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लंगूर मेले में कोरोना कवच पहन बच्चे बनेे लंगूर, अमृतसर में 10 दिन चलता है उत्सव, जानेंं क्या हैै मान्यता

भगवान बजरंग बली के प्रति आस्था का प्रतीक लंगूर मेला (Langoor Mela) अमृतसर के बड़ा हनुमान मंदिर में शुरू हो गया है। देश विदेश से माता-पिता बच्चों को यहां लंगूर बनाकर लाते हैं। जानेें क्या है इसके पीछे की धार्मिक मान्यता...

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 11:47 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 12:39 PM (IST)
लंगूर मेले में कोरोना कवच पहन बच्चे बनेे लंगूर, अमृतसर में 10 दिन चलता है उत्सव, जानेंं क्या हैै मान्यता
अमृतसर में लंगूर मेले में मास्क पहनकर आए बच्चे।

अमृतसर [राघव शिकारपुरिया]। भूत, पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे...। जब भी कष्ट आता है तो बजरंग बली का नाम मन में आता है। उनकी चालीसा की यह पंक्तियां खुद मुंह से निकलने लगती हैं। इसी आस्था का प्रतीक लंगूर मेला (Langoor Mela) अमृतसर के बड़ा हनुमान मंदिर में शुरू हो गया है। इस मेले की खासियत यह है कि यहां नवरात्र के पहले दिन से दशहरे तक लाखों बच्चे लंगूर का रूप धारण कर पहुंचते हैं। इस मेलेे में देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी बच्चे अपने अभिभावकों के साथ दुर्ग्याणा तीर्थ पहुंचते हैं।

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अमृतसर के श्री दुग्र्याणा तीर्थ स्थित श्री बड़ा हनुमान मंदिर में विश्व प्रसिद्ध दस दिवसीय लंगूर मेला नवरात्र के पहले दिन शनिवार को शुरू हो गया। इस बार कोरोना के कारण अपेक्षाकृत भीड़ कम रही, लेकिन फिर भी तीन हजार बच्चों ने लंगूर बन माथा टेका। अभिभावकों ने कोरोना से बचाव का पूरा ध्यान रखा और लंगूर बने अपने बच्चों को कोरोना कवच (मास्क) पहनाकर मंदिर में माथा टिकवाया। मान्यता है कि जो लोग यहां संतान प्राप्ति के लिए मन्नत मांगते हैं, उनकी मुराद अवश्य पूरी होती है। संतान होने के बाद वह अपने बच्चों को लंगूर बनाकर माथा टिकवाते हैं।

इसलिए मनाया जाता है लंगूर मेला

श्री बड़ा हनुमान मंदिर श्री रामायण कालीन युग से है। इस मंदिर में श्री हनुमान जी की बैठी अवस्था में मूर्ति है। कहा जाता है कि यह मूर्ति श्री हनुमान जी ने स्वयं बनाई थी। लव-कुश ने जब भगवान श्रीराम जी की सेना के साथ युद्ध किया था, तब लव-कुश ने इसी मंदिर में श्री हनुमान को वट वृक्ष से बांध दिया था। यह वट वृक्ष आज भी मंदिर परिसर में मौजूद है। जब हनुमान बंधन मुक्त हुए तो श्रीराम ने उनको आशीर्वाद दिया कि जहां उनकी संतान का मिलन हुआ है वहां जो भी प्राणी संतान प्राप्ति की मनोकामना करेगा, पूरी होगी। इसलिए यहां परिवार संतान प्राप्ति की मनोकामना करते हैं। संतान होने के बाद बच्चे को लंगूर बनाकर यहां माथा टेकने के लिए लाते हैं।

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पूरे प्रबंध

पंडित मनीश कुमार व पंडित भगवान दास द्वारा श्री हनुमान जी की पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद लंगूर बनने वाले बच्चों ने माथा टेकना शुरू किया। दस दिन तक चलने वाले विश्व विख्यात लंगूर मेले में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए श्री दुर्ग्याणा कमेटी ने सभी प्रबंध कर रखे थे, जो भक्त बिना मास्क माथा टेकने के लिए आ रहे थे उन्हें सेवादारों ने मास्क देकर माथा टेकने के लिए दोबारा से भेजा। कोरोना महामारी के कारण इस बार 3000 बच्चे ही लंगूर बने हैं। इनमें अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, अजनाला, पटियाला, सहारनपुर व अन्य शहरों के बच्चे शामिल हैं। यह बच्चे अपने माता-पिता के साथ लगातार दस दिन तक मंदिर में आकर माथा टेकेंगे।

ढोल की थाप पर नाचते दिखे बच्चे

लंगूर बने बच्चे ढोल की थाप पर नाचते हुए दिखाई दिए। पिंकी व उसके पति अश्वनी कुमार निवासी खूह सुनियारिया ने बताया कि वह अपने दोनो बेटों विशु व गोपाल को लंगूर बनाने के लिए आए हैं। महिंदर निवासी टेलीफोन एक्सचेंज अपने पुत्र संदीप को लंगूर बनाकर प्रसन्न नजर आए। प्रदीप कुमार निवासी अजनाला व पटियाला से आए विजय कपूर ने कहा कि यहां उनकी मनोकामना पूरी हुई है। दुर्ग्याणा आबादी निवासी हर्षवर्धन खन्ना का कहना है कि वह अपने पुत्र अर्पण खन्ना को लंगूर बनाकर खुश हैं।


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