लेबोरेट्री टेस्ट : दूध में मिली मिलावट की कालिख
जागरण संवाददाता, अमृतसर दूध अब दूध नहीं रहा, धीमा सफेद जहर बन रहा है। दूध पीकर तंदरुस्
जागरण संवाददाता, अमृतसर
दूध अब दूध नहीं रहा, धीमा सफेद जहर बन रहा है। दूध पीकर तंदरुस्त रहने वाले पंजाबियों को यह जानकर ताज्जुब होगा कि दूध में मिलावट की ऐसी कालिख है जो लोगों की ¨जदगी पर भारी पड़ सकती है। यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों से हुआ है।
दरअसल, स्वास्थ्य विभाग ने जुलाई माह में पंजाब के विभिन्न स्थानों पर छापामारी कर दूध के सैंपल भरे थे। गांवों से शहर की ओर आने वाले दोधियों व शहर में डेयरियों में बिकने वाले दूध के कुल 6,000 सैंपलों की जांच लेबोरेट्री से करवाई गई। अगस्त महीने में जब सैंपल रिपोर्ट आई तो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी हैरान रह गए। जिस दूध को पौष्टिक समझकर हम और आप पीते हैं, वह पीने योग्य ही नहीं। उपरोक्त सैंपलों में से 3500 सैंपल फेल पाए गए हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि इस दूध में किसी न किसी रूप में मिलावट की गई थी।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में हर रोज 360 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। राज्य में 52 लाख भैंसें और 32 लाख गायें हैं। इस अनुपात में 84 लाख दुधारू पशु 360 लाख लीटर दूध देते हैं। इसमें 180 लाख लीटर दूध की खपत गांवों में होती है, जबकि 50 लाख दूध सरकारी मिल्क प्लांटों और 30 लाख लीटर प्राइवेट मिल्क प्लांटों में भेजा जाता है। 50 लाख लीटर दूध दोधी घर—घर पहुंचाते हैं, जबकि 30 लाख लीटर हलवाइयों के पास पहुंचता है। बाकी बचा 20 लाख लीटर दूध दूसरे राज्यों में भेजा जाता है।
दूध का इतना बड़ा कारोबार होने की वजह से इसका मिलावट का आवरण भी चढ़ा है। अमृतसर के ग्रामीण इलाकों में ¨सथेटिक दूध का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने कुछ समय पूर्व ¨सथेटिक दूध तैयार करने वाले लोगों को बेनकाब भी किया था। तरह तरह के केमिकल, डिटर्जेंट, पाउडर आदि मिलाकर तैयार किए जा रहे दूध को पीना निसंदेह सेहत के लिए हानिकारक है।
फूड कमिश्नर काहन ¨सह पन्नू के अनुसार दूध अथवा किसी भी खाद्य पदार्थ में मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। तंदरुस्त पंजाब अभियान के तहत प्रदेश के सभी जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को छापामारी अभियान तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।