कम नफरी और पुलिस की लापरवाही से शहर में घुस रहे भारी वाहन
हादसों को अंजाम देने वाले और शहर की संकरी सड़कों पर जाम के हालात पैदा करने वाले वाहन पुलिस की लापरवाही के कारण ही शहर में घुसते हैं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर: हादसों को अंजाम देने वाले और शहर की संकरी सड़कों पर जाम के हालात पैदा करने वाले वाहन पुलिस की लापरवाही के कारण ही शहर में घुसते हैं। उन्हें रोकने के लिए ना तो शहर के किसी एंट्री प्वाइंट पर समयसारिणी के बोर्ड लगे हैं और ना ही नाकों पर इस समस्या को रोकने के लिए पुलिस सतर्क है। इस कारण प्रत्येक साल सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा रहा हैं और हजारों लोग जख्मी हो जाते हैं। दूसरी तरफ इसका कारण कम नफरी भी है।
नो एंट्री जोन और शहर के एंट्री प्वाइंट पर भारी वाहनों को रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस नफरी की तंगी झेल रही है। वर्तमान में ट्रैफिक पुलिस में केवल 160 मुलाजिम हैं। नफरी बढ़ाने के लिए आला अधिकारियों को लिखा जा चुका है। इसके साथ ही लगातार 14 घंटे ड्यूटी कर रहे पुलिस कर्मी भी रात के समय नाकों पर सतर्क नहीं रह पाते। इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है। बीते साल पुलिस ने 270 वाहनों के चालान काटे, 17 वाहनों को जब्त भी किया। भारी वाहनों की चपेट में आने से 30 लोगों ने जान गंवाई और 56 लोग जख्मी हुए। चालान काटने तक सीमित पुलिस
नो एंट्री में घुसने वाले ओवरलोड वाहनों के आने पर प्रतिबंध लगाने का दावा करने वाली ट्रैफिक पुलिस महज चालान काटने तक ही सीमित है। कहीं तो चालान काटने के नाम पर खानापूर्ति ही की जा रही है। यहां कई बार आरोप लग चुके हैं कि चंद पुलिस कर्मी ट्रांसपोर्टरों के साथ साठगांठ करके भारी वाहनों को शहर के भीतर आने देते हैं। शिकायतों पर नहीं होती कार्रवाई
शहर में दिन के समय भारी वाहनों के घुसने के मामले में कई समाज सेवी संगठन पुलिस को शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन पुलिस सर्दियों के मौसम में धुंध के शुरू होने से पहले ही जागती है। तब चंद दिनों तक पुलिस विबाग की तरफ से अभियान चलाया जाता है। वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगाए जाते हैं। उसके बाद फिर हालात जस के तस बन जाते हैं।
जल्द भारी वाहनों पर सख्ती की जाएगी। शहर के एंट्री प्वाइंट्स को आने वाले दिनों में कवर कर लिया जाएगा। फोर्स को आदेश दिया गाय है कि दिन के समय भारी वाहन शहर में प्रवेश ना करें।
-जसवंत कौर, एडीसीपी