Move to Jagran APP

ऑनलाइन गेम्स का चक्रव्यूह, आधी रात को गेमिंग की दुनिया में खो रहा देश का भविष्य

बचपन की दहलीज लांघकर किशोरावस्था में कदम रखने वाले किशोर ऑनलाइन गेम्स के मायाजाल मे फंसते जा रहे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 11:25 AM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 09:01 AM (IST)
ऑनलाइन गेम्स का चक्रव्यूह, आधी रात को गेमिंग की दुनिया में खो रहा देश का भविष्य
ऑनलाइन गेम्स का चक्रव्यूह, आधी रात को गेमिंग की दुनिया में खो रहा देश का भविष्य

अमृतसर [नितिन धीमान]। बचपन की दहलीज लांघकर किशोरावस्था में कदम रखने वाले किशोर ऑनलाइन गेम्स के मायाजाल मे फंसते जा रहे हैं। आधी रात को जब सारी दुनिया नींद में होती है, तब 16 साल तक के किशोर मोबाइल के जरिये ऑनलाइन गेम खेलने में मशगूल हो जाते हैं। भारत ही नहीं, दुनियाभर के किशोर रात को ऑनलाइन होकर एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं। इन किशोरों को सिर्फ रैंकिंग चाहिए। गेम का मकड़जाल उन्हें इस कदर अपनी गिरफ्त में ले रहा है कि कई तो बीमार होने लगे हैं।

loksabha election banner

अमृतसर में दो निजी अस्पतालों में ऑनलाइन गेमिंग की लत का शिकार तीन किशोर रिपोर्ट हुए हैं। ये तीनों ही पबजी नामक ऑनलाइन गेम खेलते थे। इनमें से दो किशोर ऐसे हैं जो रात दस बजे बिस्तर पर लेटकर आंखें बंद कर यह दिखावा करते कि वे सो गए हैं। रात बारह बजे जब परिवार के सभी सदस्य गहरी नींद में होते तो मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलने लगते। इनका एक ही मकसद था कि प्रतिद्वंद्वियों को मात देकर अधिकाधिक रैंकिंग हासिल कर सकें।

ऑनलाइन गेमिंग का शिकार एक बच्चे का ट्रीटमेंट कर रहे डॉ. अमिताब मोहन जैरथ बताते हैं कि यह बहुत ही खतरनाक खेल है। ज्यादातर यूजर्स इस गेम के लिए अपनी नींद कुर्बान कर रहे हैं। इसका विपरीत प्रभाव उनके शरीर पर पड़ रहा है। किशोर सुबह उठ नहीं पाते हैं। इससे वे अनिद्रा व तनाव का शिकार हो रहे हैं। वहीं उनको पेट की बीमारियां भी घेर रही हैं। स्कूल में उनका रिपोर्ट कार्ड जीरो हो रहा है।

ऑनलाइन गेम्स में अट्रैक्टिव ग्राफिक्स, पावरफुल साउंड और मोशन सेंसरिंग टेक्नोलॉजी यूजर्स को अपनी ओर आकर्षित करती है। पबजी गेम की लत कितनी बढ़ चुकी है, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि यह गेम अब तक 5 करोड़ से भी ज्यादा बार डाउनलोड की जा चुकी है। इसके लिए सुबह चार से पांच बजे तक किशोर मोबाइल पर उलझे रहते हैं।

किशोरों के दिलों-दिमाग में घर कर चुकी है पबजी गेम

मनोचिकित्सक डॉ. हरजोत सिंह मक्कड़ के अनुसार हाल ही में दो ऐसे किशोर उनके पास लाए गए थे जो ब्लू व्हेल गेम की आखिरी स्टेज तक पहुंचने वाले थे। इस गेम की आखिरी स्टेज आत्महत्या के लिए उकसाती है। इन्हें ट्रीटमेंट व काउंसलिंग देकर ठीक किया गया है। असल में ऑनलाइन गेम्स में पबजी एक मिशन और एक्शन गेम है। दो महीने पूर्व अस्तित्व में आई यह गेम कम समय में किशोरों के दिलों-दिमाग में घर कर चुकी है।

स्मार्टफोन में इंटरनेट के जरिये किशोर व युवा इससे जुड़ जाते हैं और फिर रैंकिंग बनाने के लिए माथाचप्पी करते हैं। गेम जीतने के लिए 99 यूजर्स को मारना पड़ता है। रैंकिंग करने पर इन्हें झटका लगता है, जिससे उनकी मानसिक अवस्था विकृत होती जा रही है। उनके पास भी पबजी गेम के कारण मानसिक तनाव में पहुंचे किशोर लाए जा रहे हैं। चूंकि, इन किशोरों को मोबाइल से दूर कर दिया गया है, इसलिए इनके मन में अजीब सी छटपटाहट है। मानों इनसे कोई कीमती वस्तु छीन ली गई।

आत्महत्या के लिए उकसाती हैं कई गेम्स

डॉ. मक्कड़ के अनुसार कई ऑनलाइन गेम्स किशोरों को आत्महत्या के लिए उकसाती हैं। ब्लू व्हेल गेम इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जिसने विश्व भर में तीस किशोरों एवं युवाओं को निगल लिया। ऐसे में यह जरूरी है कि अभिभावक अपने बच्चों को मोबाइल फोन से दूर रखें। रात के समय यह जरूर देखें कि कहीं आपका बच्चा मोबाइल का इस्तेमाल तो नहीं कर रहा।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.