बढ़ रहा कैंसर का काल, सरकारी अस्पताल में दवाओं का अकाल
काल बनकर मंडरा रहे कैंसर से निपटने के लिए सरकारी प्रबंध नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं।
नितिन धीमान, अमृतसर : काल बनकर मंडरा रहे कैंसर से निपटने के लिए सरकारी प्रबंध नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं। अमृतसर स्थित पंजाब के प्रमुख चिकित्सा संस्थान गुरुनानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में कैंसर के इलाज में प्रयुक्त होने वाली ज्यादातर दवाएं खत्म हो चुकी हैं। दवाओं की कमी के चलते कैंसर मरीजों को भारी मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल, जीएनडीएच में 5000 कैंसर मरीजों का ट्रीटमेंट चल रहा है। इनमें से 2500 मरीज प्रतिमाह दवाएं लेने आते हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की है। अस्पताल में स्थित कैंसर सेल में लेट्रोजोल, टेमोक्सीफेन व एनेस्ट्रॉजोल जैसी महंगी दवाएं नहीं हैं। इन दवाओं की कीमत बहुत ज्यादा है। उदाहरण के तौर पर लेट्राजोल टेबलेट का अधिकतम मूल्य 1980 रुपये प्रति पैकेट है। शेष दवाओं की कीमत भी इसी के आसपास है। महंगी दवाओं के कारण कैंसर मरीज इलाज से वंचित न रह जाएंस इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पंजाब सरकार ने सरकारी अस्पताल में निशुल्क दवा उपलब्ध करवाने की बात कही थी। जीएनडीएच में मरीजों को निशुल्क दवाएं मिलती भी रहीं, लेकिन दो माह पूर्व अचानक दवाओं का स्टॉक खत्म हो गया। अस्पताल प्रशासन ने दवाएं खत्म होने से पूर्व ही पंजाब सरकार को पत्र लिखकर इस स्थिति से अवगत करवा दिया था, पर सरकार ने दवाओं की खरीद के लिए बजट जारी नही किया।
डॉक्टर ने कहा-एक दिन भी दवा बंद नहीं करनी, यहां तो मिलती ही नहीं ब्रेस्ट कैंसर का शिकार एक महिला ने बताया कि वह पिछले डेढ़ माह से अस्पताल के चक्कर काट रही है। कैंसर सेल में जाती हूं तो डॉक्टर जांच कर दवा लिख देते हैं, पर अस्पताल में दवा मिल नहीं रही। मैं आर्थिक रूप से इतनी सक्षम नहीं कि हजारों रुपयों की दवाएं निजी मेडिकल स्टोर से खरीद सकूं। लोगों से उधार लेकर दवा खरीद रही हूं, पर अब उधार मिलना भी बंद हो गया है। डॉक्टर ने साफ कहा है कि किसी भी स्थिति में दवा का सेवन बंद नहीं करना है, वरना बीमारी बढ़ सकती है। सरकार कैंसर मरीजों का दर्द क्यों नहीं देख रही? करोड़ों की लागत से बन रहा है कैंसर इंस्टीट्यूट, पर दवाओं का प्रबंध नहीं कर पाई सरकार पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार के सहयोग से गुरुनानक देव अस्पताल में 114 करोड़ की लागत से स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की स्थापना को हरी झंडी दी है। इंस्टीट्यूट का काम द्रूत गति से जारी है। सरकार ने इस इंस्टीटूयूट में कैंसर रोगियों को अत्याधुनिक तकनीक से उपचार देने एवं कैंसर पर रिसर्च करने का रूपरेखा भी तय की है। दुखद पहलू यह है कि करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करने वाली सरकार इस अस्पताल में कैंसर के उपचार में प्रयुक्त होने वाली दवाओं का बंदोबस्त नहीं कर पा रही। बजट जारी होते ही मंगवा लेंगे दवाएं : डॉ. शिवचरण जीएनडीएच के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. शिवचरण का कहना है कि चंडीगढ़ से बजट जारी न होने की वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है। मैंने विभाग को सोमवार को ही स्मरण पत्र भेजा है। जैसे ही बजट रिलीज होगा, दवाएं मंगवा ली जाएंगी। चार प्रकार की दवाएं स्टॉक में नहीं है, बाकी दवाएं मरीजों को दी जा रही हैं।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप