सर्वाइकल कैंसर से हर घंटे आठ महिलाओं की मौत, पंजाब में बन रहा महामारी
पंजाब में सर्वाइकल कैंसर लगातार चिंताजनक हालात हो रही है। देश में सर्वाइकल कैंसर के कुल मामले में से 13 फीसदी पंजाब में हैं। देश में हर घंटे आठ महिलाओं की इस बीमारी से मौत होती है।
अमृतसर, [नितीन धीमान]। देश आैर पंजाब में सर्वाइकल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पंजाब में तो हालात चिंताजनक हो गई है और यह खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है। देश में सर्वाइकल कैंसर के कुल मामलों में से 13 प्रतिशत केस पंजाब में होते हैं। देश में इस कैंसर से प्रतिवर्ष 67,677 महिलाओं की मौत हो जाती है। पंजाब में भी यह आंकड़ा हजारों में है। यह कैंसर बहुत ही खतरनाक ढंग से महिलाओं में बढ़ रहा है। इस रोग से देश में हर घंटे आठ महिलाओं की मौत हाे रही है।
देश में हर साल 67 हजार से अधिक महिलाओं की होती है मौत, सर्वाइकल कैंसर के 13 प्रतिशत केस पंजाब में
डॉक्टरों के अनुसार, इस रोग के भयानक रूप धारण करने का कारण जागरूकता का अभाव और निर्धारित समय पर टीकाकरण न करवाना है। पंजाब में मालवा क्षेत्र में यह रोग महामारी जैसा रूप धारण कर चुका है। अन्य क्षेत्रों में भी महिलाएं अब इस रोग की चपेट में आ रही हैं।
पीडिट्रिशियन डॉ. रविदत्त का कहना है कि सर्वाइकल कैंसर का संक्रमण पुरुषों के जरिए महिलाओं में शारीरिक संबंध बनाते समय होता है। यह रोग अमूमन 30 वर्ष की आयु से अधिक की महिलाओं को अपना शिकार बनाता है। हालांकि यह संक्रमण 16 से 20 वर्ष की आयु में महिलाओं में सक्रिय हो जाता है।
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वर्ष 2012-13 में पंजाब के 14 जिलों में 11.2 फीसद महिलाएं सर्वाइकल कैंसर की शिकार पाई गई थीं। वर्तमान में इसका ग्राफ और बढ़ गया है। दुनिया के 135 देशों ने इस कैंसर की रोकथाम के लिए एचवीपी टीकाकरण को स्वीकृति दी है और 84 देशों ने इसे राष्ट्रीय प्रतिरक्षा कार्यक्रम में शामिल किया है।
इसे भारत ने भी इस कार्यक्रम को अपनाया है। पंजाब सरकार ने भी इस टीेकाकरण को शुरू किया गया है और राज्य के दो जिलों बठिंडा और मानसा में यह कार्यक्रम अभी चलाया जा रहा है। डॉ. रविदत्त ने बताया कि पंजाब सरकार ने सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीन लांच की है। बताया जाता है कि बठिंडा और मानसा जिले में अब तक 10000 से अधिक लड़कियों को इस वैक्सिन के इंजेक्शन लगाए गए हैं।
इस कैंसर से बचने के लिए जरूरी है कि लोग नौ साल से 14 वर्ष की लड़कियों को यह टीका लगवाएं। डॉ. रवि दत्त का कहना है कि इस रोग से बचाव के लिए लोग जागरूक होने के साथ ही अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहें। इस रोग से महिलाओं को बचाने के लिए जागरूकता और शारीरिक संबंधों के मामले में सावधानी व वफादारी बेहद जरूरी है।
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हर वर्ष करवाए पेपस्मियर सेटोलॉजी टेस्ट
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, इस रोग के फैलने के लिए ह्यूमन पैपीलोमा नामक वायरस मुख्य कारण हे। यह मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंधों से होता है। गर्भाशय में मौजूद यह वायरस कुछ समय बाद कैंसर बन जाता है। इस कैंसर से बचने के लिए स्क्रीनिंग और वैक्सीनेशन ही एकमात्र उपाय है। इसलिए हर महिला को तीन साल बाद पेपस्मियर सेटोलॉजी का टेस्ट जरूर करवाना चाहिए ताकि जल्द जल्द इस कैंसर का पता लगाया जा सके।
जब एक बार कोई भी महिला स्क्रीन पॉजिटिव हो जाती है तो फिर उसे कॉलकोस्कॉपी से डायग्रोस किया जाता है। इसके बाद उसका इलाज किया जाता है। बच्चे पैदा करने की उम्र में खास कर 30 से 40 साल के बीच इस बीमारी के होने के चांस काफी बढ़ जाते है। इसलिए अगर किशोरावस्था में महिलाओं को वैक्सीनेशन दे दी जाए तो बीमारी को रोका जा सकता है।
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