ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने संभाली अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार की सेवा
सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था श्री अकाल तख्त साहिब पर मंगलवार को जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कार्यकारी जत्थेदार के रूप में सेवा संभाल ली।
जेएनएन, अमृतसर। सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था श्री अकाल तख्त साहिब पर मंगलवार को जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कार्यकारी जत्थेदार के रूप में सेवा संभाल ली। सेवा संभाल समागम के दौरान ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगतार सिंह, हैड ग्रंथी मलकीत सिंह, तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह, तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार इकबाल सिंह, भाई राम सिंह, एसजीपीसी प्रधान गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने जयकारों के बीच दस्तार व सिरोपा भेंटकर सेवा प्रदान की गई। इससे पहले ज्ञानी हरप्रीत सिंह की नियुक्ति के संबंध में एसजीपीसी कार्यकारिणी द्वारा मंजूर प्रस्ताव को सिख संगत के समक्ष पढ़कर सुनाया गया।
ज्ञानी जगतार सिंह ने कहा कि श्री अकाल तख्त साहिब सिख कौम का सर्वोच्च स्थल है। छठे पातशाह श्री गुरु हरिगोङ्क्षबद सिंह जी ने इस पावन स्थल की स्थापना सिख सिद्धांतों की रक्षा के लिए की थी। उन्होंने उम्मीद जताई कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह सिख कौम के सहयोग से उक्त तख्त की मर्यादा व सर्वोच्चता को कायम रखने की सेवा निभाएंगे।
वहीं, एसजीपीसी के अध्यक्ष लोंंगोवाल ने उम्मीद जताई कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह धर्म प्रचार लहर को तेज करते हुए सिख पंथक मसलों के हल के लिए प्रयास करेंगे। इस दौरान अरदास भाई राजदीप सिंह तथा पावन हुक्मनामा श्री अकाल तख्त के हैडग्रंथी ज्ञानी गुरमुख सिंह ने लिया। इस मौके पर दमदमी टकसाल के प्रमुख भाई हरनाम सिंह खालसा, एसजीपीसी के मुख्य सचिव डॉ. रुप सिंह, प्रवक्ता दलजीत सिंह बेदी, पब्लिसिटी इंचार्ज हरभजन सिंह वक्ता, विजय सिंह मौजूद थे।
सिख कौम को एक मंच पर लाया जाएगा
श्री अकालतख्त के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि वह गुटों एवं धड़ों में विभाजित सिख कौम को एकजुट करने का प्रयास करेंगे। बकौल जत्थेदार, पंथक गुटों में विभाजित हो चुकी सिख कौम को एक मंच पर लाना उनकी प्राथमिकता होगी। सभी संगठनों के लोग कौम के बहुमूल्य मोती हैं। इन्हें एक लड़ी में पिरोने की जरुरत है।
उन्होंने कहा कि वह न तो अकेले कोई फैसला लेंगे और ना ही कोई तानाशाही रवैया अपनाएंगे। श्री अकालतख्त पर होने वाले फैसले अन्य सिंह साहिबानों तथा कौम के विद्वानों की राय के बाद ही लिए जाएंगे। उन पर फैसले लेने को लेकर कोई दबाव नहीं है। वह इसके लिए स्वतंत्र हैं। कोई भी फैसला पंथ पर थोपा नहीं जाएगा। वाहेगुरु ने जो सेवा उन्हें सौंंपी है, वह इसके लिए कौम के भी कर्जदार रहेंगे। उन्होंने डेरा मुखी को माफी देने और फिर वापस लेने के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की।
बादल द्वारा थोपे गए जत्थेदार अमान्य : दल खालसा
उधर, गर्म ख्याली संगठन दल खालसा इंटरनेशनल ने जत्थेदार की नियुक्ति को अमान्य बताया है। दल के प्रवक्ता कंवरपाल सिंह बिट्टू ने कहा कि नवनियुक्त जत्थेदार हरप्रीत सिंह अस्वीकार्य हैं। दल खालसा और अन्य हमख्याली संगठनों को वह नामंजूर हैं। बेशक वह प्रतिभाशाली होंगे लेकिन उनका चयन पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल द्वारा सिख कौम की पंथक राय के बिना और बिना विशेष विधि-विधान से किया गया है। इसलिए वह सर्वमान्य नहीं हैं। उन्हें बतौर जत्थेदार मान्यता नहीं दी जा सकती है। बादल परिवार द्वारा उन्हें सिख कौम पर थोपा गया है।