कॉपी.. आइसीपी अटारी पर सीडब्ल्यूसी ने शुरू किया कवर्ड शेड निर्माण
र¨वदर शर्मा, अमृतसर: भारत-पाक सीमा पर स्थित इंटेग्रेटेड चेक पोस्ट (आइसीपी) अटारी पर का
र¨वदर शर्मा, अमृतसर:
भारत-पाक सीमा पर स्थित इंटेग्रेटेड चेक पोस्ट (आइसीपी) अटारी पर काम करने वाले लैंडपोर्ट अथॉर्टी ऑफ इंडिया ने पाकिस्तान से जिप्सम और सीमेंट मंगवाने वाले कारोबारियों के लिए पक्के गोदामों का निर्माण काम शुरू कर दिया है। इससे कारोबारियों ने राहत की सांस ली है। इस शेड के बन जाने से पाकिस्तान से आने वाला जिप्सम और सीमेंट बारिश में खराब नहीं होगा। इससे पहले जिप्सम और सीमेंट कारोबारियों का हर साल करोड़ों रुपयों का सामान बारिश में खराब हो जाता था।
जानकारी के मुताबिक लैंडपोर्ट अथॉर्टी ऑफ इंडिया ने आइसीपी अटारी में से कच्चे गोदामों में से 13 हजार स्कवेयर मीटर को पक्का किए जाने का काम शुरू किया है। इस पर करीब 5 करोड़ रुपये की लागत आने की संभावना है। बताते चलें कि अप्रैल 2012 में भारत-पाक कारोबार को बढ़ाने के लिए 120 करोड़ रुपये की लागत से आइसीपी का निर्माण किया गया है। व्यापारियों की शिकायत थी कि गोदामों को पक्के बनाए जाने संबंधी उनकी मांग को सीडब्ल्यूसी और लैंडपोर्ट अथॉर्टी ऑफ इंडिया 6 वर्षो से अनदेखा कर रही थी। शेड बनाने का काम शुरू होने के बाद जिप्सम और सीमेंट कारोबारियों ने अथॉर्टी का धन्यवाद करते हुए कहा कि आइसीपी के सेंट्रल वेयर हाउ¨सग कॉरपोरेशन (सीडब्ल्यूसी) की तरफ से भारत-पाक के बीच होने वाले कारोबार में हैंड¨लग चार्जेज और पार्किंग रेटों में हुई बढ़ोतरी को खत्म करना चाहिए।
इस दौरान जिप्सम व सीमेंट कारोबारियों ने कहा कि पाकिस्तान की तरफ से आ रहे सीमेंट की कीमत पहले से काफी बढ़ चुकीं है और उस पर सीडब्ल्यूसी और लैंडपोर्ट अथॉर्टी ऑफ इंडिया की तरफ से की गई रेटों में वृद्धि के बाद अब ट्रकों की पार्किंग फीस 180 रुपये से बढ़ा कर 525 रुपये किए जाने से कारोबारियों पर इसका अतिरिक्त भार पड़ा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से रोज माल के 700 ट्रक आते हैं, जिनसे आइसीपी को प्रतिदिन लाखों रुपये की आय हो रही है। बावजूद इसके आईसीपी अटारी व्यापारियों की तरफ से मंगवाए और भेजे जाते हैं। कारोबारियों ने कहा कि पिछले 6 सालों के दौरान कारगो पर मकेनिक्ल हैंड¨लग संबंधी मजदूरी को लेकर व्यापारी संघर्ष करते आ रहे हैं। जिस पर पिछले साल लैंडपोर्ट अथॉर्टी ऑफ इंडिया ने सर्कुलर जारी कर भारत-पाक व्यापारियों को राहत देते हुए विश्वास दिलाया था कि जिस सामान की अनलो¨डग में मैनुअल मजदूर की बजाए मशीनी मजदूरी होगी, उसका सीडब्ल्यूसी कोई खर्च नहीं लेगा। जबकि अब हाईड्रोलिक टिपर में जिप्सम उतारने के लिए 95 रुपये प्रति मीट्रिक टन कारोबारियों से वसूला जा रहा है।