एक महीना पहले डीआरडी दिल्ली भेजा था पीपीई किट का सैंपल, रिपोर्ट आने से पहले प्रिसिपल को हटाया
गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में 41.43 लाख रुपये की लागत से खरीदी गईं दो हजार पीपीई किट्स में कथित घोटाले की जांच अभी अधूरी है।
नितिन धीमान, अमृतसर
गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में 41.43 लाख रुपये की लागत से खरीदी गईं दो हजार पीपीई किट्स में कथित घोटाले की जांच अभी अधूरी है। सात जून को किट्स का सैंपल जांच के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) दिल्ली भेजा था। वहां से रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है। इससे पहले ही गत बुधवार को मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग ने मेडिकल कॉलेज की प्रिसिपल डॉ. सुजाता शर्मा को पद से हटा दिया गया। वहीं शिकायतकर्ता मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. शिवचरण को भी पटियाला स्थानांतरित कर दिया गया। मेडिकल कॉलेज में हुए इस बड़े फेरबदल के बाद यह तो साफ है कि पीपीई किट्स की खरीद में अनियमितता के बाद सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। इन सबके बीच डॉ. सुजाता शर्मा और प्रोफेसर डॉ. शिवचरण का तबादला कई सवालों के घेरे में है। हालांकि आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये किट्स घटिया थीं या नहीं? डॉक्टरों ने पीपीई किट पहनने से कर दिया था साफ इन्कार
अप्रैल माह में खरीदी गई पीपीई किट्स के घटिया होने की बात कहकर मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ व दर्जा चार कर्मचारियों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ धरना लगाया था। उन्होंने किट्स पहनने से स्पष्ट इन्कार कर दिया था। आरोप लगाया कि ये किट्स पहनते ही फट जाती हैं। वहीं इनमें शूज व एन—95 मास्क तक नहीं हैं। मास्क के नाम पर धूल रोधक यंत्र दिया गया है, जिससे कोरोना से बचा नहीं जा सकता। कॉलेज प्रशासन की दोनों कमेटियों ने सौंपी जांच रिपोर्ट
मामले की जांच के लिए डॉ. सुजाता शर्मा ने ही अनॉटमी विभाग के प्रभारी डॉ. जेएस कुलार पर आधारित कमेटी का गठन किया था। साथ ही एक स्पेशल कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाई गई, जिसके चेयरमैन एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर डॉ. जेपी अत्री को लगाया गया। दोनों कमेटियों में मेडिकल कॉलेज के कुल बीस डॉक्टरों को शामिल किया गया था। डॉ. कुलार व डॉ. जेपी अत्री ने बंद लिफाफे में रिपोर्ट प्रिसिपल कार्यालय में जमा करवा दी है। कंपनी को वापस भेज दी गईं हैं सभी पीपीई किट्स
कथित घोटाला उजागर होने के बाद डीसी शिवदुलार सिंह ढिल्लों ने पुड्डा की प्रशासक डॉ. पल्लवी चौधरी को जांच का दायित्व सौंपा। मई और जून माह में डॉ. पल्लवी दो बार मामले की पड़ताल के लिए गुरु नानक देव अस्पताल गईं, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। हालांकि इन सबके बीच प्रिसिपल ने ये सभी किट्स कंपनी को वापस भेज दीं और भुगतान की मांग की। किट वापस लेने का बावजूद कंपनी ने अब तक भुगतान जमा नहीं करवाया। औजला के पत्र के बाद जांच में आई तेजी
इसी सप्ताह सांसद गुरजीत सिंह औजला ने केंद्रीय सांख्यिकी विभाग व मुख्यमंत्री पंजाब को पत्र लिखा, जिसके बाद जांच तेज हुई। डॉ. पल्लवी ने मंगलवार, बुधवार व वीरवार को मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों, डाक्टरों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ के बयान कलमबंद किए। दरअसल, ये सभी पीपीई किट्स औजला की ओर से अस्पताल को जारी की गई एक करोड़ की ग्रांट में से ही खरीदी गई थीं। अब औजला ने साफ कहा है कि उन्हें एक-एक पैसे का हिसाब चाहिए। उन्होंने सरकार को कई बार कहा था कि डॉ. सुजाता शर्मा को यहां से बदला जाए। टेस्ट रिपोर्ट के लिए रिमाइंडर भेजा : डॉ. शर्मा
गुरु नानक देव अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. रमन शर्मा ने कहा कि अभी डीआरडी दिल्ली से पीपीई किट्स की टेस्ट रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। इसी सप्ताह रिमाइंडर भेजकर रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद ही पीपीई किट्स की क्वालिटी का पता चलेगा। कोऑर्डिनेशन कमेटी ने जांच अधिकारी को सौंपी रिपोर्ट
वीरवार को स्पेशल कोऑर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन डॉ. जेपी अत्री ने डॉ. पल्लवी को वह जांच रिपोर्ट सौंपी जो उन्होंने डॉ. सुजाता शर्मा को पूर्व में दी थी। इस रिपोर्ट में क्या था, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। हां, इन किट्स की सैंपल रिपोर्ट अब तक न आने की बात कमेटी ने डॉ. पल्लवी से की है। इससे पूर्व डॉ. जगदेव सिंह कुलार पर आधारित कमेटी ने बीते मंगलवार को डॉ. पल्लवी को रिपोर्ट सुपुर्द की थी। प्रशासकीय काम में कुशल न होने पर डॉ. सुजाता को लग चुकी है फटकार
डॉ. सुजाता शर्मा को पदमुक्त करने पर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। इनमें कोरोना की वजह से गुरुनानक देव अस्पताल में हो रही मौतों को भी प्रमुख कारण माना गया है। साथ ही प्रशासकीय कामों में कुशलता न होने का आरेाप भी डॉ. सुजाता पर लगा। 25 जून को मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग के सचिव डीके तिवारी व मुख्यमंत्री के हेल्थ एडवाइजर केके तालवाड़ जब मेडिकल कॉलेज आए थे तो उन्होंने उपरोक्त मामलों का संज्ञान लेते हुए डॉ. सुजाता को फटकार भी लगाई थी। मेडिकल सुपरिटेंडेंट पर भी हो सकती है कार्रवाई
पीपीई किट्स मामले में गुरुनानक देव अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट रमन शर्मा पर भी विभागीय कार्रवाई की गाज गिर सकती है। डॉ. रमन शर्मा ने पीपीई किट सप्लाई करने वाली कंपनी को एडवांस पेमेंट की थी। इस प्रकार की खरीद का भुगतान तत्काल नहीं किया जाता। कंपनी सरकार द्वारा अप्रूव्ड भी नहीं थी। जांच पूरी होने से पहले कुछ नहीं कहा जा सकता: डॉ. पल्लवी
पुड्डा प्रशासक डॉ. पल्लवी ने कहा- अभी मामले की जांच चल रही है। जांच पूरी होने तक व कुछ नहीं कह सकतीं। रिपोर्ट तैयार कर स्टेट को भेजेंगी। जल्द ही इस मामले का पूरा खुलासा हो जाएगा। अधिकारियों की सहमति पर हुआ डॉ. सुजाता का तबादला: सोनी
मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग के मंत्री ओम प्रकाश सोनी ने इस बात से इंकार किया है कि पीपीई किट्स की वजह से डॉ. सुजाता को हटाया गया। उनका कहना है कि विभाग के अधिकारी पिछले दिनों गुरुनानक देव अस्पताल गए थे। उन्होंने ही डॉ. सुजाता को प्रिसिपल पद से हटाने पर सहमति व्यक्त की थी। मेरे फंड का हुआ दुरुपयोग: औजला
सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कहा- मेडिकल कॉलेज में घपलों-घोटालों की लंबी सूची मेरे पास है। पीपीई किट्स घोटाला मेरे फंड का दुरुपयोग है। 28 मार्च को मैंने एक करोड़ जारी किए। मैं इस मामले में लीपापोती नहीं होने दूंगा। यह जांच तो उसी वक्त पूरी हो जानी चाहिए थी, जब डॉक्टरों ने आरोप लगाए थे। मैं सांसद निधि का दुरुपयोग नहीं होने दूंगा। कॉलेज में कई घोटाले हुए, पर मेरे फंड का पहली बार दुरुपयोग हुआ है। बेशक डॉ. सुजाता शर्मा अब प्रिसिपल नहीं, पर उन्हें जांच में शामिल होने के लिए किसी भी वक्त बुलाया जा सकता है।