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कंगाली से निकलने के लिए जिम खोलने की मिले अनुमति

अमृतसर जिम आनर्स एसोसिएशन (एजीओए) के शिष्टमंडल ने डिप्टी कमिश्नर (डीसी) गुरप्रीत सिंह खैहरा को मिलकर ज्ञापन सौंपकर उनसे 50 फीसद स्टाफ व लोगों की शर्त पर जिम खोलने की अनुमति देने की गुहार लगाई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 07:38 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 07:38 PM (IST)
कंगाली से निकलने के लिए जिम खोलने की मिले अनुमति
कंगाली से निकलने के लिए जिम खोलने की मिले अनुमति

जागरण संवाददाता, अमृतसर : अमृतसर जिम आनर्स एसोसिएशन (एजीओए) के शिष्टमंडल ने डिप्टी कमिश्नर (डीसी) गुरप्रीत सिंह खैहरा को मिलकर ज्ञापन सौंपकर उनसे 50 फीसद स्टाफ व लोगों की शर्त पर जिम खोलने की अनुमति देने की गुहार लगाई। डीसी गुरप्रीत सिंह खैहरा से मिले शिष्टमंडल में एक कोशिश फाउंडेशन के प्रेजीडेंट व एडवोकेट गगन बाली ने बताया कि कोविड-19 महामारी की वजह से जिम कारोबार कंगाली की हालत तक पहुंच चुका है, जिसमें जिम मालिकों को किराया तक निकालना भी कठिन हो चुका है। बठिडा व मुक्तसर जैसे जिले में जिम खोलने की वहां के डिप्टी कमिश्नरों ने अनुमति दे दी है। जबकि वे भी विश्वास दिलाते है कि 50 फीसद के हिसाब से स्टाफ होगा। दो डोज लगी होने वाले लोगों को ही जिम में आने की ही अनुमति होगी। खासतौर पर सरकारी नियमों के मुताबिक सैनिटाइजेशन के साथ-साथ मास्क के इस्तेमाल व शारीरिक दूरी का भी ध्यान रखा जाएगा। इस मौके पर एजीओए के प्रेजीडेंट विक्रम कुमार और एजीओए के वाइस प्रेजीडेंट अरमान कोहली आदि मौजूद थे।

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सिर्फ 20 फीसद ही रह गया है जिम व्यवसाय

पहला लाकडाउन 14 मार्च, 2020 से लेकर 5 अगस्त तक लगा, दूसरा लाकडाउन 21 अप्रैल से लेकर जून तक लगा। कुल मिलाकर दो सालों में सात महीने तक जिम व्यवसाय बिल्कुल बंद रहा। एक अनुमान के मुताबिक जिम कारोबार सिर्फ 20 फीसद ही रह गया है। सरकारी आदेशों के मुताबिक 50 फीसद के हिसाब से जिम खोलने का प्रावधान भी रखा गया है। हैरानी की बात ये है कि होटल, शापिग माल, रेस्त्रां, बार, सिनेमाहाल को 50 फीसद की अनुमति के हिसाब से खोला जा रहा है। मनुष्य को इस भागदौड़ की जिदगी में तंदुरुस्त रखने में अहम किरदार निभाने वाले जिम को नियमों के मुताबिक भी खोलने नहीं दिया जा रहा है।

जिम का किराया निकालना तक मुश्किल : कोहली

एजीओए के प्रेजीडेंट अरमान कोहली का कहना है कि शैक्षणिक संस्थान जरूर बंद पड़े हैं, जबकि उनका आनलाइन क्लासों के माध्यम से काम चल रहा है और उन्हें फीस भी पहुंच रही है। आय की प्रणाली पटरी पर चल रही है। जबकि इसके प्रतिकूल जिम का व्यापार बिल्कुल ठप हो गया है। इतना ही नहीं बिजली का बिल, अन्य जरूरी खर्च, कर्मचारियों का वेतन, जिम का किराया निकाल पाना उनके लिए काफी मुश्किल हो चुका है।


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