शीश नवाने को तरस रही संगत, किसानों ने रोकी ट्रेनों की राह तो अमृतसर नहीं आ पा रहे श्रद्धालु
पंजाब में किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ रेल रोको आंदोलन कर रहे हैं। इस कारण राज्य में ट्रेनों की आवाजाही बंद है। इस कारण अन्य प्रदेशों से संगत गुरुनगरी अमृतसर आकर दर्शन करने को तरस गई है। श्रद्धालु श्री हरिमंदिर साहिब में दर्शन करने नहीं आ पा रहे हैं।
अमृतसर, जेएनएन। 57 वर्षीय जुगियाल सिंह भोपाल में रहते हैं। मन्नत मांगी थी, जो पूरी हो गई है। अब श्री हरिमंदिर साहिब में मत्था टेकना चाहते हैं, लेकिन ट्रेनें बंद हैं। अमृतसर में अपने रिश्तेदार परमिंदर सिंह से फोन कर रोज पूछते हैं कि धरना कब खत्म होगा। जुगियाल सिंह जैसे हजारों श्रद्धालु सिखों के सबसे पवित्र स्थल श्री हरिमंदिर साहिब आने के लिए तरस रहे हैं। पहले तीन महीने तक कोरोना के कारण रेल सेवा बंद रही। इसके बाद अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई तो जुगियाल सिंह ने 28 सितंबर की टिकट बुक करवा ली। आने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अब किसानों ने उनकी राह रोक दी है। वे काफी निराश हैं।
अलग-अलग शहरों के लिए चलाई गई सात ट्रेनें बंद, ट्रैक खुलने पर असमंजस
अनलॉक में अमृतसर से अलग-अलग शहरों के लिए सात ट्रेनें शुरू हुई तो श्रद्धालुओं ने राहत की सांस ली थी, लेकिन 24 सितंबर से शुरू हुए किसानों के रेल रोको आंदोलन ने फिर परेशानी खड़ी कर दी। अन्य राज्यों से आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु ट्रेन को ही तरजीह देते हैं। इन सात ट्रेनों से रोजाना तीन से साढ़े तीन हजार श्रद्धालु आ रहे थे। अब यह संख्या ना के बराबर हो गई है।
रोजाना करीब साढ़े तीन हजार तक यात्री आते थे ट्रेनों से
बिहार के पटना, उत्तर प्रदेश के कानपुर, मध्य प्रदेश के भोपाल, महाराष्ट्र के नांदेड़ व दिल्ली से लगातार श्रद्धालुओं के जत्थे यहां आते रहते हैं। किसान बीच-बीच में नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे भी रोक रहे हैं, इससे हिमाचल प्रदेश व हरियाणा से आने वाले श्रद्धालुओं ने भी अपने कार्यक्रम रद कर दिए हैं। पर्यटन उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
श्री दरबार साहिब के अतिरिक्त प्रबंधक रा¨जदर ¨सह रूबी ने कहा कि यहां आने वाली संगत का बड़ा हिस्सा ट्रेन के जरिये गुरुनगरी पहुंचता है। रेल रोको आंदोलन के कारण दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगभग शून्य हो गई है। 15 दिनों से ट्रेनें बंद हैं। कई श्रद्धालु जत्थे लेकर नांदेड़ साहिब आदि गए थे, वे भी फंसे हैं।
एसआर ट्रैवल्स के मालिक प्रवीण सहगल ने बताया कि जब ट्रेनें चली थीं तो बु¨कग का सिलसिला रफ्तार पकड़ने लगा था, लेकिन अब ये जीरो हो गई है। केवल बसों की बु¨कग हो पा रही है। इसमें भी वो लोग ज्यादा शामिल हैं, जिन्हें बहुत जरूरी काम से आना-जाना पड़ रहा है। श्रद्धालु या टूरिस्ट तो बिल्कुल भी बु¨कग नहीं करवा रहे। कोरोना काल में विदेश से आने श्रद्धालुओं व पर्यटकों की संख्या 95 फीसद तक कम हो गई थी। उम्मीद थी कि अब श्रद्धालु बढ़ेंगे, लेकिन दिल्ली से होकर यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु भी बुकिंग टाल रहे हैं।
फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन इंडिया के सदस्य अजय कपूर ने बताया कि अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद यात्री आना शुरू हो गए थे। होटलों की बु¨कग मिलने लगी थी, लेकिन अब अन्य राज्यों से कोई श्रद्धालु नहीं आ रहा। जिन्होंने ने लीज पर होटल लिए हैं, उन्हें किराया निकालना मुश्किल हो गया है।
यात्रा से बच रहे वीकेंड टूरिस्ट
श्री हरिमंदिर साहिब के अलावा श्री दुर्ग्याणा तीर्थ, श्री राम तीर्थ व जलियांवाला बाग आदि के लिए आने वाले वीकेंड टूरिस्ट भी यात्रा करने से बच रहे हैं। बटाला से मत्था टेकने आए मुनीश कुमार ने बताया कि हमें काफी परेशानी उठानी पड़ी। हमें पता ही नहीं है कि कौन सा हाईवे चल रहा है और कौन सा बंद है। आ तो गए, लेकिन वापसी कैसे करनी है, इसका पता कर रहे हैं। वहीं, कारोबार पर भी असर पड़ा है। कपड़ा कारोबारी मंदीप कुमार कहते हैं, 'लोग इस सीजन में यहां आते हैं, तो सर्दियों के लिए काफी खरीदारी करते हैं। अभी तो सब दुकानों से भीड़ गायब है।'
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