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सुखबीर को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए : किरणजोत कौर

अमृतसर : 16 वर्षो तक एसजीपीसी के अध्यक्ष रहे टकसाली अकाली नेता मास्टर तारा ¨सह की दोहती किरण जोत कौर ने कहा कि सुखबीर ¨सह बादल श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा को भंग करने के दोषी के।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 08:51 PM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 08:51 PM (IST)
सुखबीर को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए : किरणजोत कौर
सुखबीर को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए : किरणजोत कौर

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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16 वर्षो तक एसजीपीसी के अध्यक्ष रहे टकसाली अकाली नेता मास्टर तारा ¨सह की दोहती किरण जोत कौर ने कहा कि सुखबीर ¨सह बादल श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा को भंग करने के दोषी के। अत: उन्हें अकाली दल के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए। किरण जोत कौर ने दो दिन पहले अपनी फेस बुक टाइम लाइन पर भी पंथ की मौजूदा स्थिति के संबंध में अकाली दल के मौजूदा नेतृत्व के खिलाफ कमेंट डालने के बाद कहा है कि अकाली दल के भविष्य को बचाने के लिए टक्साली अकाली नेताओं को आगे आना होगा।

उन्होंने कहा कि एसजीपीसी के पूर्व अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ की ओर से जो खुलासा किया गया है कि डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम को माफी सुखबीर ¨सह बादल ने पांच ¨सह साहिबान के उपर दबाव बना कर दिलवाई है। इस से साबित हो गया है कि पांच ¨सह साहिब ने सुखबीर के दबाव में ही राम रहीम को माफी दी है। जोकि श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा को भंग करने का अपराध है। इसलिए ¨सह साहिबान को भी अपने पदों से खुद ही त्यागपत्र दे देने चाहिए।

किरणजोत कौर ने कहा कि पूर्व जत्थेदार ज्ञानी जो¨गदर ¨सह वेदांती के बाद जत्थेदारों के चुनाव के लिए एक नीति तैयार करने की आवाज उठी थी जिस को नजर अंदाज कर दिया गया है। अकाल तख्त साहिब को अब थानों में निपटाए जाने वाले झगडों का केंद्र बना कर इस की मान मर्यादा का ठेस पहुचाई जा रही है। डेरा मुखी को माफी देना पंथक नियमों के खिलाफ था। अगर जत्थेदार ही गल्ती करें तो जत्थेदार को कोई अधिकार नही कि वह श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के पद पर बने रहें।

उन्होंने कहा कि पहले जत्थेदार ज्ञानी गुरमुख ¨सह और हिम्मत ¨सह ने बादलों के खिलाफ बयान मीडिया के समक्ष और जस्टिस रंजीत ¨सह कमिशन के पास दिए। परंतु एक समझौता के तहत ही ज्ञानी गुरमुख ¨सह दोबारा कुरुक्षेत्र से वापिस लाकर श्री अकाल तख्त साहिब का मुख्य ग्रंथी लगाया गया। इस के बाद ही हिम्मत ¨सह बयान बदलने के लिए मीडिया में गया था। एसजीपीसी के कार्यालयों में सरकारी दफ्तरों की तरह फैसले सुनाए जा रहे हैं। यहां तक के एसजीपीसी की कार्यकारिणी कमेटी के लिए फैसले भी दो दिनों के बाद राजनीतिक दबाव के कारण बदल दिए जाते हैं। बीबी किरणजोत कौर 1996 से अकाली दल व एसजीपीसी की सदस्य हैं और कार्यकारिणी कमेटी की भी सदस्य भी रह चुकी हैं।


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