छह घंटे प्रसव पीड़ा से तड़प रही, इलाज न होने से जच्चा-बच्चा की मौत
जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल असपताल के गायनी विभाग के डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से गर्भवती महिला व उसके पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गई।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल असपताल के गायनी विभाग के डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से गर्भवती महिला व उसके पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। महिला छह घंटे तक प्रसव पीड़ा से तड़पती रही लेकिन डॉक्टरों ने उसे हाथ तक नहीं लगाया।
गांव चब्बा निवासी हीरा सिंह के अनुसार उसकी बहन दलजीत कौर नौ माह की गर्भवती थी। वह उसे दोपहर एक बजे सिविल अस्पताल लाए। इसी अस्पताल में नौ माह तक उसका उपचार करवाते रहे हैं। यहां गायनी ओपीडी में पहुंचे और डॉक्टर को देखने को कहा तो डॉक्टर ने कहा कि कुछ देर इंतजार करो। बहन की पीढ़ा बढ़ रही थी। वह बेंच पर ही लेट गई। आरोप लगाया कि नर्सिंग स्टाफ सहित गायनी डॉक्टरों से बार-बार गुजारिश की गई कि दर्द बढ़ता जा रहा है, वे उसे लेबर रूम में ले जाकर डिलीवरी करवा दें लेकिन डॉक्टरों ने उसे हाथ तक नहीं लगाया। कहते रहे कि कुछ देर बाद डिलीवरी कर देते हैं। शाम तकरीबन साढ़े छह बजे बहन ने दम तोड़ दिया। कोख में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। हीरा सिंह के अनुसार डॉक्टरों की लापरवाही ने उनकी 21 वर्षीय बहन और कोख में पल रहे बच्चों की जान ले ली। देर रात तक उसका शव भी अस्पताल में ही पड़ा रहा लेकिन संवेदना शून्य सिविल अस्पताल के स्टाफ ने उसे मोर्चरी तक नहीं रखवाया। उन्होंने कहा कि वे डॉक्टरों के खिलाफ पंजाब सरकार व मानवाधिकार आयोग से शिकायत करेंगे, ताकि भविष्य में ऐसी घटना किसी और के साथ न हो। एसमओ अस्पताल पहुंचे, जांच की : एसएमओ
घटना की जानकारी पाकर देर रात सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. अरुण शर्मा मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिवार से सारी घटना की जानकारी ली। कहा कि वह अभी मामले की जांच कर रहे हैं। किस स्तर पर लापरवाही हुई, यह जांच के बाद ही बता सकते हैं। यदि लापरवाही हुई तो सख्त कार्रवाई भी की जाएगी।