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जौड़ा फाटक रेल हादसा : अपनों की मौत का गम, सरकारी उपेक्षा से आंखें नम

। 19 अक्टूबर 2018 को जौड़ा फाटक रेलवे ट्रैक पर रेल हादसे में मारे गए लोगों के परिजन 11 माह बाद भी न्याय की प्रतीक्षा में हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 01:33 AM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 01:33 AM (IST)
जौड़ा फाटक रेल हादसा : अपनों की मौत का गम, सरकारी उपेक्षा से आंखें नम
जौड़ा फाटक रेल हादसा : अपनों की मौत का गम, सरकारी उपेक्षा से आंखें नम

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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19 अक्टूबर 2018 को जौड़ा फाटक रेलवे ट्रैक पर रेल हादसे में मारे गए लोगों के परिजन 11 माह बाद भी न्याय की प्रतीक्षा में हैं। सरकारी घोषणा के मुताबिक मृतकों के परिजनों को न सरकारी नौकरी मिली और न ही इस घटना के कसूरवारों को सजा। शनिवार को पीड़ित परिवारों ने होली सिटी स्थित नवजोत सिंह सिद्धू के आवास के बाहर धरना लगा दिया। इन लोगों ने सिद्धू के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

इन लोगों ने कहा कि पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू वादों से मुकरने वाले नेता हैं। वह इस हादसे में कसूरवारों को बचाने की कोशिशें करते रहे, मगर लोगों से किया वादा पूरा नहीं किया। पीड़ित परिवार तीन घंटे तक सिद्धू आवास के बाहर जमे रहे। हालांकि इस दौरान न तो नवजोत सिंह सिद्धू उनसे मिले और न ही उनकी धर्मपत्नी नवजोत कौर सिद्धू। इसी बीच पुलिस अधिकारी सिद्धू आवास पर पहुंचे और कुछ देर बाद बाहर आकर बोले कि सिद्धू दिल्ली गए हुए हैं। वह मंगलवार को अमृतसर आएंगे, तब उनसे मिल लेना। दूसरी तरफ लोगों ने साफ कहा कि यह बहानेबाजी है। सिद्धू अंदर ही हैं और उसे मिलना नहीं चाहते।

जौड़ा फाटक हादसे के पीड़ित दीपक कुमार ने कहा कि सिद्धू ने पीड़ित परिवारों के सदस्य को नौकरी देने की बात कही थी। वह खुद नौकरी के लिए आवेदन कर चुका है। सिद्धू ने पीड़ित परिवारों के बच्चों को गोद लेने की बात कही थी। उनकी परवरिश का जिम्मा उठाने की घोषणा की थी, लेकिन ये सब बातें सिर्फ मौखिक साबित हुईं। सिद्धू ने इस हादसे में लीपापोती होने के बाद हमारी सुध तक नहीं ली। उन्हें नौकरी दी जाए और इस घटना के कसूरवारों को जेलों में डाला जाए। यदि ऐसा न हुआ तो वह दशहरे के दिन जौड़ा फाटक रेलवे ट्रैक जाम कर प्रदर्शन करेंगे। यह धरना तब तक नहीं उठाएंगे जब तक सरकार जाग नहीं जाती।

दीपक के अनुसार ट्रेन हादसे में उनके पिता और चाचा की मृत्यु हुई थी। उनके निधन से परिवार पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा। आज की स्थिति यह है कि दो वक्त की रोटी के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रह है। नंद किशोर जिसने इस हादसे में अपना जवान बेटा गंवा दिया, उसकी आंखों में सरकार के प्रति खासा आक्रोश दिखा। उसने कहा कि सरकार ने पांच लाख का मुआवजा देकर मुंह मोड़ लिया। हमें पांच लाख की जरूरत नहीं। हमें अपने बच्चे लाकर दो। हमारे घर में आज भी वही मातम है जो 19 अक्टूबर का था। नवजोत सिंह सिद्धू दिखावे की राजनीति करके चले गए। इन्हें हमारे दर्द से कोई सरोकार नहीं। दशहरा आयोजक बेटे की शादी की तैयारियों में जुटा

हादसे में अपने बेटे को गंवा चुकी लवली ने कहा कि पार्षद मिट्ठू मदान की आंखों में जरा भी शर्म नहीं। दशहरा उत्सव का आयोजन मिट्ठू मदान इस हादसे का एक साल भी पूरा नहीं हुआ और अपने बेटे की शादी में तैयारियों में जुटा है। जौड़ा फाटक में बिखरी लाशें देखने वाला कोई भी शख्स इस हादसे को भुला नहीं पाया है, लेकिन मिट्ठू मदान इन लाशों पर अपने बेटे की शादी धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहा है। पंजाब सरकार ने इस मामले की जांच की खानापूर्ति की, पर कसूरवार कौन? यह किसी को नहीं मालूम। सिद्धू आवास पर धरने पर बैठे लोगों को पानी तक नसीब नहीं हुआ। अंतत: लोगों ने बाजार से पानी मंगवाकर पिया।


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