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किसानों ने परानी न जलाने की ली शपथ

खेतीबाड़ी विभाग के माहिर डॉ. दलबीर सिंह ने कहा कि पराली को खेत में आग लगाने से जमीन दो इंच तक जमीन दूषित हो जाती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 12:06 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 12:06 AM (IST)
किसानों ने परानी न जलाने की ली शपथ
किसानों ने परानी न जलाने की ली शपथ

जागरण टीम, अमृतसर : खेतीबाड़ी विभाग के माहिर डॉ. दलबीर सिंह ने कहा कि पराली को खेत में आग लगाने से जमीन दो इंच तक जमीन दूषित हो जाती है। इसका सीधा असर मिट्टी की उत्पादक शक्ति पर पड़ता है। खेत में पराली को आग लगाने से छोटे खर्चे तो बचते हैं, लेकिन भविष्य में होने वाले बड़े नुकसान दिखाई नहीं देते। आज किसान खेतों में पराली को आग लगा जहां पर्यावरण को जहरीला कर भविष्य की अपनी फसल का भी नुकसान कर रहा है। जिला खेतीबाड़ी अधिकारी डॉ. छीना सोमवार को यहां अटारी रोड पर स्थित नारायणगढ़ में दैनिक जागरण और खेतीबाड़ी विभाग की ओर से आयोजित संयुक्त किसानों की चौपाल में बोल रहे थे।

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डॉ. दलबीर सिंह छीना ने कहा कि खेतीबाड़ी में जहां बीज और खादों की क्वालिटी महत्व रखती है वहीं फसल का उत्पादन खेत की मिट्टी पर निर्भर करता है। किसानों को जहां फसल बीजने से पहले बीज की शोध करनी चाहिए, वहीं समय-समय पर खेत की मिट्टी की क्वालिटी भी चेक करवाने की आदत बनानी चाहिए। इसके लिए उन्हें हैपी सीडर, पीएयू सुपर एसएमएस, एमबी प्लाह, चौपर और बेलर आदि इस्तेमाल करने होंगे। इस मौके पर डॉ. छीना ने किसानों को पराली नहीं जलाने की शपथ भी दिलाई।

सरकार मशीनों के लिए दे रही 80 फीसदी सब्सिडी

उन्होंने बताया कि सरकार ने गांवों में कस्टम हायरिग सेंटर बना कर उन्हें 80 फीसदी सब्सिडी पर उक्त मशीनें दी। जहां से किसान मामूली किराया देकर यह आधुनिक मशीनों से फसल की कटाई के बाद पराली को मिट्टी में मिला सकता है। इसी को पराली मैनेजमेंट कहते हैं। इस मौके पर नारायणगढ़ के किसान मनमोहन सिंह, मुख्तार सिंह, जसबीर सिंह, शमशेर सिंह, सविदर सिंह, गुरभेज सिंह, जर्मनजीत सिंह, अरमानदीप सिंह, बलविदर सिंह, गुरजीत सिंह, हरभजन सिंह, सोहन सिंह, मनमोहन सिंह और बलदेव सिंह भी उपस्थित थे।

किसान पराली जलाने के लिए मजबूर : मजहूरी किसान सभा

चौपाल मजहूरी किसान सभा के महासचिव ने कहा कि वे जानते हैं कि पराली को जलाने से खेत में मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम होती है, मगर इसके लिए किसान मजबूर हैं। किसानों के पास इतना पैसा नहीं कि वे पराली प्रबंधन पर खर्च कर सकें। क्योंकि प्रति एकड़ इस पर सात हजार रुपये खर्च आते हैं। उन्होंने बताया कि चौपाल से जहां किसानों में नजदीकियां बढ़ी हैं, वहीं उन्हें खेत में पराली को आग लगाने से होने वाले नुकसान के बारे में भी पता चला है। पंजाब में है छोटा किसान, संभव नहीं इतना पैसा खर्च करना

मजहूरी किसान सभा के प्रधान सतनाम सिंह अजनाला ने कहा कि पंजाब का किसान छोटा किसान है। ज्यादातर किसानों के पास दो एकड़ से लेकर सात एकड़ तक जमीन है। किसान पराली प्रबंधन के लिए तैयार हैं मगर इसके लिए सरकार को पहल करनी होगी। इसके लिए प्रयोग की जाने वाली महंगी मशीनरी या तो मुफ्त मुहैया करे या बहुत ही मामूली किराए पर किसानों को इस्तेमाल करने को दे।

औजारों पर सब्सिडी दे सरकार

नारायणगढ़ के किसान जगजीत सिंह ने चौपाल में दैनिक जागरण के पराली नहीं जलाएंगे, पर्यावरण बताएंगे अभियान की सराहना की और कहा कि हम किसानों को पराली नहीं जलाने केल लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके लिए गुरुद्वारा के स्पीकर से घोषणाएं करवाई जा रही हैं। उन्होंने खेतीबाड़ी विभाग के अधिकारियों से अपील की कि वे किसानों की सहायता करें और खेती औजारों को ज्यादा सब्सिड़ी पर उपलब्ध करवाया जाएगा।


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