कोरोना ने छीन ली नौकरियां, शास्त्री मार्केट में व्यापार हुआ चौपट
शास्त्री मार्केट गुरुनगरी की सबसे विख्यात है। यहां पर शाल कंबल कपड़े रेडीमेड गारमेंट्स की होलसेल व रिटेल की दुकानें हैं।
कमल कोहली, अमनदीप, अमृतसर: शास्त्री मार्केट गुरुनगरी की सबसे विख्यात है। यहां पर शाल, कंबल, कपड़े, रेडीमेड गारमेंट्स की होलसेल व रिटेल की दुकानें हैं। इस मार्केट में पंजाब के अन्य कई शहरों के अलावा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश से ग्राहक काफी संख्या में आते हैं, पर इस समय यह बाजार भी मंदी के दौर में गुजर रहा है। कोरोना के कारण इनके कारोबार पर भी बुरी मार पड़ी है। जिन दुकानदारों के पास पांच-छह कर्मचारी होते थे वहां पर सिर्फ अब एक-दो कर्मी ही रह गए हैं। दैनिक जागरण के फेसबुक लाइंव के दौरान इस मार्केट के दुकानदारों ने अपनी समस्याओं को उठाया। कारोबारियों ने बताया कि पिछले करीब डेढ़ साल से कारोबार ठप हो चुका है। कोरोना ने ऐसी चोट की कि दुकानों के खर्चे तक निकालना मुश्किल हो गया है। सरकार की ओर से कारोबारियों को कोई राहत न देने के कारण दुकानदार परेशानी में है। व्यापार करना मुश्किल है। सुबह आते हैं और शाम को लौट जाते हैं। ग्राहक आ ही नहीं रहा। टैक्स, बिजली बिल समेत अन्य खर्चे निकालना मुश्किल हो गया है। जिस बाजार में भीड़ होती थी, वहां सुनसान पड़ा हुआ है। ऐसे में सरकार ने भी कारोबारियों की कोई सहायता नहीं की है।
-कुलदीप सिंह, दुकानदार हमारी दुकान में पहले 5-6 लड़के होते थे। परंतु अब दो लड़के ही रह गए हैं। कारोबार काफी ठप हो गया है। समस्याएं दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। खर्चे नहीं निकल रहे हैं। टूरिस्ट न होने के कारण भी व्यापार मंदी के दौर में हैं।
-विक्की, दुकानदार महंगाई का दौर है। लोग बहुत जरूरी वस्तुएं खरीदने को तरजीह दे रहे हैं। टूरिस्ट न होने के कारण बाजार में मंदी है। सरकारों ने कोई रिलीफ नहीं दी है। सरकारी कर्मचारियों को तो काफी राहत मिल जाती है लेकिन जो टैक्स ज्यादा भरते हैं उनको कोई छूट नहीं दी है।
-संजय राणा, दुकानदार कई दुकानदार तो दुकान भी नहीं खोलने आते हैं, क्योंकि बाजार में ग्राहक ही नहीं है। ऐसे हालत में व्यापार करना अब मुश्किल होता जा रहा है। पिछले दो साल से दुकानदार इसी समस्या से जूझ रहे हैं। करोड़ों की व्यापार वाली मार्केट जीरो तक सीमित रह गई है।
-अशीष कुमार, दुकानदार सरकार ने महामारी के दौरान कारोबारियों को कोई राहत नहीं दी है। अब अकेले ही दुकान पर कार्य करना पड़ता है। कई लोग बेरोजगार हो चुके हैं। अगर दुकानदारों के मालिकों के पास काम नहीं है तो वह नौकरी करने वाले कर्मचारियों को वेतन कैसे दें। बाजार बिल्कुल सुनसान पड़ा है। सरकार को मदद करनी चाहिए थी।
-राकेश भंडारी, दुकानदार सरकार सिर्फ टैक्स लेने के चक्कर में ही रहती है। किसी भी सरकार ने कोई मदद नहीं की है। सभी दुकानदार बेकारी के आलम में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इस बाजार में जो रेहड़ियां लगाकर अपनी जीविका कमाते थे। उनका काम भी काफी प्रभावित हुआ है।
-चमनलाल, दुकानदार दूसरे प्रदेशों से ग्राहक ना आने के कारण भी शास्त्री मार्केट में व्यापार काफी प्रभावित हुआ है। महामारी के कारण व्यापार नाममात्र ही रह गया है। खर्चे निकालने मुश्किल हो गए हैं। यदि हालात ऐसे ही रहे तो कई दुकानें बंद हो जाएंगी।
-सूरज सूद, दुकानदार पिछले दो वर्ष से सीजन नहीं लगा है, जिस दुकान में कई कर्मचारी अपनी जीविका कमाते थे, वह नौकरी से वंचित हो चुके हैं। बेकारी का आलम बड़ा है। पर सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं जा रहा। सरकार को सरकारी कर्मचारियों की तरह व्यापारियों की भी सुध लेनी चाहिए।
-गुरचरण सिंह, दुकानदार महामारी ने व्यापार की परिभाषा ही बदल दी है। कारोबार ठप है। बिजली के बिल व अन्य टैक्स समय से लिए जा रहे हैं। महंगाई की मार भी पड़ी है। ऐसे में लोगों की परचेजिग पावर कम हुई है। सरकार को कारोबारियों को राहत देनी चाहिए ताकि कारोबार पटरी पर आ सके।
-किशन, दुकानदार इतिहास : 1960 में अस्तित्व में आई थी यह मार्केट
शास्त्री मार्केट में अधिकतर होलसेल के व्यापारी हैं। इस मार्केट में कंबल, शाल, कपड़े तथा रेडीमेड की दुकानें हैं। इस बाजार में रिटेल की भी दुकानें है जो सीजन के अनुसार कपड़ों का व्यापार करते हैं। मार्केट काफी विख्यात है। यहां पर दूसरे प्रदेशों से भी काफी ग्राहक आते है। यह मार्केट 1960 में अस्तित्व में आई थी तथा इसका नाम शास्त्री मार्केट रखा गया था।