मेरिटोरियस स्कूल में नहीं भर रही सीटें, पिछले साल 89 प्रतिशत खाली रहीं
तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मेरिटोरियस स्कूल स्थापित किए थे।
अखिलेश सिंह यादव, अमृतसर : सरकारी स्कूलों के होनहार विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई निश्शुल्क जारी रखने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मेरिटोरियस स्कूल स्थापित किए थे। जिला अमृतसर में अटारी बाईपास रोड पर दस एकड़ में मेरिटोरियस स्कूल बना हुई है। इसके लिए गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी ने दस एकड़ की जगह लीज पर दी थी। उसके बाद इस स्कूल को बनाने का जिम्मा पंजाब सरकार ने उठाया। इस स्कूल में 11वीं कक्षा में दाखिला दिया जाता है। चिंता की बात है कि पिछले चार साल से शहर के मेरिटोरियस स्कूल की सभी सीटें भर नहीं पाई हैं। वहीं पिछले साल तो सिर्फ 11 प्रतिशत सीटें भर पाई थीं और 89 प्रतिशत खाली रही थीं। यह सरकार व शिक्षा विभाग की कारगुजारी को संदेह के घेरे में खड़ा करता है।
स्कूल में 11वीं में दिया जाता है दाखिला
वर्ष 2019 में सर्वाधिक 463 विद्यार्थियों ने 11वीं कक्षा में एडमिशन लिया था। कोविड-19 के चलते वर्ष 2020 में दाखिला शून्य रहा था। मेरिटोरियस स्कूल में कुल 1000 सीट है। प्लस वन में 500 और प्लस टू में 500 सीट उपलब्ध है लेकिन दाखिला सिर्फ 11वीं कक्षा के लिए ही लिया जाता है। प्लस वन कक्षा पास करने वाले विद्यार्थियों को आगे प्रमोट करके 12वीं की 500 सीटें भरी जाती है। कोट्स
वर्ष 2022 में उम्मीद है कि मेरिटोरियस स्कूल की सभी सीटें भर ली जाए। 500 सीटों के मुकाबले करीब 900 विद्यार्थी प्रवेश परीक्षा में बैठेंगे। निजी इंस्टीट्यूट के साथ शिक्षा विभाग ने अनुबंध किया है। विषय विशेषज्ञ विद्यार्थियों को आनलाइन कोचिग प्रदान कर रहे हैं।
-सवजीत कौर, प्रिसिपल, मेरिटोरियस स्कूल -500 सीटें हैं 11वीं कक्षा और 500 ही सीटें 12वीं में होती हैं
-419 बच्चों का पिछले तीन वर्षो में 2019 में सर्वाधिक दाखिला था
-2020 वर्ष में कोविड के चलते शून्य रहा था दाखिला वर्ष कुल सीटें भरी सीटें
2019 500 463 (92.6 प्रतिशत)
2018 500 411 (82.2)
2020 500 0 (कोविड के कारण दाखिला परीक्षा नहीं हुई)
2021 500 57 (11 प्रतिशत) एक्सपर्ट व्यू: सीटें न भरने की वजह
विशेषज्ञों की मानें तो पिछले समय के दौरान स्कूलों की तरफ ध्यान न देने, बच्चों को मिलने वाली डाइट मनी कम करने, स्कूल का सारा स्टाफ कांट्रैक्ट पर होने के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। हालांकि इस सेशन में दाखिले अभी शुरू होने हैं। सुझाव: निजी स्कूलों के होनहारों को भी मिले दाखिला
निजी स्कूल की संस्थाओं ने भी कई बार सरकार के समक्ष आवाज उठाई है कि उनके स्कूलों में पढ़ने वाले जरूरतमंद होनहार विद्यार्थियों को भी दाखिला प्रवेश परीक्षा में बिठाया जाए। यदि सरकार इस प्रस्ताव पर अमल करती है तो स्कूल की सभी सीटों को भरा जा सकता है। ये सुविधाएं हैं मौजूद
-11वीं की मेडिकल, नान मेडिकल और कामर्स विषय की निश्शुल्क पढ़ाई
-खाना, होस्टल, वर्दी, और खास कोर्स के लिए एक्स्ट्रा पढ़ाई भी निश्शुल्क सरकार ने डाइट मनी घटाई
-स्कूल में प्रति बच्चे के हिसाब से 150 रुपये डाइट मनी मिलती थी। इसमें खाने के अलावा सप्ताह में दो दिन नान वेज, स्वीट् डिश, दो टाइम दूध, रोज फल मिलता था।
-कांग्रेस सरकार में यह डाइट मनी केवल 75 रुपये कर दी गई और रोजाना मिलने वाले खाने में से नान वेज और स्वीट डिश बंद कर दी गई है। दूध दो टाइम से कम कर एक बार और दो दिन बाद फल कर दिया गया है।