विवादित पुस्तकों को लेकर अकाल तख्त से चंडीगढ़ तक रोष मार्च शुरू
अमृतसर पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से इतिहास की पुस्तकों में गुरु साहिब के इतिहास को तोड़मरोड़ कर पेश करने के खिलाफ यहां अकाली दल और एसजीपीसी ने सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया है
जागरण संवाददाता, अमृतसर
पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से इतिहास की पुस्तकों में गुरु साहिब के इतिहास को तोड़मरोड़ कर पेश करने के खिलाफ यहां अकाली दल और एसजीपीसी ने सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया है वहीं सोमवार को एसजीपीसी द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में गुरु साहिब के संबंध में उपयोग की गई गलत शब्दावली खिलाफ लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी ने मोर्चा खोल दिया है। सोसायटी के नेता बलदेव ¨सह सिरसा ने एसजीपीसी की पुस्तकों में गुरु साहिब के खिलाफ गलत शब्दों का उपयोग करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब से चंडीगढ़ तक मार्च की शुरूआत की है। यह मार्च सिरसा के नेतृत्व में श्री अकाल तख्त साहिब पर अरदास करके चंडीगढ के लिए रवाना हो गया। मार्च में शामिल सदस्यों ने काले रंग के चोले पहने हुए थे।
चंडीगढ़ रवाना होने से पहले मीडिया के साथ बातचीत करते हुए बलदेव सिहं सिरसा ने कहा कि अकाली दल और एसजीपीसी पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की पुस्तकों में दर्ज गुरु साहिब के साथ संबंधित गलत इतिहास संबंधी आंदोलन कर रही है। परंतु अकाली के प्रभाव के नीचे चल रही एसजीपीसी ने जो पुस्तकें प्रकाशित की है उनमें जो गलत गुरु इतिहास दर्ज किया गया है उस के खिलाफ एसजीपीसी और अकाली दल क्यों कार्रवाई नहीं कर रहा है। इस मुद्दों को लेकर वह पिछले कई वर्षों से आवाज बुलंद कर रहे हैं। एसजीपीसी की ओर से प्रकाशित ¨हदी की पुस्तक सिख इतिहास, गुरु बिलास पातशाही छेवीं और गुरमति प्रकाश पत्रिका दिसंबर 2013 में गुरु साहिब के सबंध में गलत शब्दों का उपयोग किया गया है। इसी तरह नागपुर के एक पब्लिशर की ओर से भी गुरु साहिब के संबंध में प्रकाशित पुस्तकों में गलत तथ्य पेश किए गए है। अभी तक न तो अकाली दल ने इस मामले को उठाया और न ही एसजीपीसी ने अभी तक इन पुस्तकों के लेखकों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है। जिस के चलते वह चंडीगढ़ में 6 नवंबर को पहुंच कर पंजाब के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे कि इन पुस्तकों के लेखकों और प्रकाशकों के खिलाफ भी कानून के अनुसार कार्रवाई की जाए। इस मौके पर अलग अलग संगठनों हिम्मत ए खालसा के भाई पंजाब ¨सह , सूबेदार हरजीत ¨सह , व लपप्रीत ¨सह आदि भी मौजूद थे।