मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के कमरे में लगी आग
अमृतसर : सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्थित पीजी डॉक्टर्स के हॉस्टल में आग लग गई।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्थित पीजी डॉक्टर्स के हॉस्टल के एक कमरे में शुक्रवार को भयंकर आग लग गई। कमरे में रखा सारा सामान जलकर राख हो गया। आग की लपटें कमरे से बाहर निकलकर कॉरिडोर की तरफ बढ़ने लगीं। घटना की जानकारी मिलने पर हॉस्टल में रहने वाले डॉक्टरों ने फायर बिग्रेड को सूचित किया। आग लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। घटना के बाद पीजी डॉक्टरों का आक्रोश भड़क गया और उन्होंने ¨प्रसिपल कार्यालय के बाहर नारेबाजी की।
पीजी डॉक्टर्स के अनुसार दोपहर 2:00 बजे वह अपनी ड्यूटी समाप्त कर एफ ब्लॉक स्थित हॉस्टल में खाना खा रहे थे। कुछ डॉक्टर कॉरिडोर में खड़े थे। इसी दौरान अचानक शोर कि कमरा नंबर 98 में आग लग गई है। डॉ. शैलेश धीमान ने बताया कि हम सभी कमरे की तरफ दौड़े लेकिन आग भयंकर होने के कारण सभी बेबस थे। मौके पर पहुंची फायर बिग्रेड की गाड़ियों ने तकरीबन डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
बताया जा रहा है कि कमरा नंबर 98 में डॉक्टर जसप्रीत ¨सह बेदी रहते हैं। जिस में आग लगी वह श्री गुरु रामदास अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर फ्लाइट के जरिए दिल्ली जा रहे थे। वह फ्लाइट में बैठ चुके थे। अचानक उन्हें आग लगने की सूचना मिली और वह फ्लाइट छोड़कर हॉस्टल में पहुंचे। डॉक्टर बेदी ने बताया कि आग लगने से उनके कमरे में रखा फ्रिज, टीवी, एसी सभी पुस्तकें जल गईं। कुछ दस्तावेज भी थे जिनके बारे में अभी मुझे मालूम नहीं है।
मेन्टेनेंस के लिए आए थे दस लाख कहां गए
इस घटना के बाद एफ ब्लॉक हॉस्टल में रहने वाले पीजी डॉक्टरों में मेडिकल कॉलेज प्रशासन के प्रति आक्रोश भड़क गया। वे कॉलेज की ¨प्रसिपल डॉ. सुजाता शर्मा के ऑफिस पहुंचे। ¨प्रसिपल ऑफिस के बाहर धरना लगा कर बैठ गए। डॉ. सुजाता ऑफिस में नहीं थी। डॉक्टर्स ने ¨प्रसिपल के खिलाफ नारे लगाए और कहा कि हॉस्टल की मेनटेनेंस के लिए सरकार ने दस लाख भेजे थे, यह राशि कहां गई। ¨प्रसिपल इसका जवाब दें। आज जो हादसा हुआ है वह कॉलेज प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। उनके कमरों में बिजली की तारें लटक रही हैं। तारों के नंगे जोड़ों से अक्सर स्पार्किंग होती रहती है। इस संदर्भ में मेडिकल कॉलेज प्रशासन को कई बार बताया भी गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जिस समय आग लगी तब हॉस्पिटल में तकरीबन 50 पीजी डॉक्टर थे।