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हाईकोर्ट ने जीएनडीयू प्रशासन को किया तलब

अमृतसर : गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के साथ संबंधिक कंसीट्यूट कालेजों के एडहाक अध्यापकों पर विश्वविद्यालय ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। यह शिकंजा उन एडहाक अध्यापकों पर कसा जा रहा है जो अध्यापक विश्वविद्यालय के खिलाफ अदालत में गए थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 May 2018 09:03 PM (IST)Updated: Mon, 21 May 2018 09:03 PM (IST)
हाईकोर्ट ने जीएनडीयू प्रशासन को किया तलब
हाईकोर्ट ने जीएनडीयू प्रशासन को किया तलब

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के साथ संबंधिक कंसीट्यूट कालेजों के एडहाक अध्यापकों पर विश्वविद्यालय ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। यह शिकंजा उन एडहाक अध्यापकों पर कसा जा रहा है जो अध्यापक विश्वविद्यालय के खिलाफ अदालत में गए थे। उधर अदालत ने विश्वविद्यालय प्रबंधकों को 28 मई को जवाब देने के लिए नोटिस आफ मोशन जारी कर दिया है।

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय ने पूर्व वीसी डा एएस बराड के कार्यकाल के दौरान जीएनडीयू के साथ संबंधित विभिन्न कालेजों में ठेका प्रणाली के आधार पर 600 से अधिक एडहाक अध्यापक भर्ती किए थे, जिनको 35000 रुपये वेतन दिया जाता था। परंतु बाद में नीतियों को बदलते हुए विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इन अध्यापकों को पीरियड स्तर पर वेतन देना शुरू कर दिया। इस के चलते अध्यापकों का वेतन प्रति माह करीब 18 हजार रुपये रह गया। एडहाक अध्यापकों में करीब 120 अध्यापक अपनी सेवाएं पक्की करवाने के लिए पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट में चले गए। क्यों कि विश्वविद्यालय ने आश्वासन दिया था कि उनकी सेवाएं रेगुलर की दी जाएंगी उलटा अध्यापकों का वेतन कम कर दिया गया। इस के चलते अध्यापकों में रोष बढ़ गया।

अदालत में गए अध्यापकों को परेशान करने के लिए विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने उनको पेपर चे¨कग व पेपरों में ड्यूटी आदि देने पर भी रोक लगा दी है। कोर्ट में गए अध्यापकों को विश्वविद्यालय ने वर्ष 2017 और वर्ष 2018 की इम्तिहान ड्यूटी से भी दूर रखा और अब पेपर चै¨कग से भी दूर कर दिया। एडहाक अध्यापक यूनियन के नेता डॉ. गुरप्रीत ¨सह कहते हैं कि कुछ दिन पहले सभी एडहाक अध्यापकों को पेपर चे¨कग के लिए अधिकारियों ने मोबाइल पर सूचना भेजी। जब अध्यापक सेंटरों पर पहुंचे तो उनको यह कह कर वापिस कर दिया कि जो अध्यापक कोर्ट में गए है उनको पेपर चे¨कग नहीं करने दिए जाएंगे। इस तरह उनको परेशान किया जा रहा है।

एडहाक अध्यापकों का कहना है कि विश्वविद्यालय की ओर से एडहाक पदों पर भर्ती करने के लिए विज्ञापन जारी किया है जबकि जो कर्मचारी अदालत में गए है उन की पोस्टों का विज्ञापन जारी नहीं किया गया है।

उधर नेशनल पीपलस फ्रंट के अध्यक्ष एडवोकेट गगन दीप भाटिया और महासचिव राज¨वदर ने कहा कि एडहाक कर्मचारियों को उनकी उन पोस्टों पर बिना शर्त तैनात किया जाए जिन पोस्टों पर वह काम कर रहे है। उन्होंने कहा कि अगर विश्वविद्यालय ने अध्यापकों के साथ धक्का किया तो पाटीई अध्यापकों के साथ संघर्ष के मैदान में आएंगी।

भर्ती के समय नियमित करने की नहीं रखी गई थी शर्त : डीन

मामले के संबंध में विश्वविद्यालय के डीन कमलजीत सिंह कहते हैं कि ठेके पर रखे अध्यापकों को भर्ती ही कांट्रेक्ट सिस्टम के तहत किया गया था। भर्ती के समय यह कोई भी शर्त नहीं रखी गई थी कि अध्यापकों को पक्का किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब भी जिन पदों का विज्ञापन जारी किया गया है उस में कर्मचारियों को सिर्फ ठेके पर ही रखा जाएगा। कुछ लोग नियमों के खिलाफ सेवाएं रेगुलर करने के लिए अदालत में गए है।


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