पाक से कई सवाल लेकर लौटा भारतीय सिख श्रद्धालुओं का जत्था
अटारी (अमृतसर) : वैशाखी पर्व पर खालसा सृजना दिवस के मौके पाकिस्तान में ननकाना साहिब व लाहौर के गुरुधामों के दर्शनों के बाद शनिवार को कुल 1796 यात्रियों का जत्था शनिवार को तीन स्पेशल ट्रेन से भारत लौट आया।
जागरण संवाददाता, अटारी (अमृतसर) : वैशाखी पर्व पर खालसा सृजना दिवस के मौके पाकिस्तान में ननकाना साहिब व लाहौर के गुरुधामों के दर्शनों के बाद शनिवार को कुल 1796 यात्रियों का जत्था शनिवार को तीन स्पेशल ट्रेन से भारत लौट आया।
इनके चेहरों पर कई सवाल थे। पाकिस्तान में सिख श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान मिलने वाली सुविधाओं को लेकर दबी आवाज के कई लोगों ने यह बात कही मगर कोई भी यात्री इस पर खुल कर बोलने को तैयार नहीं था।
एसजीपीसी की ओर से 717 यात्री 12 अप्रैल 2018 को अटारी अंतरराष्ट्रीय रेल मार्ग से ननकाना साहिब के लिए गए थे। एसजीपीसी के जत्थे में शामिल गढ़शंकर (होशियारपुर) की किरण बाला ने पाक में इस्लाम कबूल कर वहीं शादी कर ली और वहीं रह गई। इसके अलावा 1080 यात्री दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी व अन्य राज्यों के थे। इस दौरान गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब के अलावा लाहौर में श्री पंजा साहिब सहित कई अन्य गुरुधामों के दर्शन किए। एसजीपीसी के जत्थे का नेतृत्व कर रहे गुरमीत ¨सह बूह ने बताया कि श्री ननकाना साहिब के 2-3 गुरुद्वारों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप नहीं थे, जिसके बारे में उन्होंने ओकाफ बोर्ड को बताया।
अंतरराष्ट्रीय अटारी रेलवे स्टेशन से कस्टम व इमीग्रेशन करवाने के बाद बूह ने बताया कि ओकाफ बोर्ड अगले साल गुरु नानक देव जी का 550 जन्म दिवस बड़े स्तर पर मनाना चाहता है। बोर्ड के सदस्यों ने उन्हें बताया कि इसके लिए पाकिस्तान सरकार 60 हजार से 1 लाख तक श्रद्धालुओं को वीजा देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए उन्होंने बोर्ड से कहा कि इससे पहले वे एक शिष्टमंडल लेकर भारत आएं ताकि 550 साला दिवस मनाए जाने पर विचार-विमर्श किया जा सके।
वहीं दूसरी तरफ भी सामने आया कि पाकिस्तान सरकार ने इस बार सिख श्रद्धालुओं को वैशाखी पर फ्री यात्रा करवाने की बात कही थी। लेकिन वाघा पहुंचते ही उन लोगों से 1800 रुपये प्रति व्यक्ति ले लिए। वहीं ननकाना साहिब गुरुद्वारा में कार सेवा शुरू होने के चलते यात्रियों को सरकारी आइसा हाई स्कूल, हाजी कैंप, सरकारी आइसा डिग्री कालेज फार वूमेन बादामी बाग और सरकारी हाई स्कूल सय्यद मिट्ठा बाजार में ठहराया गया। इसे लेकर भी यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
कुछ लोगों ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस बार भारत के हाई कमिश्नर को भी उनसे नहीं मिलने दिया गया। इस बीच किरण बाला के गायब होने के बाद उन्हें भी शक की नजर से देखा जाने लगा और वहां की खूफिया एजेंसियों ने तो कुछ लोगों से पूछताछ भी की। यात्रा के अंतिम तीन दिन को वहां की सुरक्षा एजेंसियों के साथ-साथ खूफिया एजेंसियों के कर्मचारी व अधिकारी उन्हें लगातार घेरे रहे। साल 2015 में पत्नी व बच्चों संग गायब हो गया था सुनील ¨सह
जिस तरह इस बार वैशाखी पर गए जत्थे में किरण बाला गायब हो गई, इसी तरह तीन साल पहले भी फरीदकोट का एक परिवार गायब हो गया था। फरीदकोट के निकट गांव सांधावाला निवासी सुनील ¨सह साल 2015 में वैशाखी पर अपनी पत्नी सुनीता, बेटे उमेर तथा बेटी हुमा के साथ सिख श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ गया था। वहां पहुंचने के बाद वह अपनी पत्नी और बच्चों सहित गायब हो गया, जिसका आज तक न तो पाक की एजेंसियां ही पता लगा पाई और न ही इधर उसका कुछ पता चल सका।