श्री हरिमंदिर साहिब में सोने की धुलाई की सेवा शुरू
अमृतसर श्री हरिमंदिर साहिब में सोने की धुलाई की सेवा शुरू की गई है। गुरु नानक निष्काम सेवक जत्था बरमिघम की ओर से यह सेवा शुरू की गई है। इस सेवा के लिए यूके से 50 सदस्यों का जत्था श्री हरिमंदिर साहिब पहुंचा है। सेवा की शुरूआत अरदास के बाद की गई।
--गुरु नानक निष्काम सेवक जत्था बरमिघम (इंग्लैंड) की ओर से की जा रही है सेवा, यूके से पहुंचा है 50 सदस्यों का जत्था जागरण संवाददाता, अमृतसर
गुरु नानक निष्काम सेवक जत्था बरमिघम (इंग्लैंड) की ओर से श्री हरिमंदिर साहिब में सोने की धुलाई की सेवा शुरू की गई है। इस सेवा के लिए यूके से 50 सदस्यों का जत्था श्री हरिमंदिर साहिब पहुंचा है। सेवा की शुरुआत अरदास के बाद की गई। इस जत्थे की सेवा बाबा गुरदियाल सिंह कर रहे हैं। यह जत्था करीब दो सप्ताह तक यह सेवा निभाएगा। जत्थे में इंग्लैंड, कीनिया, कनाडा व भारत आदि से भी सदस्य शामिल हैं।
बाबा गुरदियाल सिंह ने बताया कि वर्ष 1999 में सोना चढ़ाने की सेवा के बाद हर वर्ष सोने की धुलाई की सेवा जत्था की ओर से निभाई जाती है। करीब पांच वर्षों तक एसजीपीसी ने सोने की धुलाई की सेवा बंद कर रखी थी। 22 जुलाई 2016 को कार्यकारिणी कमेटी की ओर से दोबारा सोने की धुलाई की सेवा गुरु नानक निष्काम सेवक जत्था बरमिघम को सौंपी गई थी। इस अवसर पर एडिशन मैनेजर बघेल सिंह, इंद्रजीत सिंह, बहादुर सिंह व सुखबीर सिंह भी मौजूद थे।
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रीठों के पानी से की जा रही सोने की सफाई
सोने की धुलाई का काम रीठों के पानी से किया जाता है। रीठे करीब तीन घंटों तक पानी में भिगोकर रखे जाते हैं। इसके बाद इस पानी से सोने की धुलाई की जाती है।
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जत्थे के सारे सदस्य अमृतधारी
श्री हरिमंदिर साहिब के मैनेजर जसविदर सिंह दीनपुर ने बताया कि जत्थे के सारे सदस्य अमृतधारी हैं। जत्थे के सेवादार भाई महिदर सिंह को पहले भी सोने के पतर चढ़ाने की सेवा सौंपी गई थी। यह सेवा वर्ष 1999 में मुकम्मल हुई थी।