांग्रेस के दिग्गजों को हराते हुए किया। आप नेत्री एवं विधानसभा हलका पूर्वी से विधायक बनीं जीवनजोत कौर ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीपीसीसी) के पूर्व प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू और शिअद महासचिव बिक्रम सिंह मजीठिया को चुनाव में मात दी थी। कमोबेश ऐसे ही हालात अन्य हलकों में रहे। आप नेता कुंवर विजय प्रताप सिंह ने पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल जोशी, डा. अजय गुप्ता ने पूर्व उपमुख्यमंत्री ओम प्रकाश सोनी, डा. जसबीर सिंह संधू ने पूर्व कैबिनेट मंत्री डा. राजकुमार वेरका और डा. इंद्रबीर सिंह निज्जर ने चार बार के विजेता रहे इंद्रबीर सिंह बुलारिया को मात देते हुए विधानसभा में दस्तक दी। शहरी मतदाताओं ने जिस तरह से सभी को एक तरफा जीत दी, ऐसे में संभावना जताई जा रही थी कि शहर को भी कैबिनेट में मान मिलेगा, पर पहले चरण में ऐसा नहीं हो सका। पहली बार हार गए थे और दूसरी बार जीते थे डा. निज्जर

डा. इंद्रबीर सिंह निज्जर का आम आदमी पार्टी में अपना ही कद है। उनका शुमार सीनियर नेताओं में होता है। 2017 में भी उन्होंने विधानसभा हलका दक्षिणी से चुनाव लड़ा था और वह तब दूसरे नंबर पर रहे थे। आप की सरकार बनने के बाद उन्हें प्रोटेम स्पीकार यानी अस्थायी विधानसभा अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया था। केजरीवाल ने कुंवर से किया था मंत्री बानने का वादा

वहीं पूर्व आइपीएस अधिकारी डा. कुंवर विजय प्रताप सिंह का शुमार भी आप के वरिष्ठ नेताओं में होता है। कुंवर की ज्वाइनिग के वक्त ही आप सुप्रीमो अरविद केजरीवाल ने सरकार बनने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाने की बात कही थी, पर सरकार बनने के बाद से ही उनकी उपेक्षा हो रही है। कुंवर खुद कई बार सरकार को कई मामलों में कठघरे में खड़ा कर चुके हैं। 37 साल बाद अमृतसर शहर की कैबिनेट में हुई थी उपेक्षा

आम आदमी पार्टी को एकतरफा बढ़त देने के बावजूद अमृतसर शहर का खाता कैबिनेट में खाली रहा। अमृतसर शहरी की पांचों विधानसभा सीटों पर लोगों ने आप नेताओं को एकतरफा बढ़त दी, पर मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से बीते 19 मार्च को गठित की गई कैबिनेट में शहरी हलकों में से किसी एक भी नेता को कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है। खास बात तो यह है कि 1985 यानी 37 साल के बाद यह पहला ऐसा मौका रहा, जब शहरी नेताओं को नजरअंदाज किया गया और कैबिनेट में जगह नहीं दी गई। इससे शहरी मतदाताओं में निराशा है कि उनका प्रतिनिधित्व करने वाले किसी भी एक विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं दी गई है। 1952 में पहली बार अमृतसर शहरी को दी गई थी कैबिनेट में जगह

पंजाब विधानसभा चुनाव में 1952 में पहली बार कैबिनेट में अमृतसर शहरी को जगह दी गई। तब सत्यपाल को विधानसभा का स्पीकर नियुक्त किया गया। 1957 और 1962 की सरकार की कैबिनेट में अमृतसर शहरी को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया, पर 1967 की गठबंधन सरकार में बलराम दास टंडन, डा. बलदेव प्रकाश और कामरेड सतपाल डांग को जगह दी गई। 1972 की ज्ञानी जैल सिंह सरकार में भी ज्ञानचंद खरबंदा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया, जबकि 1977 की सरकार में बलराम दास टंडन और 1980 की सरकार में बृज भूषण मेहरा को विधानसभा का स्पीकर बनाया गया। कब-कब कैबिनेट में मिला अमृतसर को प्रतिनिधित्व

-1984 के आपरेशन ब्लू स्टार के बाद 1985 में 63 सीटें लेकर बनी कांग्रेस सरकार में भी अमृतसर शहरी को नजरअंदाज किया गया था। तब शहरी चार हलकों में से तीन पर कांग्रेस और एक पर जनता पार्टी का प्रत्याशी विजेता रहा। तब विजयी रहे शहरी नेताओं में से एक को भी कैबिनेट में जगह नहीं दी गई।

-1992 में शहरी सीट से विजयी मनिदरजीत सिंह बिट्टा और फकीरचंद को कैबिनेट में जगह दी गई।

-1997 की अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार में शहरी पांच सीटों से विजयी रहे डा. बलदेव राज चावला और मनजीत सिंह कलकत्ता को कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

-2002 की कांग्रेस सरकार में प्रो. दरबारी लाल को पहले डिप्टी स्पीकर और बाद में शिक्षा मंत्री बनाया गया।

-2007 की अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार में प्रो. लक्ष्मीकांता चावला को सेहत मंत्री बनाया गया।

-2012 की अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार में अनिल जोशी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया।

-2017 की कांग्रेस सरकार में पहले नवजोत सिंह सिद्धू को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। बाद में उनके द्वारा मंत्रालय छोड़े जाने के बाद ओम प्रकाश सोनी को पहले कैबिनेट मंत्री और बाद में उपमुख्यमंत्री बनाया गया। सरकार के अंतिम पड़ाव में डा. राजकुमार वेरका को भी शहर का प्रतिनिधित्व देते हुए कैबिनेट में जगह दी गई।


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