होलाष्टक आज से, होलिका दहन 20 मार्च को होगा
अमृतसर फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तक होलाष्टक पर्व मनाया जाता है।
— 14 मार्च को मुहूर्ति चैत्र की संक्रांति भी
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जागरण संवाददाता, अमृतसर
फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तक होलाष्टक पर्व मनाया जाता है। इस बार 14 मार्च से 20-21 मार्च तक होलाष्टक पर्व है। 20 मार्च को पूर्णिमा तिथि सुबह 10-45 से लगेगी और अगले दिन सुबह 7.15 तक रहेगी, जबकि भद्रा 10.45 से रात 9 बजे तक रहेगी। इस परिस्थिति में होलिका दहन 20 मार्च की रात 9 बजे भद्रा खत्म होने पर ही होगा। यह जानकारी ज्योतिषाचार्य अश्विनी शर्मा शास्त्री ने दी।
उन्होंने बताया कि पूर्णिमा व्रत भी 20 मार्च को ही रखा जाएगा। 14 मार्च वीरवार को 15 मुहूर्ति चैत्र की संक्रांति भी है, जिसका पुण्यकाल अगले दिन शुक्रवार दोपहर 12.15 तक रहेगा। यही समय स्नान, दान, जप, पूजा, पाठ हेतु श्रेष्ठ माना गया है।
अश्विनी शर्मा शास्त्री ने कहा कि माघ पूर्णिमा से होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। होलाष्टक आरंभ होते ही दो डंडों को स्थापित किया जाता है, जिसमें एक होलिका का प्रतीक है, जबकि दूसरा भक्त प्रह्लाद से। ऐसा माना जाता है कि होलिका से पूर्व आठ दिन दाह कर्म की तैयारी की जाती है। यह मृत्यु का सूचक है। इस दुख के कारण होली के पूर्व आठ दिनों तक कोई शुभ कार्य नहीं होता। जब प्रह्लाद बच जाते हैं उस खुशी में होली का त्यौहार मनाया जाता है। ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के अपराध में कामदेव को शिवजी ने फाल्गुन की अष्टमी में भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने उस समय क्षमायाचना की और शिवजी ने कामदेव को पुन: जीवित करने का आश्वासन दिया। इसी खुशी में लोग रंग खेलते हैं।