नाटक गिली मिटटी व मुक्ति ने दर्शकों को सोचने पर किया मजबूर
विरसा विहार में चल रहे अमृतसर रंगमंच उत्सव-2019 के 9वें दिन दो पंजाबी नाटक पेश किए गए।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : विरसा विहार में चल रहे अमृतसर रंगमंच उत्सव-2019 के 9वें दिन दो पंजाबी नाटक पेश किए गए। पहला नाटक लोक कला मंच मजीठा की टीम ने गुरमेल शाम नगर द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक गिली मिटटी और दूसरा नाटक आजाद भगत सिहं विरासत मंच की टीम ने दलजीत सोना के निर्देशन में मुक्ति पेश किया। विरसा विहार सोसायटी के प्रधान केवल धालीवाल और महासचिव रमेश यादव ने नाटक पेश करने वाले कलाकारों को स्मृति चिन्ह व सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। इस मौके पर भूपिदर सिंह संधू, डा. दिलबाग सिंह धंजू, डा. श्याम सुंदर दीप्ति, प्रो. जोगा सिंह अठवाल, टीएस राजा, पवेल संधू, गुरतेज मान, नरिदर सांघी, इंद्रजीत सहारण आदि मौजूद थे।
गिली मिटटी के समान होते हैं बच्चे
नाटक गिली मिटटी में कलाकारों ने बताया कि जो कुछ सुना या देखा जाता है, वो हमारे मन पर असर जरूर करता है। बच्चे की शख्सियत को बनाने में घर, परिवार के बाद स्कूल, अध्यापकों व दोस्तों की संगति व सामाजिक माहौल असर करता है। वर्तमान समय में गिली मिटटी जैसे बच्चों की मानसिकता पर सोशल मीडिया, टीवी, हिदी-पंजाबी फिल्में व उनके गीतों का गहरा असर होता है।
बच्चों के सामने मां-बाप के टूटते हैं सपने
नाटक मुक्ति में बुजुर्गो के साथ होने वाले व्यवहार व वृद्ध आश्रमों में उनकी दशा को बयान किया गया। किसी भी प्रकार विदेश में जाने के इच्छुक बच्चे अपने मां-बाप के अरमानों का गला दबा रहे हैं, जो नाटक में बाखूबी पेश किया गया। नाटक में बताया गया कि बच्चों के बचपन में मां-बाप क्या-क्या सपने सजाता है, जो बच्चों के बड़े होने पर बच्चों की इच्छाओं के सामने टूट जातें हैं।