महिलाओं के उत्थान का संकल्प लिया, कैंसर रोग को दृढ़ इच्छाशक्ति से दी मात, फिर से समाज सेवा में जुटीं
आज की नारी शक्ति सबल बन चुकी है।
अखिलेश सिंह यादव, अमृतसर: आज की नारी शक्ति सबल बन चुकी है। चुनौतियों से लड़ना उसे अच्छी तरह आता है। इनमें बटाला रोड की निवासी गुरविंदर कौर का नाम भी आता है। कोविड के दौरान उन्होंने समाज में आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को सबल बनाने के लिए बीड़ा उठाया। इस बीच उन्हें जब पता चला कि वह कैंसर रोग की शिकार हो गई हैं तो उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने संकल्प को पूरा करने के साथ-साथ दृढ़ इच्छाशक्ति से इस रोग से जंग लड़ते हुए मात दी।
गुरविंदर कौर ने कोविड-19 महामारी के दौरान आनलाइन बिजनेस के माध्यम से महिलाओं के कारोबार को संवारने का संकल्प लिया। उन्होंने महिला टेलरों से संपर्क कर उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए सिलाई का काम उपलब्ध करवाया। इसका फायदा करीब 20 महिलाओं को मिल रहा है। वह अपनी आजीविका कमाकर घर का गुजर-बसर करने के काबिल हो गई हैं। सामान को बेचने के लिए गुरविंदर ने कोविड में ही नेकी एप लाच की। इसके माध्यम से वह महिलाओं के जीवन को भी आर्थिक रूप से मजबूत कर रही हैं।
गुरविंदर कौर को पिछले साल मार्च 2021 में कैंसर रोग होने का पता चला। वह इस रोग से लड़ी और मात दे दी। गुरविंदर ने अपने कैंसर का इलाज लुधियाना के निजी अस्पताल से करवाया। अब कैंसर रोग से पीड़ित कई महिलाएं गुरविंदर से संपर्क साध कर उनसे इस बीमारी को मात देने के बारे में भी जानकारी हासिल करती हैं। पिछले साल नव शक्ति अवार्ड मिला था
गुरविंदर कौर का जन्म करनाल का है। उन्होंने यूके से हायर एजुकेशन हासिल की है। यूनाइटेड किंगडम की जयकॉम आर्गनाइजेशन की इंडिया ब्राच की डायरेक्टर के रूप में कार्यरत है। पिछले साल ही उन्हें दिल्ली में हुए एक सम्मान समारोह नेशनल वुमेन एक्सीलेंस अवार्ड-2021 में नव शक्ति अवार्ड हासिल हुआ। पंजाब की ओर से उन्हें ही यह अवार्ड हासिल होने का गौरव हासिल है। उनके साथ उसकी मा हरजीत कौर, भाई संदीप सिंह, भाभी रुपिंदरजीत कौर रहती है। उनकी दो साल की बेटी गुरनूर कौर भी है। यूके की संसद में दो बार जाने का मौका मिला
गुरविंदर ने बताया कि उन्हें यूके की संसद में दो बार जाने का मौका मिला। वह पर्यावरण संरक्षण के लिए भी काम कर रही हैं। गुरविंदर ने बताया कि वह महिलाओं के उत्थान के लिए कुछ करना चाहती थीं। इस कारण उन्होंने महिलाओं को स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित किया। उनके साथ कई महिलाएं बतौर दर्जी जुड़ चुकी हैं और वह सिलाई-कढ़ाई का काम करती हैं। इन महिलाओं को वह आनलाइन रोजगार के आर्डर उपलब्ध करवाती हैं जिससे उन्हें आमदन हो जाती है।