जालियांवाला बाग नरसंहार: 20 साल बाद ओ ड्वायर को मिली सजा, लंदन में ऐसे मारा गया
जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए जिम्मेदार ब्रिटिश गर्वनर जनरल माइकल ओ ड्वायर को एक पंजाबी युवक ने 20 साल बाद उसके अंजाम तक पहुंचाया था और लंदन में मारा था।
जालंधर, [अविनाश कुमार मिश्र]। जलियांवाला बाग नरसंहार के बारे में सुनकर आज भी पंजाब ही नहीं देश भर के लोगों का दिल दर्द और गुस्से से भर जाता है। ब्रिटेन की सरकार ने अब इसके लिए माफी मांगी है। पंजाब के एक नौजवान ने इस नरसंहार के लिए जिम्मेदार उस समय के ब्रिटिश गर्वनर जनरल माइकल ओ ड्वायर को 20 साल बाद उसके अंजाम तक पहुंचाया था। इस नौजवान ने ओ ड्वायर को लंदन में जाकर मार डाला था। यह नौजवान थे शहीद ऊधम सिंह। उनकी कहानी आज भी रगों में जोश भर देती हैं।
पेश है पूरे घटनाक्रम की बानगी-
समय : 13 अप्रैल 1919, स्थान : जलियांवाला बाग (अमृतसर)। रोलेट एक्ट, पंजाब के दो क्रांतिकारी नेताओं डॉ. सैफुद्दीन किचलू और सतपाल की गिरफ्तारी व अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के विरोध में यहां पर एक सभा रखी गई थी। माहौल पहले से ही बिगड़ा होने के कारण अमृतसर शहर में कर्फ्यू लगा था। बहुत से लोगों को कर्फ्यू के बारे में पता नहीं था।
बैसाखी पर्व होने के कारण सैकड़ों लोग मेला देखने और श्री हरिमंदिर साहिब में दर्शन करने आए थे। अंग्रेज अधिकारी जनरल रेगिनाल्ड डायर के हुक्म पर अंग्रेज सैनिकों ने अचानक निहत्थे लोगों पर गोलियां दागनी शुरू कर दीं। बाग में भगदड़ मच गई। जान बचाने के लिए लोग बाग में स्थित कुएं में कूद गए। वह कुआं भी लाशों से पट गया।
शहीद ऊधम सिंह : कुर्बानियों से भरी सुनाम से सुनाम तक की यात्रा
सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस नरसंहार में 400 से अधिक लोग मारे गए और करीब दो हजार लोग घायल हो गए। कुएं में से ही 120 लाशें निकाली गई थीं। नरसंहार के बाद हर आंख में आंसू और दहशत थी। इन सबके बीच एक युवा की आंखों से आग बरस रही थी।
बाग की मिट्टी उठा डायर और ड्वायर को मारने की खाई थी कसम
करीब 20 वर्षीय उस युवा ने बाग की मिट्टी उठाकर कसम खाई कि वह निर्दोष हिंदुस्तानियों के हत्यारों जनरल डायर और पंजाब के तत्कालीन गवर्नर जनरल माइकल ओ ड्वायर को जान से मारकर ही दम लेगा। वह शख्स कोई और नहीं, महान क्रांतिकारी ऊधम सिंह थे। वह और उनके साथी बाग में आए हुए थे। उनको प्यासों को जल पिलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
समय : 13 मार्च 1940, स्थान : लंदन का कैक्सटन हॉल
रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी और ईस्ट सोसायटी व ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की बैठक चल रही थी। बैठक खत्म होने से पहले ही एक चालीस वर्षीय युवक ने रिवाल्वर से माइकल ओ ड्वायर पर गोलियां चला दीं। ड्वायर को दो गोलियां लगीं और उसी समय उसकी मौत हो गई। यह युवक भी कोई और नहीं ऊधम सिंह थे, जिन्होंने 20 साल बाद ड्वायर को मारकर अपनी कसम पूरी की थी।
समय : 31 जुलाई 1940, स्थान : पेंटनविले जेल, उत्तरी लंदन
उत्तरी लंदन के पेंटनविले जेल में ऊधम सिंह को फांसी दे दी गई। फांसी की सजा देने से पहले जज ने उधम सिंह से पूछा कि वह कुछ कहना चाहते हैं। इस पर उन्होंने अपनी जेब से कागज का पुलिंदा निकाला, जो हिंदी, इंग्लिश और गुरमुखी में लिखे हुए थे। उस पुलिंदे में अंग्रेजी अत्याचारों के विरुद्ध भाषण, क्रांतिकारी कविताएं थीं। जज ने उनको अपनी बात पूरी करने से रोक दिया। ऊधम सिंह ने कहा, मुझे मौत से डर नहीं लगता। मेरा स्थान लेने के लिए हजारों और युवा आ जाएंगे। फांसी पर चढ़ने से पहले उन्होंने इंकलाब जिंदाबाद का नारा भी बुलंद किया।
समय : 31 जुलाई 1974, स्थान : सुनाम (संगरूर)
तमाम कवायद के बाद ऊधम सिंह के पार्थिव शरीर के अवशेष 19 जुलाई 1974 को एयर इंडिया की फ्लाइट से भारत लाए गए। शहीद के अवशेष का उनके गृह कस्बे सुनाम में 31 जुलाई 1974 को अंतिम संस्कार किया गया। ऊधम सिंह के शरीर के अवशेष को 34 साल बाद आजाद भारत में अपनी जन्मभूमि की गोद में जगह मिली।
मुसीबतों से लड़कर हुए थे जवां
शहीद ऊधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम में हुआ था। इनका बचपन का नाम शेर सिंह था। दो साल के थे तो माता और आठ साल के थे तो पिता का निधन हो गया। इनको बड़े भाई मुक्ता सिंह के साथ अनाथालय में जाना पड़ा। अनाथालय में इनका नाम ऊधम सिंह और बड़े भाई का नाम साधु सिंह हो गया।
ऊधम सिंह ने अपना नाम राम मोहम्मद सिंह आजाद रख लिया। मुसीबतों ने इनका पीछा नहीं छोड़ा। 1917 में बड़े भाई का भी देहांत हो गया। ऊधम सिंह ने 1919 में अनाथालय छोड़ दिया और क्रांतिकारियों की टोली में शामिल हो गए। गवर्नर जनरल ड्वायर और जनरल डायर को मारने की अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए ऊधम सिंह ने अलग-अलग नामों से अफ्रीका, नैरोबी और अमेरिका की यात्रा की। वह वर्ष 1934 में लंदन पहुंच गए और वहीं पर रहने लगे। उन्होंने यात्रा के लिए एक कार खरीदी और ओ ड्वायर को मारने के लिए एक रिवाल्वर खरीद ली।