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जीएनडीएच में आक्सीजन प्लांट की इंस्टालेशन शुरू, दो और मिलेंगे

कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की बड़ी मांग को देखते हुए अब तीसरी लहर से निपटने की तैयारी से पहले पुख्ता इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Jun 2021 02:00 AM (IST)Updated: Tue, 01 Jun 2021 02:00 AM (IST)
जीएनडीएच में आक्सीजन प्लांट की इंस्टालेशन शुरू, दो और मिलेंगे
जीएनडीएच में आक्सीजन प्लांट की इंस्टालेशन शुरू, दो और मिलेंगे

जासं, अमृतसर : कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन की बड़ी मांग को देखते हुए अब तीसरी लहर से निपटने की तैयारी से पहले पुख्ता इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं। इसी के तहत आक्सीजन की कमी दूर करने के लिए गुरु नानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में आक्सीजन जनरेटिग प्लांट इंस्टाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सोमवार को तकनीकी टीम ने इस प्लांट को आक्सीजन यूनिट के समीप बनाए शेड में स्थापित कर दिया। इसके अतिरिक्त कापर की पाइपें जोड़ी गईं। इनके जरिए आक्सीजन प्लांट से उत्सर्जित होने वाली आक्सीजन सीधे वार्डों में मरीजों तक पहुंचेगी। इसके साथ ही एक और सुखद समाचार यह कि अस्पताल में दो ऐसे और प्लांट जल्द ही इंस्टाल किए जाएंगे। केंद्र व पंजाब सरकार ने इसकी स्वीकृति दे दी है। इसके बाद गुरु नानक देव अस्पताल पंजाब का एकमात्र सरकारी अस्पताल होगा, जहां बाहर से आक्सीजन की खरीद नहीं करनी पड़ेगी।

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अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. केडी सिंह के अनुसार इस प्लांट में एक दिन में 12.40 मीट्रिक टन रोजाना हवा से मेडिकल आक्सीजन तैयार होगी। यह प्रोजेक्ट केंद्र व पंजाब सरकार का है। पंजाब सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया, जबकि केंद्र ने मशीनरी भेजी है। प्लांट से निकलने वाली आक्सीजन को सिलेंडरों में नहीं भरा जाता। यह टैंक में स्टोर होती है और फिर पाइपों से वार्डो तक सप्लाई होी है। इंस्टालेशन की प्रक्रिया संपन्न होने में एक सप्ताह का समय लगेगा। ब्यास अस्पताल में भी लगेगा आक्सीजन जनरेटिग सिस्टम

डेरा ब्यास की ओर से संचालित ब्यास अस्पताल में भी ऐसा ही प्लांट लगाया जाएगा। सोमवार को ब्यास अस्पताल की एक टीम जीएनडीएच पहुंची और इस प्लांट का जायजा लिया। अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी डा. एएस पड्डा ने प्लांट की क्षमता, मूल्य व कार्यविधि का आंकलन किया। उनके अनुसार ब्यास अस्पताल में भी ऐसा प्लांट लगाया जाएगा। ऐसे तैयार होगी मेडिकल आक्सीजन

मेडिकल आक्सीजन तैयार करने की प्रक्रिया को गैस क्रोयाजेनिक डिस्टिलेशन प्रोसेस कहते हैं। इसमें प्राकृतिक हवा को आक्सीजन जनरेटिग प्लांट में फिल्टर कर धूल-मिट्टी इत्यादि कण हटाए जाते हैं। इसके बाद कई चरणों में हवा पर भारी दबाव डाला जाता है। इससे प्राकृतिक आक्सीजन कंप्रेस होती है। फिर मालीक्यूलर एडजार्बर से ट्रीट किया जाता है, ताकि हवा में विद्यमान पानी, कार्बन डाई आक्सीजन व हाइड्राकार्बन को हटाया जा सके। इसके बाद यह हवा डिस्टिलेशन में जाती है, जहां इसे ठंडा किया जाता है। इस माइनस 185 सेंटीग्रेट तक ठंडा किया जाता है। इस सारी प्रक्रिया के बाद मेडिकल आक्सीजन तैयार होती है।


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