भंडारी अस्पताल में चार सिलेंडर फटे, आइसीयू के शीशे टूटे, अकाउंट्स विभाग जलकर राख
मजीठा रोड स्थित भंडारी अस्पताल में शनिवार तड़के तकरीबन तीन बजे धमाके हुए। धमाकों की गूंज कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : मजीठा रोड स्थित भंडारी अस्पताल में शनिवार तड़के तकरीबन तीन बजे धमाके हुए। धमाकों की गूंज कई किलोमीटर दूर तक सुनी गई। यह धमाका तीन एलपीजी सिलेंडरों में ब्लास्ट की वजह से हुआ। घटना के बाद अस्पताल में दहशत व अफरातफरी फैल गई। मरीज चिल्लाने लगे। धमाकों से अस्पताल के आइसीयू व अकाउंट्स विभाग के शीशे टूट गए। अकाउंट्स विभाग में आग लग गई और यह आग देखते ही देखते सिलेंडरों तक पहुंच गई। अंदर स्थित डॉक्टर की रिहायश में भी आग लग गई। फायर ब्रिगेड की पांच गाड़ियां मौके पर पहुंची। अस्पताल में उपचाराधीन मरीजों को फौरन बाहर निकाला गया। तकरीबन तीन घंटे की मशक्कत के बाद फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाया। घटना में जानी नुकसान नहीं हुआ, पर अस्पताल प्रबंधन इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है।
दरअसल, भंडारी अस्पताल के साथ ही संचालिका डॉ. कनन भंडारी एवं जैसमीन की रिहायश हैं। तड़के तीन बजे अचानक अचानक अस्पताल में धमाका हुआ। प्राप्त जानकारी के अनुसार शॉर्ट सर्किट की वजह से अस्पताल में स्थित अकाउंट्स विभाग में पहले आग लगी। यह आग यूपीएस, कंप्यूटर्स एवं दस्तावेजों को चपेट में लेते हुए एक कमरे में रखे दस घरेलू सिलेंडरों तक पहुंच गई। आग लगने से चार एलपीजी सिलेंडरों में धमाका हुआ। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड ने पहले अस्पताल का मेन स्विच ऑफ किया और इसके बाद सिलेंडर वाले कमरे में पहुंचे। सिलेंडरों को आग लगी थी। फायर ब्रिगेड टीम ने सिलेंडरों को फौरन बाहर निकाला। इधर, धमाके की वजह से अस्पताल स्थित आइसीयू वार्ड की खिड़कियां व शीशे टूट गए। फायर बिग्रेड ने सिलेंडरों को बाहर निकालने के बाद आइसीयू वार्ड में दाखिल दो मरीजों को फौरन बाहर निकाला, जिन्हें पास ही स्थित गुरु नानक देव अस्पताल में शिफ्ट किया गया। इसके बाद फायर ब्रिगेड की टीम ने अस्पताल व डॉक्टर के आवास पर पानी की बौछारें कर आग पर काबू पाया।
थाना मजीठा रोड पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंची और जांच की। थाना प्रभारी गुरविदर सिंह ने कहा कि आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है। अस्पताल में घरेलू सिलेंडरों का हो रहा था इस्तेमाल
भंडारी अस्पताल में नियमों को ताक पर रखकर घरेलू एलपीजी सिलेंडरों का प्रयोग किया जा रहा था। ये सिलेंडर अस्पताल की किचन में खाना बनाने के लिए प्रयोग किए जाते थे। सवाल यह है कि फूड सप्लाई विभाग ने कभी इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। खतरनाक पहलू यह है कि सभी दस सिलेंडरों को लोहे की जंजीर से बांधकर रखा था। सहायक फायर ऑफिसर लवप्रीत सिंह का कहना है कि सिलेंडरों को जंजीर से बांधा हुआ था, जिस कारण जलते हुए सिलेंडर बाहर निकालना जोखिम भरा था। हमारे कर्मचारियों ने अपनी जान जोखिम में रखकर पहले जंजीर तोड़ी, जिससे बड़ा हादसा होने से टल गया। यूपीएस में स्पार्किंग से लगी होगी आग : डॉ. जसमीन
अस्पताल की संचालिका डॉ. जसमीन का कहना है कि आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी है। अकाउंट्स विभाग में शायर बड़े यूपीएस में स्पार्किंग हुई होगी। यहां कुछ दस्तावेज पड़े जो आग की चपेट में आ गए। हम अभी यह नही बता सकते कि कितना नुकसान हुआ। मेयर ने कर्मचारियों की पीठ थपथपाई
मेयर कर्मजीत सिंह रिटू ने फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों की बहादुरी की सराहना की। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह न करते काम किया। वह फायर ब्रिगेड में शामिल लवप्रीत सिंह, अनिल लूथरा एमएफओ, पवन कुमार, निशान सिंह, गुरसाहिब सिंह, अजयदीप सिंह, साहिल गिल, तरसेम लाल, सतनाम सिंह फायरमैन के साहस का सम्मान करते हैं। सड़क पर ठंड से ठिठुरते रहे मरीज
बटाला से आए हरदयाल सिंह नामक शख्स ने बताया कि उनका परिचित अस्पताल में दाखिल है। जिस वक्त धमाका हुआ, मैं अस्पताल में ही था। धमाके के बाद स्टाफ तो भाग खड़ा हुआ। एक मरीज को चोट भी आई है। धमाके के बाद आइसीयू में दाखिल दो मरीजों को स्ट्रेचर पर डालकर अस्पताल के बाहर सड़क पर लाया गया। उन्हें एक घंटा तक यही ठंड में ही रखा गया।
जौली नामक युवक ने बताया कि उनका भाई एक सप्ताह से दाखिल है। आग लगने के बाद अस्पताल का स्टाफ एक कमरे में घुस गया। कुछ देर बाद उनके भाई सहित एक अन्य मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाकर अस्पताल के बाहर लाया गया। यहां स्ट्रेचर पर ही उन्हें सड़क के किनारे रख दिया गया।