पदमश्री डॉ. सुरजीत पातर ने मां बोली को प्रफुल्लित करने का किया आह्वान
खालसा कॉलेज में पदमश्री डॉ. सुरजीत पातर ने युवा पीढ़ी को मां बोली पंजाबी को प्रफुल्लित करने का आह्वान किया।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : खालसा कॉलेज में पदमश्री डॉ. सुरजीत पातर ने युवा पीढ़ी को मां बोली पंजाबी को प्रफुल्लित करने का आह्वान किया। उन्होंने अपने संबोधन में जहां बुद्धिजीवियों, साहित्य प्रेमियों की तरफ से पंजाब, पंजाबी व पंजाबियत को जीवित रखने के लिए लंबे समय से दिए जा रहे योगदान की बात कही, वहीं उन्होंने वर्तमान पीढ़ी को इसको न भूलने पर जोर देते हुए इसके प्रचार व प्रसार के लिए अपनी अहम भूमिका निभाने पर जोर दिया। डॉ. पातर खालसा कॉलेज में 14 फरवरी तक चलने वाले साहित्य उत्सव व पुस्तक मेले के संबंध में मुख्य मेहमान के रूप में यहां पहुंचे थे।
उन्होंने खालसा कॉलेज गवर्निग कौंसिल (केसीजीसी) के ऑनरेरी सचिव राजिंदर मोहन सिंह छीना के साथ मिल कर विशाल पंडाल में पचास से अधिक प्रकाशकों की ओर से लगाए गए पुस्तकों के स्टाल का उद्घाटन किया। विशेष मेहमान के तौर पर पहुंचे डॉ. लखविदर सिंह जौहल ने कहा कि पुस्तकें पंजाबी सभ्याचार का शुरू से ही हिस्सा रही हैं। आज भी अवसर है कि लोग यहां आकर पुस्तक मेले का हिस्सा बने व अच्छी पुस्तकों का चयन करके अपने घर ले जाएं।
प्रि. डॉ. महल सिंह आयोजकों का जताया आभार
कॉलेज के प्रिसिपल डॉ. महल सिंह ने समारोह में पहुंचे मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि माझा जोन के इलाके में इस बड़े साहित्य उत्सव व पुस्तक मेले को लगाने में पंजाब कला परिषद चंडीगढ़, पंजाब अकादमी दिल्ली व पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला ने विशेष रूप में सहयोग दिया है। उद्घाटन सेशन के बाद डॉ. सुरजीत पातर का रूबरू प्रोग्राम करवाया गया, जिसमें उन्होंने अपने काव्य सफर का विस्तार से श्रोताओं के सामने पेश किया व अपनी प्रमुख रचनाओं का गायन भी किया। इसके बाद तीसरे सेशन में बाद दोपहर स्थानीय कवियों का कवि दरबार करवाया गया, जिसे श्रोताओं की ने भरपूर सराहा। इस मौके पर कॉलेज रजिस्ट्रार प्रो. दविदर सिंह, डॉ. परमिदर सिंह, डॉ. भूपिंदर सिंह, डॉ. कुलदीप सिंह ढिल्लो, डॉ. हीरा सिंह, डॉ. मिन्नी सलवान, डॉ. हरजीत कौर, डॉ. जसबीर सिंह, डॉ. गुरिदर कौर, डॉ. पवन कुमार, प्रो. बलजिंदर सिंह, प्रो. गुरशरण सिंह, प्रो. गुरशिदर कौर, प्रो. अमनदीप कौर, डॉ. राजबीर कौर, डॉ. चिरजीवन कौर, प्रो. हरविदर कौर, प्रो. अमृतपाल कौर, डॉ. रजनीश कौर, डॉ. परमिदरजीत कौर आदि मौजूद थे।