भारतीय जेलों से रिहा होकर छह पाकिस्तानी कैदी लौटे वतन
भारत ने छह पाक नागरिकों को सजा पूरी होने के बाद रिहा कर दिया है। इनमें एक महिला भी शामिल है। महिला को हेरोइन तस्करी के मामले में दस साल की सजा हुई थी।
जेएनएन, अमृतसर। भारत-पाकिस्तान के बीच कैदियों की रिहाई को लेकर हुए समझौते के बाद देश की अलग-अलग जेलों में बंद छह पाकिस्तानी कैदियों को भारत सरकार ने रिहा कर दिया। इन कैदियों में से दो अमृतसर की फताहपुर जेल, एक जम्मू जेल व तीन कैदी तिहाड़ जेल से रिहा हुए। प्रशासन मंगलवार सुबह इन्हें अटारी सीमा पर लेकर आया। बीएसएफ अधिकारियों ने इनके दस्तावेज पाक रेंजर्स को सौंपे। इसके बाद रेंजर्स ने दस्तावेज की जांच कर पाक नागरिकों को जीरो लाइन पार कर पाकिस्तान में प्रवेश करवा दिया।
पाकिस्तान के लाहौर जिला के लेवर माल के पास नारौत स्ट्रीट निवासी अफजल मोहम्मद की पत्नी नसरीन अख्तर 30 जुलाई, 2006 को समझौता एक्सप्रेस से भारत पहुंची थी। अटारी स्टेशन पर चेकिंग के दौरान कस्टम विभाग ने नसरीन से हेरोइन बरामद की थी। इसके बाद विभाग ने नसरीन के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज किया था और कुछ समय बाद ही अदालत ने उसे दस साल का सजा सुनाई थी।
जेल में पहुंची वकील नवजोत कौर चब्बा ने बताया कि नसरीन अपनी सजा से तीन साल ज्यादा जेल काट चुकी है। हालांकि उन्होंने उनकी रिहाई के लिए भारत सरकार से बात भी की थी, लेकिन कानूनी पेचीदगियों के कारण नसरीन की रिहाई में समय लग गया। 13 साल जेल में रही नसरीन अख्तर को मेहनत के तौर पर 65 हजार रुपये मिले।
इसी तरह पाकिस्तान के ङ्क्षसध प्रांत का अल्ताफ 24 मार्च, 2016 को गलती से खेमकरण सेक्टर से भारतीय सीमा में प्रवेश कर गया था। बीएसएफ ने उसे काबू करके खालड़ा पुलिस के हवाले किया था। अदालत ने उसे इंडियन पासपोर्ट एक्ट के मामले में एक साल की सजा सुनाई थी।
जम्मू जेल से रिहा होकर पहुंचे पाक कैदी हरून अली ने बताया कि 12 साल पहले वह जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर में गलती से भारतीय क्षेत्र में दाखिल हो गया था। तिहाड़ जेल से रिहा हुए नदीम को वर्ष 2016 में सेना ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ से पकड़ा था। अन्य दो कैदियों यामीन और अख्तर उल मलिक को वर्ष 2007 में कुपवाड़ा सेक्टर से पकड़ा गया था।
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