फिल्म अभिनेत्री हुमा कुरैशी को भी है भारत विभाजन का दर्द
फिल्म अभिनेत्री हुमा खान के परिवार ने भी भारत विभाजन का दर्द सहा है। इसकी टीस हुआ को भी है कि उसका आधा परिवार पाकिस्तान में ही रह गया है।
अमृतसर, [नितिन धीमान]। सिल्वर स्क्रीन पर हमेशा स्ट्रांग रोल करने वाली अभिनेत्री हुमा कुरैशी का पाकिस्तान से गहरा नाता है और यह रिश्ता दर्द का है। उनके परिवार ने भी भारत विभाजन का दर्द झेला है। इसकी टीस हुमा को भी होती है। उनका आधा परिवार पाकिस्तान में ही रह गया था।
हुमा कुरैशी बताती हैं कि उनके दादा फरूखद्दीन कुरैशी का जन्म अविभाजित भारत में हुआ था। 1947 में विभाजन के बाद दादाजी की दो बहनें पाकिस्तान में रह गईं और दादाजी दिल्ली आ गए। हुमा के परिवार ने भी विभाजन की पीड़ा झेली है और उन्हें भी इसकी टीस होती है।
वह कहती हैं कि दोनों मुल्कों के बीच खिंची लकीर ही अवाम की तकदीर बन गई। विभाजन का दर्द आज भी दोनों मुल्कों में बसे लोगों को टीस देता है। वह सोचते हैं कि आखिर बंटवारा क्यों हुआ, क्यों कत्ल-ओ-गारद हुए, क्यों अपने ही बेगाने हो गए?
श्री हरिमंदिर साहिब परिसर में हुमा कुरैशी और फिल्म निदेशक गुरिंदर चड्ढा ।
हुमा कुरैशी देश के बंटवारे पर बनी फिल्म 'पार्टिशन-1947' की प्रमोशन के लिए गुरु नगरी पहुंची थीं। जागरण के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत में बसे हर मुस्लिम परिवार का कोई न कोई रिश्तेदार पाकिस्तान में रहता है। एक कहानी मेरे परिवार से भी जुड़ी है। बंटवारे के समय दादाजी की दो बहनों का परिवार पाकिस्तान में छूट गया।
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एक थी डायन, गैंग्स ऑफ बासेपुर, गैंग्स ऑफ बासेपुर 2 डी-डे , बदलापुर, डेढ़ इश्किया जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं हुमा कुरैशी ने कहा कि 'पार्टिशन-1947' एक इमोश्नल कहानी है। दोनों मुल्कों की अवाम की पीड़ा इसमें दिखेगी। निश्चित ही खून से सने इतिहास के पन्नों पर संवेदना का मर्म उकेरने वाली यह फिल्म दर्शकों को उस दौर की सच्चाई दिखाएगी।
श्री हरिमंदिर साहिब में प्रसाद ग्रहण करतीं हुआ कुरैशी।
इससे पहले फिल्म की सफलता के लिए हुमा कुरैशी व फिल्म की निदेशक गुरिंदर चड्ढा ने श्री हरिमंदिर साहिब में माथा टेका। इसके बाद दोनों टाउन हाल स्थित पार्टिशन म्यूजियम भी गए।
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