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उड़ता पंजाब : डोप टेस्ट के सुरूर से मदहोश सरकारी अस्पताल

नितिन धीमान, अमृतसर नशे के सुरूर में'मदहोश'हो चुके पंजाबियों को'होश'में लाने के लिए सर

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 08:07 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jul 2018 08:07 PM (IST)
उड़ता पंजाब : डोप टेस्ट के सुरूर से मदहोश सरकारी अस्पताल
उड़ता पंजाब : डोप टेस्ट के सुरूर से मदहोश सरकारी अस्पताल

नितिन धीमान, अमृतसर

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नशे के सुरूर में'मदहोश'हो चुके पंजाबियों को'होश'में लाने के लिए सरकार की मुहिम सफलता के पायदान चढ़ पाती है या नहीं, इसका फैसला होना अभी बाकी है। दूसरी तरफ इस मुहिम के सुरूर से सरकारी अस्पताल Þमदहोश'हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में डोप टेस्ट के कारण भारी उथल-पुथल मची है। एक तरफ डोप टेस्ट हो रहे हैं तो वहीं अस्पतालों में आने वाले मरीजों के लेबोरेट्री टेस्ट भी किए जा रहे हैं। ऐसे हालात में लेबोरेट्री का मुट्ठी भर स्टाफ परेशान है।

नशेड़ियों की शिनाख्त करने के लिए पंजाब सरकार ने असलाह धारकों व नया असलाह लाइसेंस अप्लाई करने वाले लोगों के डोप टेस्ट लाजमी किए हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश के सभी सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को भी इस टेस्ट की प्रक्रिया से गुजारने की तैयारी कर ली गई है।

डोप टेस्ट का प्रतिकूल प्रभाव यह निकल रहा कि लेबोरेट्री स्टाफ को दूसरे मरीजों की जांच करने में काफी जद्दोजद का सामना करना पड़ रहा है। सिविल अस्पताल अमृतसर में मंगलवार व वीरवार का दिन डोप टेस्ट के लिए मुकर्रर किया गया है। इन दो दिनों में तकरीबन 200 असलहा धारकों व नए आवेदकों के डोप टेस्ट किए जाते हैं। साथ ही सिविल अस्पताल में हर रोज आने वाले तकरीबन 1000 मरीजों के टेस्ट भी लेबोरेट्री में होते हैं। एक साथ इतने लोगों का डोप टेस्ट व मरीजों का लेबेारेट्री टेस्ट करना कितना मुश्किल भरा है।

टेस्ट का छोटा सा गणित समझना होगा। सिविल अस्पताल में आने वाले हरेक मरीज की जांच के बाद डॉक्टर उन्हें लेबोरेट्री टेस्ट के लिए भेजते हैं। एक मरीज के कम से कम पांच टेस्ट करवाए जाते हैं। हर रोज 1000 मरीजों के टेस्ट प्रति मरीज 2 टेस्ट भी किए जाएं तो इस अनुपात में हर महीने टेस्टों का आंकड़ा 50,000 से ऊपर चला जाता है। मंगलवार और वीरवार जब डोप टेस्ट किए जाते हैं तब सिविल अस्पताल में आने वाले मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।

सिविल अस्पताल की लेबोरेट्री में छह स्वीकृति पोस्टों पर महज तीन लेबोरेट्री अटेंडेंट कार्यरत हैं। सीनियर लैब अटेंडेंट का पद तो एक वर्ष से खाली है। यह जानकर ताज्जुब होगा कि जून महीने में लेबोरेट्री में 50,000 लेबोरेट्री टेस्ट हुए। अंदाजा लगा सकते हैं कि सीमित स्टाफ ने कितनी जद्दोजहद कर एक महीने में इतने टेस्ट किए होंगे।

आवेदकों के होते हैं मेडिकल टेस्ट

डोप टेस्ट के अतिरिक्त सरकारी व गैर सरकारी क्षेत्र में नौकरी हासिल करने से पहले आवेदक को मेडिकल फिटनेस टेस्ट करवाना पड़ता है। वहीं विदेश जाने के इच्छुक लोगों, पुलिस कर्मचारियों के मेडिकल व शहर के स्वास्थ्य केंद्रों से आने वाले मरीजों के शारीरिक टेस्ट सिविल अस्पताल की लेबोरेट्री में होते हैं। यदि कोई वीवीआईपी टेस्ट करवाने आ जाए तो उस दिन मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।

11 बजे के बाद नहीं लिए जाते सैंपल

सिविल अस्पताल में तकरीबन 52 प्रकार के ब्लड व यूरिन टेस्ट किए जाते हैं। इनमें एचआईवी, एचसीवी सहित सभी ब्लड टेस्ट शामिल हैं। खास बात है कि लेबोरेट्री में सुबह ग्यारह बजे के बाद सैंपल कलेक्ट नहीं किए जाते। ग्यारह बजे के बाद आने वाले मरीजों को अगले दिन आने को कहा जा रहा है। वहीं कई मरीजों को टेस्ट रिपोर्ट हासिल करने के लिए चौबीस घंटे का इंतजार करना पड़ता है। हालांकि लेबोरेट्री के प्रभारी डॉ. सर्बदीप ¨सह रियाड़ का कहते हैं कि सीमित स्टाफ के बावजूद हमारा प्रयास रहता है कि मरीजों को जल्द से जल्द रिपोर्ट दी जाए। वहीं स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी मेडिकल कमिश्नर डॉ. रा¨जदर अरोड़ा का कहना है कि लेबोरेट्री स्टाफ की कमी दूर करने के संदर्भ में विभाग को लिखा गया है।

लेबोरेट्री के बाहर बीत जाता है सारा दिन

लेबोरेट्री के बाहर बैठे व बेंचों पर लेटे इन मरीजों का कहना है कि वह सुबह दस बजे से यहां आए हैं। रजिस्ट्रेशन करवाकर सैंपल दे चुके हैं। दोपहर के साढ़े बारह बजने को हैं अभी तक रिपोर्ट नहीं मिली।


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