नानक सिंह की भारत वापसी की उम्मीद बढ़ी, पाकिस्तान दूतावास ने मांगे दस्तावेज
करीब 31 सला पहले पाकिस्तान सीमा में गलती से चले गए नानक सिंह की रिहाई और भारत वापसी की उम्मीद जगी है। एक संगठन इंडिपेंडेंट स्टूडेंट्स फेडरेशन (आइएसएफ) की पहल के बाद पाकिस्तानी दूतावास ने नानक सिंह के भारतीय हाेने के दस्तावेज मांगे हैं।
अमृतसर, [नितिन धीमान]। 31 वर्ष पूर्व खेल-खेल में पाकिस्तान में प्रवेश कर जाने वाले नानक सिंह को वापस भारत लाने के लिए अब अमृतसर के छात्र संगठन इंडिपेंडेंट स्टूडेंट्स फेडरेशन (आइएसएफ) ने ताकत झोंक दी है। आइएसएफ का दावा है कि उसके प्रयास का असर हाेने लगा है और पाकिस्तानी दूतावास ने उससे नानक सिंह के भारतीय होने के दस्तावेज मांगे हैं।
आइएसएफ ने नानक सिंह के पिता से मिलकर जुटाए दस्तावेज
आइएसएफ के प्रमुख केशव कोहली ने कहा कि अप्रैल में उन्होंने पाकिस्तानी दूतावास को नानक सिंह की रिहाई के लिए पत्र लिखा था। उन्होंने स्पष्ट किया था कि नानक सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे गांव कोट रजादा तहसील अजनाला (अमृतसर) का है। 1984 में नानक अपने पिता रतन सिंह के साथ खेतों में गया था। खेलते-खेलते वह पाकिस्तान में प्रवेश कर गया और पाकिस्तानी रेंजर्स ने उसे पकड़ लिया।
पिता रतन सिंह उसे ढूंढ़ते-ढूंढ़ते रेंजर्स के पास पहुंचे, लेकिन रेंजर्स ने कहा कि उनकी कुछ भैंसें भारतीय क्षेत्र में चली गई हैं। तुम भैंसें लौटा दो, हम तुम्हारा बेटा दे देंगे। रतन सिंह ने रेंजर्स से गिड़गिड़ाते हुए बेटे को लौटाने की मांग की, लेकिन पाकिस्तानी रेंजर्स का दिल नहीं पसीजा और उन्होंने बच्चे को नहीं लौटाया। तब से नानक सिंह पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बंद है।
कोहली ने कहा कि अब पाकिस्तानी दूतावास ने नानक सिंह से संबंधित सभी दस्तावेज मांगे हैं। आइएसएफ के कार्यकर्ता रतन सिंह से मिले और सभी दस्तावेज इकट्ठा किए। संगठन सभी दस्तावेज पाकिस्तानी दूतावास को भेजकर नानक सिंह की शीघ्र रिहाई की मांग करेंगे।
बेटे को गले लगाने के लिए जिंदा हूं
रतन सिंह ने कहा कि 1999 में पाकिस्तान ने भारतीय कैदियों की एक सूची जारी की। इसमें नानक सिंह की बजाय कानक सिंह दर्ज था। हालांकि पिता का नाम और पता सही था। इसके बाद साबित करने के लिए कहा गया कि कानक सिंह ही नानक सिंह है। वर्ष 2005 में बीएसएफ ने पत्र भेजकर कानक सिंह के नानक सिंह होने के संबंध में दस्तावेज मांगे।
रतन सिंह ने कहा कि उसने राशन कार्ड, मूल निवास प्रमाणपत्र और नानक सिंह की बचपन की फोटो दी। इसके बाद भी उनके बेटे को नहीं सौंपा गया। रतन सिंह ने कहा, पिछले 31 वर्ष से बेटे की तस्वीर निहार कर इस उम्मीद में जिंदा हूं कि वह घर आकर मेरे गले से लिपट जाएगा। अब और इंतजार नहीं होता। पाकिस्तान सरकार परिवार की संवेदनाओं को देखते हुए जल्द ही नानक सिंह को रिहा करे।