कोई भाई नहीं है, इसलिए करियर छोड़ मां-बाप की सेवा के लिए मुबंई से लौट आई निधि
अक्सर लोगों को चाहत होती है कि उनका एक बेटा हो।
हरीश शर्मा, अमृतसर : अक्सर लोगों को चाहत होती है कि उनका एक बेटा हो। जो वंश को आगे ले जा सके, लेकिन अक्सर लोग यह भी भूल जाते हैं कि बेटियां अपने माता-पिता की सबसे ज्यादा चहेती होती हैं और जरूरत पड़ने पर वह अपने उनके लिए हर तरह की कुर्बानी देने को तैयार हो जाती हैं। ऐसी ही एक मिसाल है माल रोड निवासी निधि खुराना की। उन्होंने अपने माता-पिता के लिए न केवल अपना करियर दांव पर लगा दिया, बल्कि यह तक निश्चित कर लिया है कि जीवन में कभी भी शादी नहीं करेगी। निधि का मानना है कि वह पूरी जिदगी अपने माता-पिता के साथ रह कहकर ही उनकी सेवा करेगी। भले ही इसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े। एक छोटे से हादसे ने बदल दी सोच निधि ने बताया कि वह कई सालों तक मुबंई में रही है। वहां पर काफी सहेलियां भी बन गई। उनकी एक खास सहेली थी, जोकि अपना करियर बनाने के लिए विदेश चली गई। पिछे उसकी मां घर पर अकेली होती थी। वह अक्सर अपनी सहेली की मां से मिलने के लिए जाती थी और उनका अकेलापन देखकर काफी दुख होता था। एक बार उसी सहेली की कुछ बीमार पड़ी तो तुरंत सूचित किया गया, लेकिन सहेली को वापस आने में तीन दिन लग गए। इसी दौरान उन्हें भी ख्याल आया कि मेरे माता-पिता भी घर पर अकेले हैं और उनकी भी मेरी जरूरत है। कुछ साल पहले पिता की तबियत भी काफी ज्यादा खराब हो गई। ऐसे में माता-पिता का ध्यान रखने वाला कोई न था। तभी उन्होंने सोचा कि करियर माता-पिता से बढ़कर नहीं है। इसलिए वह अपनी जॉब से इस्तीफा देकर वापस अपने घर आ गई और अब यहीं रहने का फैसला किया हैं।
खुद की कंपनी बनाने का सपना था निधि खुराना ने बताया कि उनकी बड़ी दो बहनें हैं। बड़ी बहन का नाम संजोली और शीतल हैं। दोनों की ही शादी मुबंई में हुई है। वह दोनों अपने-अपने घर पर बहुत ही खुश भी हैं। उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई और कालेज अमृतसर में ही 2005 में पूरा किया था। इसके बाद वह मुंबई चली गई और वहां पर 2006 में मास कम्युनिकेशन का डिप्लोमा किया। बाद में मुबंई में ही एक कंपनी में नौकरी करने लग पड़ी। कंपनी में करियर काफी अच्छे से सेट हो रहा था। एक के बाद एक अच्छी कंपनियों से ऑफर आने लगे थे। हालांकि वह मुबंई में ही रहकर पब्लिक रिलेशन में अपनी कंपनी भी स्थापित करने का प्लान कर रही थी, लेकिन नहीं किया और सब छोड़ कर वापस अमृतसर आ गई। पीछे से माता-पिता अकेले थे और उनकी अक्सर चिता भी रहती थी।