रेलवे ट्रैैैक से चूहों को भगाने का खर्च 6 करोड़ रुपया, ऐसे नुकसान पहुंचा रहे चूहे
रेल ट्रैक पर घूमने वाले चूहों का इलाज करने के लिए रेलवे ने इंतजाम कर दिया है। इसके लिए बीपीएसएसआर नाम की एजेंसी को ठेका दिया गया है
अमृतसर [हरीश शर्मा]। स्टेशन परिसर में ट्रैक पर घूमने वाले चूहों का इलाज करने के लिए रेलवे ने इंतजाम कर दिया है। इसके लिए बीपीएसएसआर नाम की एजेंसी को ठेका दिया गया है, जो कि ट्रैक पर घूमने वाले चूहों को खत्म करेगी और साथ ही ट्रैक पर बनाए जाने वाली बिलों को भी भरेगी, ताकि कहीं से भी ट्रैक कमजोर न हो सकें।
अकसर जब चूहे ट्रैक के नीचे बिल बना लेते हैं तो उस जगह पर नीचे की मिट्टी धंस जाती है और लाइनें नीचे बैठ जाती हैं। इससे हादसे होने का खतरा रहता है। ऐसे में रेलवे किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता है, इसीलिए कंपनी को ठेका दे दिया गया है। कंपनी महीने में दो से तीन बार इन चूहों को मारने के लिए दवाई छिड़केगी और बिल को भी भरने का काम करेगी। इसके साथ ही लगातार ट्रैक की जांच की जाएगी, ताकि पता चल सके कि चूहों के बिल बनाने से कहीं से ट्रैक कमजोर हुआ है तो समय रहते उसकी भी रिपेयर करवाई जा सके।
तीन साल के लिए किया एजेंसी को हायर, हर महीने दो बार रेलवे स्टेशन पर चलेगा अभियान
रेलवे स्टेशन के डायरेक्टर अमृत सिंह ने बताया कि बीपीएसएसआर को तीन साल के लिए 6 करोड़ 9 लाख रुपये ठेका दिया गया है। इसके साथ ही पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की ओर से एक केमिकल तैयार किया गया है। उसका भी इस्तेमाल यहां पर किया जाता है, ताकि चूहे यहां पर अपना बिल न बना सकें। ट्रैक के नीचे चूहों द्वारा बिल बनाना बेहद खतरनाक है, क्योंकि इससे कई जगह पर ट्रैक टूट तक जाने के भी मामले सामने आए हैं, इसलिए इस संबंधी गंभीरता से कार्रवाई की जा रही है।
अमृत सिंह ने कहा कि अकसर यात्री कुछ भी खाने-पीने का सामान ट्रैक पर फेंक देते हैं। उसी सामान को खाते-खाते चूहे वहीं पर अपनी बिल भी खोद लेते हैं। इसलिए इस संबंधी यात्रियों का भी जागरूक होना बेहद जरूरी है कि वे डिस्पोजल को केवल डस्टबिन में ही डाले, न कि ट्रैक पर फेंके।
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