बेसहारों को नहीं भा रहा जिला प्रशासन का रैन बसेरा
जिला प्रशासन के तहत रेड क्रास की ओर से बेसहारों को सर्दी से बचाने के लिए बनाया गया रैन बसेरा आजकल उन्हें भा नहीं रहा है।
र¨वदर शर्मा, अमृतसर
जिला प्रशासन के तहत रेड क्रास की ओर से बेसहारों को सर्दी से बचाने के लिए बनाया गया रैन बसेरा आजकल उन्हें भा नहीं रहा है। कर्म ¨सह वार्ड में बनाए गए रैन बसेरे में 100 लोगों को रखे जाने की व्यवस्था है। सड़कों से हटाए गए लोगों के लिए जहां सुबह की चाय के अलावा दो वक्त की रोटी की व्यवस्था है, वहीं सुबह नहाने के लिए गीजर का प्रबंध प्रशासन की तरफ से किया गया है। इतना ही नहीं इन लोगों के मनोरंजन के लिए टेलिविजन की भी व्यवस्था रेड क्रास सोसायटी ने कर रखी है। नगर निगम ने एनजीओ के साथ मिलकर भीषण ठंड से बचने के लिए 11 स्थायी रैन बसेरे बना रखे हैं। वहीं, आपात हालत में निगम ने 8 अस्थायी रैन बसेरे बना दिए हैं। एक तरफ जिला प्रशासन गुरु की नगरी को भिखारीमुक्त शहर बनाने को कृतसंकल्प है तो दूसरी तरफ हाड़ कंपकपाने वाली सर्दी में सड़कों पर रात बिताने वाले भिखारी इसे अपनी आजादी पर हमला करार देने के साथ ही उनके भीख मांगने के धंधे में रुकावट मानते हैं।
शहर में हैं कुल 20 रैन बसेरे
रेड क्रास के कर्म ¨सह वार्ड में रैन बसेरे के अलावा नगर निगम के रेलवे स्टेशन गोल बाग और श्री दरबार साहिब सराय के निकट रैन बसेरे सहित कुल 11 रेगुलर रैन बसेरे हैं। इसके अलावा शहर की जोनों में टेंट लगा कर 8 अस्थायी रैन बसेरे तैयार किए। कोई भी व्यक्ति रात में ठंड से बचने के लिए यहां आकर रात बिता सकता है, लेकिन सड़क पर सोने वाले लोग यहां आकर रहने के बजाए सड़कों पर ही रात को पड़े रहने को
प्राथमिकता देते हैं।
रेड क्रास ने सड़क से हटाए 24 भिखारी
डिप्टी कमिश्नर कमलदीप ¨सह संघा की हिदायतों के बाद रेड क्रास सोसायटी की सेक्रेटरी अलका के नेतृत्व वाली टीम हाल बाजार, श्री दरबार साहिब के पास और हुसैनपुर चौक से 24 भिखारियों को हटा कर रेड क्रास के रैन बसेरे में लाई। हालांकि, इसमें प्रशासन का मकसद जहां उन्हें ठुठरती ठंड से बचाना है, वहीं पहचान किए जाने के बाद उनके घरों को वापस भेजना है, लेकिन यह भिखारी जहां अपनी आजादी पर वहीं अपने धंधे पर भी हमला करार देते हैं।
टिकट के पैसे देकर भेजा जाता है घर
रेड क्रास सोसायटी के सुप¨रटेंडेंट रणधीर ठाकुर ने बताया कि सड़कों से हटाए गए भिखारियों की पहचान के बाद उनके घरों तक भेजने की व्यवस्था जिला प्रशासन की तरफ से की जाती है। भिखारियों के घरों का पता लगाने के बाद उन्हें सरकारी खर्च पर टिकट देकर ट्रेन में बैठाया जाता है, लेकिन इनमें से ज्यादातर लोग ब्यास और रास्ते में ही ट्रेन से उतर जाते हैं और वापस शहर में आकर फिर से भीख मांगने का धंधा शुरू कर देते हैं।
कोट
सड़क पर रहना ही पसंद करते हैं भिखारी : सोनाली गिरी
नगर निगम कमिश्नर सोनाली गिरी ने कहा कि सड़कों पर सोने वालों को हटा कर रैन बसेरा तक लाए जाने संबंधी पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखा है, क्योंकि उनके पास मेनपावर इतनी नहीं कि अपने स्तर पर यह काम कर सकें। वैसे एनजीओ के साथ मिल कर निगम की तरफ से बनाए गए रैन बसेरों में कोई भी व्यक्ति आकर रात बिता सकता है, लेकिन भिखारी यहां आने की बजाए सड़क पर रहना ही पसंद करते हैं।
रसोई की समय-समय पर की जाती है चे¨कग: कमलदीप ¨सह
डिप्टी कमिश्नर कमलदीप ¨सह संघा ने कहा कि रेड क्रास के रैन बसेरे के अंदर 100 लोगों के रहने की व्यवस्था है। प्रशासन की तरफ से यहां रहने वालों के लिए खाने और चाय आदि का प्रबंध है। इसके लिए बनाई गई रसोई की समय-समय पर चे¨कग की जाती है और इसमें तैयार खाने को भी चेक किया जाता है। ठंड में सड़कों के किनारे सो रहे लोगों को हटा कर रैन बसेरा में पहुंचाने की हिदायतें सोसायटी की सेक्रेटरी को दी गई है।