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पाकिस्‍तान से हिंदू परिवारों का भारत आना जारी,128 लोग पहुंचे, बोले- यहीं बसना चाहते हैं

पाकिस्‍तान से हिंदू परिवारों का भारत आना जारी है। बाघा बॉर्डर के जरिये 128 और हिंदू परिवार भारत आया है। इन लोगों का कहना है कि वह भारत में बसना चाहते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 15 Feb 2020 12:28 PM (IST)Updated: Sat, 15 Feb 2020 12:28 PM (IST)
पाकिस्‍तान से हिंदू परिवारों का भारत आना जारी,128 लोग पहुंचे, बोले- यहीं बसना चाहते हैं
पाकिस्‍तान से हिंदू परिवारों का भारत आना जारी,128 लोग पहुंचे, बोले- यहीं बसना चाहते हैं

अटारी (अमृतसर), जेएनएन। पाकिस्‍तान से हिंदू परिवारों का भारत आने का सिलसिला जारी है। अटारी सीमा के रास्ते 128 और पाकिस्तानी हिंदू भारत पहुंचे। इस जत्थे में पुरुषों के अलावा बड़ी संख्या में लड़कियां, बच्चे और महिलाएं भी हैं। करीब 18 परिवारों के ये लोग 25 दिनों के वीजा पर भारत पहुंचे हैं। हरिद्वार में  तीर्थ स्थानों के दर्शनों के लिए रवाना होने से पहले इन यात्रियों ने कहा कि कई साल पाकिस्तान में बिताने के बाद भी इनका दिल भारत में बसने का है, क्योंकि पाकिस्तान में वे खुद के सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं।

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हमेशा भारत रहने चाहते हैं 25 दिनों के वीजे पर पहुंचे पाक अल्पसंख्यक   

पाकिस्तान से आए हिंदू परिवारों के जत्थे का नेतृत्व सुरेश कुमार और सुदेश कुमार कर रहे हैं। उन्होंने  बताया कि पाकिस्तान में कट्टरपंथी हिंदुओं की नाबालिग लड़कियों को जबरन उठाकर निकाह कर ले जाते हैं। अल्पसंख्यक परिवारों की लड़कियों के साथ दुष्कर्म कर हत्या कर दी जाती है।

उन्‍होंने बताया कि ज्यादातर मामलों में लड़कियों को अगवा कर जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के बाद मुसलमान लड़कों से शादी कर दी जाती है। इससे वहां अल्‍पसंख्‍यक परिवार बहुत दहशत में रह रहे हैं। पुलिस और प्रशासन उनकी कोई मदद नहीं करता है। उन्‍होंने बताया कि हरिद्वार के बाद वे जोधपुर और दिल्ली भी जाएंगे।

नाम और तस्वीर अखबार में न छापने की अपील करतेे हुए कहा कि कई बार तो अल्पसंख्यक परिवारों की लड़कियों को अगवा करने के बाद उनसे क्रूरता की जाती है और उनसे दुष्कर्म करने के बाद उन्हें आगे बेच दिया जाता है। उनका कहना है कि भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का कानून आसान बनाने पर वहां (पाक) के हिंदुओं में उम्मीद जगी है।

इन परिवारों का कहना है कि वे भातरत में सुरक्षित रह सकेंगे और यहां रह कर वे अपनी बच्चियों का सुरक्षित पालन-पोषण कर सकेंगे। पाकिस्तान में तो पता नहीं कि कब कोई उनकी बच्चियों को उठा कर ले जाएगा। इस पर पाकिस्‍तानी सरकार भी सुनवाई नहीं करती है।   

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