अध्यापकों ने कहा उन्हें भी संक्रमण का डर, वर्क फ्राम होम की मिले सुविधा
दूसरी लहर पहले से भी अधिक तेज है। ऐसे में शिक्षा प्रणाली को बेहतर ढंग से लागू करने के साथ-साथ कोरोना से अध्यापकों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने चाहिए और इसका समाधान वर्क फ्राम होम ही है।
हरदीप रंधावा, अमृतसर
किसी भी देश के विकास में शिक्षा का सबसे बड़ा योगदान होता है। इस समय कोरोना ने सभी को प्रभावित किया है। दूसरी लहर पहले से भी अधिक तेज है। ऐसे में शिक्षा प्रणाली को बेहतर ढंग से लागू करने के साथ-साथ कोरोना से अध्यापकों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने चाहिए और इसका समाधान वर्क फ्राम होम ही है। यह विचार हाथी गेट स्थित डीएवी कालेज में दैनिक जागरण की ओर से करवाई गई राउंड टेबल कांफ्रेंस (आरटीसी) में शामिल हुए शहर के विभिन्न कालेजों के अध्यापकों ने व्यक्त किए। आरटीसी का विषय था 'कालेज के अध्यापकों की समस्याओं और शिक्षा की बेहतरी के लिए क्या सुधार होना चाहिए'। अध्यापकों ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश में नई शिक्षा प्रणाली लागू करने की घोषणा की हुई है। हालांकि कोविड के चलते अब तक यह पूरी तरह लागू नहीं हो पाई है। सरकार की तरफ से बनाई जाने वाली सभी पालिसियां देश हित के लिए ही होती हैं, मगर पालिसियां हुबहू लागू न होने से उसका सही परिणाम नहीं आता। अध्यापकों की ओर से रखे गए विचार इस प्रकार हैं। कोविड महामारी में सरकार ने सुरक्षा को लेकर शैक्षणिक संस्थानों में शामिल स्कूलों व कालेजों को बंद रखने के लिए जो पत्र निकाले हैं, उनमें सहायता प्राप्त कालेजों को शामिल नहीं किया है। नान टीचिग के साथ-साथ टीचिग स्टाफ को जगह-जगह से होते हुए कालेज में पहुंचना पड़ता है, जो खतरे से कम नहीं है।
-डा. राजेश कुमार, प्रिसिपल, डीएवी कालेज एक तरफ सरकार ने महामारी का प्रकोप कम करने के मकसद से नाइट कर्फ्यू और वीकएंड लाकडाउन की घोषणा कर रखी है। कालेज के सभी अध्यापक चिंता में रहते हैं कि शनिवार को वे कालेज कैसे पहुंचे। प्रशासनिक अधिकारी अध्यापकों को संक्रमित होने के लिए अड़ियल रवैया अपना रहे हैं। टीचर्स को वर्क फ्राम होम की सुविधा देनी चाहिए।
-डा. रजनीश पोपी, वाइस प्रिसिपल, डीएवी कालेज समाज का कोई भी वर्ग क्यों न हो, सभी को कोरोना संक्रमण से खतरा है। कालेजों के अध्यापक भी उन्हीं में से एक हैं। उन्हें भी कोरोना महामारी में संक्रमित होने का डर है, क्योंकि कालेज में पहुंचने के लिए वे सब बाजारों में अपने साथ-साथ पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं।
-डा. अंजना बेदी, अध्यापिका, बीबीके डीएवी कालेज कोविड-19 की महामारी में किसी भी तरह से कालेज में पहुंचने के साथ-साथ एक अध्यापक कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाता है, तो कम से कम दो से तीन सप्ताह उसका काम प्रभावित होता है। इसमें उसके पारिवारिक सदस्य ही नहीं बल्कि उसके विद्यार्थी भी प्रभावित होंगे। इस हालात में घर से काम करने की आज्ञा हो।
-डा. रितु जेटली, अध्यापिका, हिदू कालेज कोविड-19 की महामारी के संक्रमित होकर बिना किसी सूचना के कालेज से गैरहाजिर रहने से अच्छा है कि अध्यापकों को घर से काम करने की आज्ञा मिले। घर से काम करने की सुविधा से अध्यापक अपने विद्यार्थियों का सिलेबस भी आसानी से पूरा करवा सकते हैं।
-डा. गुरप्रताप खैहरा, अध्यापक, हिदू कालेज घर से काम करने की आज्ञा मिलने से अध्यापक संक्रमण से बचे रहेंगे। आनलाइन क्लास लगाने के लिए अध्यापकों को गलियों, सड़कों और बाजारों से होकर कालेज में पहुंचना पड़ता है, क्योंकि कुछ अध्यापकों के घर माइक्रो कंटेनमेंट जोन में पड़ते हैं, जो किसी भी समय घातक हैं।
-डा. दीप्ति साहनी, अध्यापिका, हिदू कालेज कोरोना को लेकर पंजाब सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस को लागू करवाने के लिए सभी प्रशासनिक अधिकारियों का मत अलग हैं। सरकारी गाइडलाइंस को अध्यापकों व विद्यार्थियों की बेहतरी के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। स्कूलों की तर्ज पर कालेज भी बंद हों, ताकि नुकसान से बचा जाए।
-डा. बीबी यादव, अध्यापक, डीएवी कालेज स्थानीय कालेज प्रबंधक कमेटियां अध्यापकों को कोविड-19 की महामारी में बचने और बचाने के मकसद से सहयोग कर रही हैं। मगर सरकार ने आज तक अध्यापकों की सुरक्षा को लेकर कोई प्रयास नहीं किया है। अध्यापकों की मुख्य मांग घर से काम करने की है, जो पिछले साल से आनलाइन ही बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
-डा. सीमा जेटली, अध्यापिका, बीबीके डीएवी कालेज सरकार को अध्यापक व विद्यार्थी के उज्ज्वल भविष्य के मद्देनजर फैसले लेने चाहिए, क्योंकि पिछले दिनों डीएवी संस्था के ही प्रिसिपल कोरोना वायरस से संक्रमित होकर जान गंवा चुके हैं। कई अध्यापक भी संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं, जिससे उनके परिवार और संस्थान को क्षति सहन करनी पड़ रही है।
-डा. मीनू अग्रवाल, अध्यापिका, डीएवी कालेज 21वीं शताब्दी चल रही है, जिसमें देश में हर तरफ डिजिटल मोड को प्रमोट किया जा रहा है। यह इस समय में देश में फायदेमंद साबित हो रहा है। बावजूद इसके कालेजों के अध्यापकों की सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर नहीं है, क्योंकि उनके कालेज प्रबंधन भी अध्यापकों की सुरक्षा को लेकर चितित है।
-डा. कपिल गोयल, अध्यापक, डीएवी कालेज पिछले साल के मुकाबले वर्तमान साल में महामारी की चल रही दूसरी स्ट्रेन सरकारी गाइडलाइंस स्पष्ट नहीं हैं, जिससे अध्यापक ही नहीं बल्कि कालेज प्रबंधन भी परेशान हैं। जिन कालेजों में ज्यादा अध्यापक एकत्रित होते हैं, वहां संक्रमितों की संख्या भी ज्यादा है। समझ नहीं आता सरकार ने संक्रमण घटाना या बढ़ाना है।
-डा. मलकीत सिंह, अध्यापक, डीएवी कालेज एक तरफ सरकार कोविड के प्रकोप को कम करने के मकसद से मूवमेंट घटाना चाहती है, तो दूसरी अध्यापकों को जान हथेली पर रखकर कालेज पहुंचना पड़ रहा है। यदि विद्यार्थियों ने घर में रहकर आनलाइन पढ़ाई करनी है, तो अध्यापकों को कालेज में आकर आनलाइन पढ़ाने का तर्क समझ से परे है।
-डा. कमल किशोर, अध्यापक, डीएवी कालेज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीऔर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह कोरोना वायरस की चेन को तोड़ने की बात कहते हैं। स्कूलों व कालेजों को बंद रखने के निर्देश जारी होते हैं। वहीं गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी (जीएनडीयू) की तरफ से आफलाइन परीक्षाएं आयोजित करवाना भी समझ से परे है।
-डा. मुनीश गुप्ता, अध्यापक, डीएवी कालेज एक अध्यापक के साथ उसके पारिवारिक सदस्य भी जुड़े हुए हैं। अध्पायकों का इस समय आनलाइन पढ़ाई कराने के साथ-साथ सिर्फ हाजिरी लगवाना ही मकसद है। सरकार को मूवमेंट घटाने के मकसद से अध्यापकों को घर से काम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए, मगर यहां अध्यापकों की सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही।
-डा. प्रदीप सैली, अध्यापक, डीएवी कालेज युवा पीढ़ी को रोजगार के काबिल बनाने के लिए सरकार को टेक्निकल पढ़ाई पर जोर देना चाहिए, क्योंकि टेक्निकल पढ़ाई करने के साथ-साथ उन्हें अभ्यास करने का अवसर भी मिलता है, जो उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करता है। वर्तमान समय में टेक्निकल व प्रोफेशनल पढ़ाई का युग है, जिसे बढ़ावा मिलना चाहिए।
-डा. जीएस सेखों, अध्यापक, डीएवी कालेज कोविड के बीच अध्यापकों की घर से काम करने की मांग एक मनोरंजन करने के लिए नहीं है। बच्चों को आनलाइन पढ़ाई करवाने के लिए उन्हें लाइव लेक्चर देने पड़ते हैं। जो बच्चे निर्धारित समय में क्लास ज्वाइन करने में असमर्थ रहते हैं उनके लिए दोबारा से इंटरनेट मीडिया पर अपलोड भी करना पड़ता है। उन्हें कालेज आने से राहत मिलनी चाहिए।
-डा. पुनीत शर्मा, अध्यापक, डीएवी कालेज